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महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

  

KANISHKBIOSCIENCE E -LEARNING PLATFORM - आपको इस मुद्दे से परे सोचने में मदद करता है, लेकिन UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के दृष्टिकोण से मुद्दे के लिए प्रासंगिक है। इस 'संकेत' प्रारूप में दिए गए ये लिंकेज आपके दिमाग में संभावित सवालों को उठाने में मदद करते हैं जो प्रत्येक वर्तमान घटना से उत्पन्न हो सकते हैं !


kbs  हर मुद्दे को उनकी स्थिर या सैद्धांतिक पृष्ठभूमि से जोड़ता है।   यह आपको किसी विषय का समग्र रूप से अध्ययन करने में मदद करता है और हर मौजूदा घटना में नए आयाम जोड़कर आपको विश्लेषणात्मक रूप से सोचने में मदद करता है।

 केएसएम का उद्देश्य प्राचीन गुरु - शिष्य परम्परा पद्धति में "भारतीय को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना" है। 


विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट


(WEF’s global gender gap report)

संदर्भ:

हाल ही में, ‘विश्व आर्थिक मंच’ / ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ (WEF) द्वारा ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ (Global Gender Gap Report), 2021 जारी की गई है।

रिपोर्ट में भारत संबंधी निष्कर्ष:

  1. समग्र प्रदर्शन: भारत की स्थिति 28 स्थान नीचे पहुँच गई है- ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ की 156 देशों की सूची भारत को 140 वां स्थान मिला है।
  2. पड़ोसी देशों में स्थिति: भारत, दक्षिण एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों की श्रेणी में पहुँच गया है, तथा अपने पड़ोसी देशों, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और म्यांमार से नीचे स्थान पर है।
  3. राजनीतिक सशक्तीकरण: राजनीतिक सशक्तीकरण सूचकांक में भी, भारत के प्रदर्शन में 13.5 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है।
  4. शिक्षा प्राप्ति के सूचकांक में, भारत को 114 वें स्थान पर रखा गया है।
  5. “स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा” सूचकांक में भी भारत का प्रदर्शन खराब रहा है। इस सूचकांक में लिंगानुपात तथा महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को शामिल किया जाता है।
  6. भारत में महिलाओं की अनुमानित उपार्जित आय, पुरुषों की आय के मात्र पांचवे हिस्से के बराबर है, जिससे इस सूचकांक में भारत का स्थान, वश्विक रूप से निचले दस देशों के मध्य पहुँच गया है।

    वैश्विक परिदृश्य:

  7. आइसलैंड को, 12 वीं बार विश्व में सर्वाधिक लैंगिक-समता वाला देश घोषित किया गया है।
  8. सर्वाधिक लैंगिक-समता वाले शीर्ष 10 देशों में, फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड, रवांडा, स्वीडन, आयरलैंड और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
  9. आर्थिक प्रदर्शन के मामले में, कई देशों ने पिछले साल की तुलना में इस वर्ष की रैंकिंग में खराब प्रदर्शन किया है।
  10. इस वर्ष की रिपोर्ट में, राजनीतिक सशक्तीकरण में लैंगिक अंतर सबसे अधिक रहा है: सम्पूर्ण विश्व की 35,500 संसदीय सीटों में से मात्र 26.1 प्रतिशत पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहा है तथा कुल 3,400 मंत्रियों में से महिलाओं का प्रतिशत मात्र 22.6 रहा है।
  11. 15 जनवरी, 2021 तक, 81 देशों में कभी भी कोई महिला राष्ट्राध्यक्ष नहीं बनीं है।
  12. बांग्लादेश ऐसा एकमात्र देश है, जहाँ पिछले 50 वर्षों के दौरान ‘राष्ट्राध्यक्ष’ के रूप में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने कार्य किया है।
  13. आर्थिक भागीदारी में सर्वाधिक लैंगिक अंतराल वाले देशों में ईरान, भारत, पाकिस्तान, सीरिया, यमन, इराक और अफगानिस्तान शामिल हैं।

‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ के बारे में:

वर्ष 2006 में पहली बार प्रकाशित की गई।

रिपोर्ट में 156 देशों द्वारा चार आयामों के मद्देनज़र लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है:

