केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए आईटी नियमों को लेकर काफी विवाद हो रहा है. कई सोशल मीडिया कंपनियों ने तो इन्हें मान लिया है, लेकिन ट्विटर की ओर से आपत्ति जाहिर की जा रही है. केंद्र सरकार द्वारा डाटा प्रोटेक्शन को लेकर बनाई गई कमेटी की अगुवाई करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएन. श्रीकृष्णा ने इस पूरे विवाद पर इंडिया टुडे से बात की.
साल 2017 में भारत सरकार ने एक कमेटी बनाई थी, जिसे डाटा प्रोटेक्शन और उनसे जुड़ी मुश्किलों को ढूंढने का जिम्मा दिया गया था.
जस्टिस बीएन. श्रीकृष्णा ने ताजा हालात को लेकर कहा कि ऐसा मसला इसलिए हुआ है, क्योंकि देश में व्यापक डाटा प्रोटेक्शन लॉ नहीं है. अगर संसद द्वारा कोई एक्ट पास होता है, जो इससे जुड़े हर मसले को छुए और समस्याओं का समाधान करे. तब इस विषय का कोई समाधान निकल सकता है.
अभी के नियमों को लेकर हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि नए आईटी रूल्स काफी सख्त हैं, साथ ही इनमें काफी अस्पष्टता भी है जो नियमों को लेकर मतभेद पैदा कर रही है और कानून के दुरुपयोग का कारण बन सकती है.
जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि सरकार के पास किसी भी संवाद में हस्तक्षेप करने की शक्ति होनी चाहिए, लेकिन उसकी सीमा भी तय होनी चाहिए. अगर संसद द्वारा कोई एक्ट पास किया जाता है, तो उसमें इन बातों का उल्लेख होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आप सेब काटने के लिए चाकू ही इस्तेमाल करते हैं, कुल्हाड़ी नहीं या मक्खी मारने के लिए मक्खीमार ही इस्तेमाल होता है, कोई बम नहीं.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा नए आईटी रूल्स को हाल ही में लागू किया गया. सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को तीन महीने का वक्त दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि हर प्लेटफॉर्म को अपना एक रीजनल ऑफिसर भारत में फिक्स करना होगा, ताकि किसी तरह की आपत्तिजनक पोस्ट या अन्य शिकायतों का समाधान यहां ही जल्दी हो सके.
इनके अलावा भी कई अन्य मुद्दों को शामिल किया गया था, जिन्हें अधिकतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने मान लिया है. हालांकि, ट्विटर और भारत सरकार के बीच अभी भी घमासान चल रहा है. बीते कुछ वक्त में कई बार काफी मुद्दों को लेकर सरकार और ट्विटर आमने-सामने आए हैं, जिसका असर अब आईटी रूल्स के मसले पर दिख रहा है.
source ; aninews.in
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(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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