राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अखिल भारतीय गोरखा लीग के अध्यक्ष मदन तमांग की 21 मई, 2010 को दार्जिलिंग में दिनदहाड़े हुए हत्या के मामले में निचली अदालत ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख बिमल गुरुंग को बरी कर दिया है। अब मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया है। अखिल भारतीय गोरखा लीग के दिवंगत नेता मदन की पत्नी भारती तमांग ने भी हाई कोर्ट में इसी तरह की याचिका दायर की है। दोनों मामले पर शुक्रवार को न्यायाधीश तीर्थंकर घोष की पीठ में सुनवाई होनी थी, लेकिन उन्होंने इसे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को यह कहते हुए भेज दिया कि वह व्यक्तिगत कारणों से दोनों मामलों की सुनवाई नहीं कर सकते हैं।
मदन की 2010 को दार्जिलिंग के क्लब साइट रोड पर हत्या कर दी गई थी। बिमल समेत 30 लोगों के खिलाफ हत्या की शिकायत दर्ज कराई गई थी। सीआइडी ने घटना में 22 लोगों को भगोड़े के रूप में दिखाते हुए चार्जशीट पेश की थी। बाद में सीबीआइ को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। जांच में आरोपित के तौर पर बिमल का नाम सबसे प्रमुख था, लेकिन 17 अक्टूबर, 2016 को कलकत्ता सिटी सेशंस कोर्ट ने बिमल को मामले से बरी कर दिया। सीबीआइ के वकील अनिर्बान मित्रा ने अदालत से कहा कि हमारे पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि मदन तमांग हत्याकांड में बिमल गुरुंग शामिल थे। इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद करने के लिए हाई कोर्ट में एक आवेदन किया गया है।
गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य के जेल विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) को एक कैदी के स्थानांतरण मामले में अनुचित देरी और ढुलमुल रवैये के मामले में व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। 23 अगस्त को अगली सुनवाई पर एडीजी (जेल) पीयूष पांडेय को जस्टिस राजा शेखर मंथा की एकल पीठ में हाजिर होना होगा। उसी दिन राज्य सरकार को यह बताना होगा कि कैदी रंजीत सिंह को हिमाचल प्रदेश स्थानांतरित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? साथ ही, उन्हें यह भी बताना होगा कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जेल विभाग बेवजह देरी क्यों कर रहा है? सरकार की ओर से वकील साबिर अहमद ने पीठ को बताया कि उन्होंने समय से हाई कोर्ट के आदेश को जेल विभाग को भेज दिया था।
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(समाचार एजेंसी की भाषा से इनपुट के साथ)
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