  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर,
  2. शैक्षणिक उपलब्धि;
  3. स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा; और
  4. राजनीतिक सशक्तीकरण।

सूचकांक में, उच्चतम स्कोर 1 होता है, जो ‘समानता’ को प्रदर्शित करता है, तथा निम्नतम स्कोर ‘0’ अर्थात ‘शून्य’ होता है, जो ‘असमानता’ के स्तर को दर्शाता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ के बारे में।
  2. देशों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?
  3. भारत का प्रदर्शन।
  4. भारत और पड़ोसी।
  5. वैश्विक परिदृश्य।

मेंस लिंक:

नवीनतम ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट’ में भारत के प्रदर्शन पर टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021


(National Policy for Rare Diseases, 2021)

संदर्भ:

‘दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित मरीजों के देख-रेख करने वाले तथा अन्य संबद्ध संगठन हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति’ (National Policy for Rare Diseases), 2021 से संतुष्ट नहीं हैं।

संबंधित प्रकरण:

  • इस नीति के तहत, ’दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित रोगियों को मिलने वाली सरकारी सहायता, 15 लाख रुपए से बढाकर 20 लाख रुपए तक करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन, देखभाल करने वालों का कहना है कि यह नीति, उपचार पर होने वाले वास्तविक व्यय पर विचार नहीं करती है।
  • ’दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित रोगियों के हिमायती समूहों द्वारा जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले दुर्लभ, आनुवांशिक विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए ‘राष्ट्रीय नीति’ में वित्तीय सहायता की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।

राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति’ 2021 के प्रमुख बिंदु:

  • दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीज, शीघ्र ही ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (AB-PMJAY) के तहत एक मुश्त उपचार के लिए पात्र होंगे।
  • इस नीति के तहत, लाभार्थियों को ‘निर्धनता रेखा से नीचे’ (BPL) आने वाले परिवारों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इनको लगभग 40% आबादी तक विस्तारित किया जाएगा। योजना के तहत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के 23 मानदंडों के अनुसार पात्र लाभार्थी, तृतीय संस्तर का इलाज करने वाले केवल सरकारी अस्पताल में उपचार करा सकते हैं।
  • इस नीति के तहत, दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: एक बार के उपचार की जरूरत वाली बीमारियाँ, दीर्घकालिक किंतु सस्ते उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियाँ तथा महंगे एवं दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियाँ।

दुर्लभ बीमारियाँ’ क्या होती हैं?

  • ‘दुर्लभ बीमारी’ (rare diseases) को अनाथ बीमारी या ‘ऑर्फ़न डिजीज’ (orphan disease) के रूप में भी जाना जाता है। ये आबादी के छोटे प्रतिशत को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ होती है, अर्थात प्रायः कम लोगों में पायी जाती है।
  • अधिकांश दुर्लभ रोग आनुवंशिक होते हैं। किसी व्यक्ति में, ये रोग, कभी-कभी पूरे जीवन भर मौजूद रहते हैं, भले ही इसके लक्षण तत्काल दिखाई न देते हों।

आमतौर पर पाई जाने वाली दुर्लभ बीमारियाँ:

हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल-सेल एनीमिया और बच्चों में प्राथमिक रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी, ऑटो-इम्यून डिजीज, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर जैसे पॉम्पी डिजीज, हिर्स्चस्प्रुंग डिसीज, गौचर डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हेमांगीओमास तथा कुछ प्रकार के पेशीय विकृति रोग, भारत में प्रायः पाई जाने वाली सबसे आम दुर्लभ बीमारियों के उदाहरण है।

 प्रीलिम्स लिंक:

  1. दुर्लभ बीमारियों संबंधी भारत की नीति
  2. किन रोगों को दुर्लभ रोगों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?

मेंस लिंक:

‘दुर्लभ रोग’ क्या हैं? ये किस प्रकार फैलते हैं और इनके प्रसार को कैसे रोका जा सकता है?

