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मुर्गियां दफनाने के बाद पहली बार हुए थे क्वारेंटाइन

जिले में पहली बार बर्ड फ्लू यानी एवियन इन्फ्लूएंजा का मामला सामने आया है। इससे पहले 19 फरवरी 2006 को महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर गांव की मुर्गियों में बर्ड फ्लू का वायरस मिलने के बाद पूरे राज्य में यह तेजी से फैला। महाराष्ट्र बार्डर स्थित इच्छापुर में मुर्गियों की मौत होने लगी। यहां पॉजिटिव केस आते ही बुरहानपुर-खंडवा का प्रशासन हरकत में आया। उस समय बुरहानपुर नया जिला बना था। तब खंडवा का ही स्वस्थ्य विभाग व पशु विभाग का अमला इच्छापुर पहुंचा।
बुरहानपुर में मप्र व केंद्र की टीम ने हेड क्वार्टर बनाया। जहां पॉजिटिव केस मिले, उस क्षेत्र में तीन किमी एरिया की पोल्ट्री दुकानें सील कर मुर्गियों को मार दिया गया। उस समय सभी के पास मोबाइल नहीं हुआ करते थे। सभी लोग एक-दो दिन की ड्यूटी के हिसाब से इच्छापुर पहुंचे थे। मुर्गियों को मारने के बाद हमें बोला गया कि आपको क्वारेंटाइन रहना पड़ेगा। आप अपने घर नहीं जा सकते, न ही किसी से मुलाकात कर सकते हैं। तब हम बुरहानपुर, इच्छापुर, शाहपुर की होटल, लॉज व धर्मशालाओं में रहे। चूंकि वायरस का खतरा बढ़ने की आशंका थी। इसलिए रिस्क लेना मुश्किल था। तब हमारे पास कपड़े बदलने के लिए नहीं थे और न ही अतिरिक्त रुपए साथ ले गए थे। खंडवा व बुरहानपुर के तत्कालीन कलेक्टर-एसपी टीम के साथ काम कर रहे थे।

मुर्गियों को दफनाने के लिए 7 हजार गड्ढे खोदे थे

2006 में भी रेपिड रिएक्शन टीम (आरआरटी) बनाई गई थी। जैसी अभी वर्तमान में बनाई है। लोगों को जागरुक करने के लिए दिन-रात गांवों का दौरा करते थे। घर नहीं जाते थे। जहां भी रात हो जाती वहीं पर सो जाते थे। उस समय सतत दौरे किए। महाराष्ट्र के रास्ते अवैध रूप से आने वाले पोल्ट्री वाहनों से मुर्गा-मुर्गियां जब्त कर नष्ट करते थे। इच्छापुर और आसपास के क्षेत्र में मुर्गियों को दफनाने के लिए 7 हजार गड्ढे खोदे गए थे। पोल्ट्री परिवहन पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। पूरा ऑपरेशन अच्छे से किया। बुरहानपुर से आगे बर्ड फ्लू को फैलने नहीं दिया। क्योंकि यहीं से पूरे प्रदेश में संक्रमण फैलता। हमने बार्डर पर ही उसको खत्म किया। खंडवा में बर्ड फ्लू को आने नहीं दिया। यहां पूरी तरह से एहतियात बरती गई। खंडवा में बर्ड फ्लू संक्रमण का पहला मामला है।

बढ़ता खतरा... रविवार को 21 पक्षियों की मौत

तोता व चमगादड़ पर अटैक

खंडवा| बर्ड फ्लू यानी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस तोता, चमगादड़ में भी पहुंच गया है। रविवार को 21 पक्षियों ने दम तोड़ा। जिनमें 17 कौएं, 1 तोता, 2 कबूतर व एक चमगादड़ शामिल है। मृत पक्षियों के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं।
रविवार को शहर के विभिन्न स्थानों पर 17 कौओं की मौत हुई, जिनमें 2 देशगांव, 2 छैगांव, 1 अहमदपुर, 4 डोंगरगांव, 1 बोरगांव, 1 रुस्तमपुर व स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार-पांच पर 5 कौओं के मरने पर अधिकांश को कुत्ते खा गए। एक कुत्ते के शव के अवशेष मिलने से अंदेशा लगाया जा रहा है कि प्लेटफार्म पर पिछले कुछ दिनों से कौओं व बगुलों की मौत होने पर उन्हें कुत्ते खा रहे थे। इसलिए कुत्तों की मौत हो रही है। जानकारी मिलते ही डॉ. प्रदीप गोलकर मौके पर पहुंचे। कुत्ते के शव को प्लास्टिक बैग में रखने के बाद ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया।

6 मुर्गियों के सैंपल भेजे
ग्राम रजूर में मुर्गियों की रहस्यमयी मौत होने पर पशु चिकित्सा विभाग ने मुर्गियों के सैंपल भोपाल जांच के लिए भेजे है। रिपोर्ट आना बाकी है।

यह है एवियन इन्फ्लूएंजा
सभी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते। कुछ वायरस इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं। एवियन इन्फ्लूएंजा एच5एन8 वायरस, जिसे सामान्य तौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है, उनमें से एक है। यह श्वसन प्रणाली में संक्रमण पैदा कर सकता है।



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Quarantines were the first time after hens were buried


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