नई दिल्ली। एक किशोरी से दुष्कर्म के मामले में आरोपित युवक को जमानत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पाक्सो एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने किशोरी के स्वजन के कहने पर पुलिस द्वारा युवक पर यौन उत्पीड़न की धारा लगाने पर चिंता प्रकट करते हुए यह टिप्पणी की। बता दें कि प्राथमिकी में किशोरी ने दर्ज कराया था कि उसकी उम्र 16 वर्ष है और वह 12वीं कक्षा की छात्रा है। आरोप लगाया गया था कि पिछले वर्ष जनवरी में जब वह स्कूल जाती थी, तो युवक उसका पीछा करता था। युवक ने उसे दोस्ती करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उसने मना कर दिया था। पिछले साल लाकडाउन के दौरान उसके साथ दुष्कर्म हुआ। इस बात को उसने स्वजन से छिपा कर रखा। कुछ वक्त बाद गर्भवती होने के बारे में जानकारी मिलने पर प्राथमिकी दर्ज कराई और गर्भपात भी करा दिया।
वहीं, आरोपित का कहना था कि स्कूल में ही किशोरी से उसकी दोस्ती हो गई थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध था। उसने दावा किया कि किशोरी की उम्र 18 साल है। साथ ही आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता से उसके स्वजन ने डरा धमका कर प्राथमिकी दर्ज कराई है।
उधर, पीठ ने सभी पक्ष सुनने के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि समाज में शर्मिंदगी से बचने और गर्भपात कराने के लिए इस प्राथमिकी को यौन शोषण का रूप दिया और इसे पाक्सो कानून के दायरे में लाया गया। आपसी सहमति से नाबालिग से संबंध बनाने को कानून की नजरों में वैध नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यहां यह सवाल उठता है कि आरोपित को जमानत दी जाए या नहीं। दोनों की तस्वीरें और मेडिकल रिपोर्ट के समय दर्ज किए गए बयानों में विसंगति जैसे तथ्य आरोपित को जमानत देने की ओर ले जाते हैं।
पीठ ने कहा कि किशोरी को भी आरोपित को जमानत देने से कोई आपत्ति नहीं है। जमानत देते हुए पीठ ने कहा कि आरोपित अपने माता पिता के पास रहेगा और पुलिस इसका सत्यापन करेगी।
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