स्रोत: द हिंदू

  

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA)


(The Joint Comprehensive Plan of Action)

संदर्भ:

शीघ्र ही अमेरिका और ईरान, दोनों देशों द्वारा ‘ईरान के परमाणु कार्यक्रम’ को सीमित करने वाले समझौते में वापस शामिल होने के लिए मध्यस्थों के माध्यम से वार्ता शुरू की जाएगी। ज्ञात हो कि, लगभग तीन वर्ष पूर्व, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया था।

संबंधित प्रकरण:

  • राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा, वर्ष 2018 में, अमेरिका को समझौते से बाहर कर लिया गया था। इसके अलावा, उन्होंने ईरान पर प्रतिबंधों और अन्य सख्त कार्रवाइयों को लागू करके उस पर ‘अधिकतम दबाव’ डालने का विकल्प चुना था।
  • इसकी प्रतिक्रिया में ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन और अपकेन्द्रण यंत्रों (Centrifuges) का निर्माण तेज कर दिया, साथ ही इस बात पर जोर देता रहा कि, उसका परमाणु विकास कार्यक्रम नागरिक उद्देश्यों के लिए है, और इसका उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा।
  • ईरान की कार्यवाहियों ने ‘ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों’ के संबंध में प्रमुख वैश्विक शक्तियों पर दबाव बढ़ा दिया, जिससे पश्चिम एशिया में अमेरिकी सहयोगियों और रणनीतिक साझेदारों के बीच तनाव में वृद्धि हुई।

‘ईरान परमाणु समझौते’ के बारे में:

  • इसे ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action – JCPOA) के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह समझौता अर्थात ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’, ईरान तथा P5 + 1 (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जर्मनी, और यूरोपीय संघ) के मध्य वर्ष 2013 से 2015 से तक चली लंबी वार्ताओं का परिणाम था।
  • इस समझौते के तहत, तेहरान द्वारा, परमाणु हथियारों के सभी प्रमुख घटकों, अर्थात सेंट्रीफ्यूज, समृद्ध यूरेनियम और भारी पानी, के अपने भण्डार में महत्वपूर्ण कटौती करने पर सहमति व्यक्त की गई थी।

वर्तमान में चिंता का विषय:

  • जनवरी 2020 में, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी पर ड्रोन हमले के बाद, ईरान ने ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (JCPOA) की शर्तो का पालन नहीं करने की घोषणा कर दी।
  • JCPOA के भंग होने से ईरान, उत्तर कोरिया की भांति परमाणु अस्थिरता की ओर उन्मुख हो गया, जिससे इस क्षेत्र में और इसके बाहर भी महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

इस समझौते का भारत के लिए महत्व:

  • ईरान पर लगे प्रतिबंध हटने से, चाबहार बंदरगाह, बंदर अब्बास पोर्ट, और क्षेत्रीय संपर्को से जुडी अन्य परियोजनाओं में भारत के हितों को फिर से सजीव किया जा सकता है।
  • इससे भारत को, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में चीनी उपस्थिति को बेअसर करने में मदद मिलेगी।
  • अमेरिका और ईरान के बीच संबंधों की बहाली से भारत को ईरान से सस्ते तेल की खरीद और ऊर्जा सुरक्षा में सहायता मिलेगी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. JCPOA क्या है? हस्ताक्षरकर्ता
  2. ईरान और उसके पड़ोसी।
  3. IAEA क्या है? संयुक्त राष्ट्र के साथ संबंध
  4. यूरेनियम संवर्धन क्या है?

मेंस लिंक:

संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA)  पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

हरियाणा का आरक्षण कानून


(Haryana’s quota law)

संदर्भ:

हरियाणा का ‘निजी नौकरियों में आरक्षण कानून’ जिसके तहत राज्य के लोगों के लिए निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत रोजगार के अवसर प्रदान किया गया है, 1 मई से लागू हो जाएगा।

हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार विधेयक’, 2020 के बारे में:

(Haryana State Employment of Local Candidates Bill, 2020)

  1. इस विधेयक में निजी कंपनियों में 50,000 रुपए या उससे कम कुल मासिक वेतन या मजदूरी और समय-समय पर सरकार द्वारा अधिसूचित वेतन वाली 75% नौकरियों के लिए हरियाणा का अधिवासी होना आवश्यक किया गया है।
  2. यह कानून, सरकार द्वारा अधिसूचित, सभी कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी वाली फर्म और 10 या अधिक व्यक्तियों को नियोजित करने वाला कोई व्यक्ति अथवा इकाईयों पर लागू होगा।

