सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोटर वाहन दुर्घटना मुआवजा का निर्धारण करते वक्त बेहतर भविष्य की संभावनाओं और जीवन एवं कैरियर में उपलब्धियों के लिए मल्टीप्लायर विधि का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस मामले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने 21 लाख 92 हजार रुपये मुआवजा राशि का निर्धारण किया था। हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की ओर से दायर की गयी अपील मंजूर करते हुए मुआवजा राशि घटाकर तीन लाख 40 हजार रुपये कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील के दौरान दावाकर्ता - अपीलकर्ता ने 'एरुधाया प्रिया बनाम स्टेट एक्सप्रेस ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड' मामले में दिये गये फैसले का उल्लेख किया था, जिसमें यह कहा गया था कि दुर्घटना में मौत होने या स्थायी रूप से विकलांगता हासिल करने के कारण आय में हुई क्षति के निर्धारण के लिए गुणक विधि तार्किक रूप से बेहतर और कानूनी तौर पर स्थापित प्रयास है। दावाकर्ता ने दलील दी थी कि मौजूदा मामले में भी पीड़ित की स्थायी विकलांगता 40 प्रतिशत है, ऐसे में इस सिद्धांत को भी लागू किया जाना चाहिए, जबकि उसे भविष्य की संभावनाओं के नाम पर कुछ भी मंजूर नहीं किया गया है।
बेंच ने कहा, "हमारा मानना है कि 'संदीप खंडुजा मामला' और 'एरुधाया प्रिया' मामले के मद्देनजर इस मुद्दे पर निर्णय को अब कुछ बचा नहीं है और गुणक विधि का इस्तेमाल भविष्य की संभावनाओं एवं जीवन और कैरियर में तरक्की के निर्धारण के लिए किया जाना चाहिए। इस प्रकार यह सिद्धांत लागू होगा तथा बीमा कंपनी के वकील इसके विपरीत गंभीर तर्क नहीं दे सकते हैं।" कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दावाकर्ता की उम्र 34 वर्ष होने पर विचार करते हुए गुणक 16 होगा। कोर्ट ने व्यवस्था दी कि हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित तीन लाख 40 हजार रुपये के आदेश के अलावा दावाकर्ता को 'कमाने की क्षमता' और 'भविष्य की संभावनाओं' के मद में 21 लाख 60 हजार रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अपील मंजूर करते हुए कहा कि जहां तक ब्याज की बात है तो यह दर नौ प्रतिशत वार्षिक होगी। केस : कार्तिक सुब्रमण्सम बनाम बी. सरत बाबू [ सीए 799–800 / 2021 ] कोरम : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता वकील : एडवोकेट गरिमा जैन, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अमृता स्वरूप साइटेशन : एलएल 2021 141
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(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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