इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा किनारे प्रतिबंधित 500 मीटर के दायरे में हो रहे निजी निर्माणों की निष्पक्षता से जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण से कहा है कि वह निर्माणों का सर्वे करने में भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने से बचें और सही सर्वे करके कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करें।
कोर्ट ने पीडीए द्वारा गंगा किनारे प्रस्तावित अपनी योजना की भी जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इससे पूर्व कोर्ट के निर्देशों के अनुसार गंगाजल के नमूनों की जांच रिपोर्ट व नमूना कोर्ट में प्रस्तुत किया गया, जिसे कोर्ट ने सील बंद कर हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में रखने का निर्देश दिया है ।
गंगा प्रदूषण याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने प्लास्टिक बैन पर प्रभावी नियंत्रण लगाने के मामले में कमिश्नर प्रयागराज को सख्त निगरानी करने और अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कमिश्नर ने बताया कि पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए एडीएम सिटी, अपर नगर आयुक्त और एसपी सिटी की एक कमेटी बनाई गई है। कोर्ट ने कमिश्नर से कहा है कि वह इस कमेटी के कार्यों की निगरानी करें पॉलीथिन का उपयोग बंद करने पर गंभीरता पूर्वक कार्रवाई करें।
प्रयागराज में गंगा किनारे प्रतिबंधित क्षेत्रों में हो रहे निर्माण के बारे में पीडीए वीसी ने बताया कि 22 अप्रैल 2011 को हाईकोर्ट द्वारा गंगा के उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर की दूरी तक निर्माण पर रोक लगाने के बाद पीडीए ने अपनी नमामि गंगे योजना बंद कर दी है। पीडीए की एक योजना को 2017 में स्वीकृति मिली है मगर यह प्रतिबंधित क्षेत्र से दूर है। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर पीडीए को बताने के लिए कहा है कि योजना की अनुमति कैसे मिली और योजना किस स्थान पर है।
विद्युत शव दाह गृहों के संचालन के मामले में हाईकोर्ट ने नगर निगम द्वारा प्रस्तुत हलफनामे से नाखुशी जाहिर की। रसूलाबाद के शंकर घाट पर विद्युत शवदाह गृह बंद होने की भी कोर्ट को जानकारी दी गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर नगर निगम से इन शवदाह गृहों को को संचालित करने के मामले में पूरी जानकारी तलब की है। याचिका की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।
वाराणसी में निर्माणों की जानकारी तलब
वाराणसी में गंगा किनारे हो रहे निर्माणों के संबंध में वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने हलफनामा दाखिल कर बताया की निर्माणों को नियमित किया गया है तथा काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड के प्रावधानों के अनुसार ही निर्माण किए जा रहे हैं। जो क्षेत्र बोर्ड के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं व नगर विकास विभाग के क्षेत्र में आते हैं, वहां भी कोई पक्का निर्माण नहीं हो रहा है।
कोर्ट ने श्री काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है तथा अथॉरिटी के मुख्य अधिशासी अधिकारी से इस बात का हलफनामा मांगा है कि वह वाराणसी में गंगा किनारे हो रहे सभी प्रस्तावित निर्माणों का पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई पर प्रस्तुत करें। कोर्ट को वाराणसी में गंगा में कैनाल बनाए जाने के मामले में बताया गया कि गंगा की पूर्वी पट्टी में काफी ज्यादा सिल्ट होने की वजह से पश्चिमी पट्टी पर दबाव पड़ रहा था।
जिससे अस्सी घाट, रामघाट आदि पर खतरा पैदा हो गया था इसलिए डीएम वाराणसी ने पूर्वी पट्टी पर कनाल बनाने का सुझाव सरकार को भेजा था इस कैनाल के बनने से गंगा की पारिस्थितिकी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा न्याय मित्र अरुण गुप्ता ने बताया कि पहले यहां एक कछुआ सेंचुरी हुआ करती थी, जिसे हटा दिया गया है जबकि कछुआ सेंचुरी गंगा की सफाई में प्राकृतिक रूप से मददगार थी। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या प्रस्तावित निर्माणों की नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा अनुमति दी गई है तथा कछुआ सेंचुरी को कहां शिफ्ट किया गया है इसकी जानकारी अगली सुनवाई पर प्रस्तुत की जाए।
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