इस प्रकार के विधानों से संबंधित कानूनी विवाद:

  1. नौकरियों में अधिवास के आधार पर आरक्षण का सवाल: हालांकि, शिक्षा में अधिवास के आधार पर आरक्षण काफी सामान्य है, लेकिन, अदालतों द्वारा इसे लोक रोजगार संबंधित मामलों में लागू करने के खिलाफ रही हैं। यह नागरिकों को प्राप्त ‘समानता के मौलिक अधिकार’ से संबंधित प्रश्न खड़े करता है।
  2. निजी क्षेत्र के लिए रोजगार में आरक्षण का पालन करने को विवश करने का मुद्दा: लोक रोजगार में आरक्षण लागू करने के लिए, राज्य को संविधान के अनुच्छेद 16 (4) से शक्ति प्राप्त होती है। लेकिन, संविधान में, निजी क्षेत्र के लिए रोजगार रोजगार में आरक्षण लागू करने हेतु राज्य की शक्तियों के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है।
  3. यह क़ानून अनुच्छेद 19(1)(g) के मापदंडो पर न्यायिक परीक्षण का सामना करने में विफल हो सकता है।

इस प्रकार के कानून लागू करने के लिए सरकार का तर्क:

  • सभी नौकरियों में सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों का अनुपात काफी कम होता है। इसलिए, संविधान में सभी नागरिकों के लिए समानता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है, इस अधिदेश को पूरा करने हेतु विधिक सुरक्षा को निजी क्षेत्र तक विस्तारित करने के बारे में बात की जा रही है।
  • चूंकि निजी उद्योगों द्वारा कई तरीकों से सार्वजनिक अवसंरचनाओं, जैसे कि- सार्वजनिक बैंकों से ऋण प्राप्त करने हेतु सब्सिडी पर हासिल की गयी भूमि का उपयोग, कर छूट और कई मामलों में ईंधन आदि के लिए सब्सिडी आदि, का उपयोग किया जाता हैं। अतः, राज्य के पास निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी अधिकार होता है।

अन्य देशों में रोजगार के संदर्भ में इस प्रकार की सकारात्मक कार्रवाई के उदाहरण:

कई देशों में नस्लीय और लैंगिक संदर्भ में सकारात्मक कार्रवाई अपनाई जाती है।

  1. उदाहरण के लिए, अमेरिका में, हालांकि नियोक्ताओं के लिए आरक्षण लागू करने के संदर्भ में कोई वैधानिक अनिवार्यता नहीं है, फिर भी, भेदभाव के शिकार लोगों के लिए, अदालत द्वारा इस तरह की उपयुक्त सकारात्मक कार्रवाई के साथ-साथ मौद्रिक हर्जाना तथा निषेधाज्ञा राहत का आदेश दिया जा सकता है।
  2. कनाडा में एंप्लॉयमेंट इक्विटी एक्ट के अंतर्गत अल्पसंख्यक समूहों, विशेष रूप से आदिवासियों को संघीय रूप से विनियमित उद्योगों, तथा निजी क्षेत्र में भी भेदभाव से सुरक्षा प्रदान की गयी है।

चिंताएँ और चुनौतियाँ:

  1. यह क़ानून, हरियाणा में औद्योगिक विकास और निजी निवेश हेतु चुनौतियां पेश करता है।
  2. यह कुछ फर्मों के लिए मौजूदा कार्यबल को हटाने हेतु एक सुरक्षात्मक ढाल भी प्रदान कर सकता है।
  3. सर्वोत्तम मानव संसाधनों की तलाश में निवेशक और व्यवसाय राज्य से बाहर जाना शुरू कर सकते हैं।
  4. यह क़ानून, संविधान की भावना के खिलाफ है, जिसमे भारत के नागरिकों को देश में कहीं भी काम करने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. कानून का अवलोकन
  2. प्रयोज्यता
  3. क़ानून के तहत छूट
  4. इस प्रकार का कानून लागू करने वाले अन्य राज्य।

मेंस लिंक:

निजी नौकरियों में आरक्षण की नीति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: ET

 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

नामावली हेतु सामंजस्‍य प्रणाली संकेत (HSN कोड)


(Harmonized System of Nomenclature Code)

संदर्भ:

बीते वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले जीएसटी करदाताओं के लिए 6 अंको वाला ‘एचएसएन कोड’ अर्थात नामावली हेतु सामंजस्‍य प्रणाली संकेत’ (Harmonized System of Nomenclature Code– HSN Code) प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रावधान एक अप्रैल से लागू है।

‘एचएस कोड’ (HS code) का क्या अर्थ है?

यह छह अंकों का पहचान कोड होता है। छह अंकों के HS कोड में, पहले दो अंक HS खंड, अगले दो अंक HS शीर्षक तथा बाकी दो अंक HS उप-शीर्षक को प्रदर्शित करते हैं।

  • इसे विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसे वस्तुओं के लिए ‘सार्वभौमिक आर्थिक भाषा’ में व्यक्त करता है।
  • यह एक बहुउद्देशीय अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद नामावली है।
  • वर्तमान में, इस प्रणाली में लगभग 5,000 कमोडिटी समूह शामिल हैं।

आवश्यकता और महत्व:

  • इस प्रणाली का उपयोग, 200 से अधिक देशों द्वारा अपने सीमा शुल्कों, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आँकड़े एकत्र करने, व्यापार नीतियां बनाने तथा माल की निगरानी के लिए किया जाता है।
  • यह प्रणाली सीमा शुल्क और व्यापार प्रक्रियाओं के सामंजस्य में मदद करती है तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लागत को कम करती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. HSN कोड के बारे में।
  2. सुविधाएँ।
  3. प्रयोज्यता।
  4. महत्व।

मेंस लिंक:

HS कोड का क्या अर्थ है? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

नासा का इनसाइट लैंडर


(Nasa’s InSight lander)

संदर्भ:

नवंबर 2018 में लाल ग्रह की सतह पर उतरने के बाद से नासा के इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह पर 500 से अधिक भूकंप रिकॉर्ड किए हैं।

  • हाल ही में 3 और 3.1 परिमाण के दो भूकंप ‘सर्बरस फॉसा’ (Cerberus Fossae) नामक क्षेत्र में दर्ज किए गए थे।
  • ये निष्कर्ष, मंगल ग्रह के भूकंपीय रूप से सक्रिय होने की पुष्टि करते हैं।

‘इनसाइट मिशन’ के बारे में:

  • इनसाइट (InSight) मिशन, नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम का एक भाग है।
  • यह मंगल ग्रह की सतह के नीचे गहराई तक पहुँचने वाला पहला मिशन होगा, तथा यह ग्रह के ऊष्मा उत्पादन को मापकर इसकी आंतरिक संरचना का अध्ययन करेगा तथा मंगल पर आने वाले भूकंपों को सुनेगा, जोकि पृथ्वी पर आने वाले भूकंप के समान होते हैं।
  • यह, मंगल ग्रह के भूकंपों (marsquakes) से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों का उपयोग ग्रह की आंतरिक संरचना का मानचित्र बनाने के लिए करेगा।

मिशन का महत्व:

  • मंगल ग्रह की उत्पत्ति से संबंधित निष्कर्ष, पृथ्वी सहित अन्य चट्टानी ग्रहों की उत्पत्ति को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  • इनसाइट, मंगल ग्रह की सतह के नीचे गहरे खड्डों में प्रवेश करके स्थलीय ग्रह की निर्माण प्रक्रियाओं के चिह्नों का पता लगाएगा, और साथ ही ग्रह के “महत्वपूर्ण संकेत”: ग्रह का स्पंदन (भूकंपीय), “तापमान” (गर्मी प्रवाह जांच) और प्रतिबिंबों (सटीक ट्रैकिंग) की माप करेगा।

इनसाइट मिशन, विज्ञान के सबसे बुनियादी सवालों में से एक: स्थलीय ग्रह कैसे बने? के जवाब की खोज करेगा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मिशन के बारे में।
  2. उद्देश्य
  3. मंगल ग्रह पर भेजे गए मिशन
  4. पर्सवीरन्स मिशन- उद्देश्य।
  5. यूएई के ‘होप’ और चीन के तियानवेन -1 अंतरिक्ष यान के बारे में।

स्रोत: toi 



सोशल मीडिया बोल्ड है।

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 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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