यह कार्यक्रम शुरुआत में 31 दिसंबर 2020 को होना था, लेकिन पुलिस द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. 2017 में भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में किया गया था. इसके अगले दिन यहां हिंसा भड़क उठी थी.
नई दिल्लीः पुलिस की मंजूरी के बाद आने वाले महाराष्ट्र के पुणे में 30 जनवरी को एल्गार परिषद का कार्यक्रम होने जा रहा है. कार्यक्रम में बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति रॉय और पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन मुख्य वक्ता होंगे.
फ्रंटलाइन पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ समूह द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम शुरुआत में 31 दिसंबर 2020 को होना था, लेकिन पुलिस द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था.
‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ समूह ने 22 जनवरी को फेसबुक पोस्ट पर इसकी पुष्टि कर कहा कि कार्यक्रम का आयोजन पुणे के स्वारगेट इलाके में गणेश क्रीडा कला मंच में होगा.
फेसबुक पोस्ट में कहा गया, ‘एल्गार परिषद के आयोजकों ने पुणे के पुलिस आयुक्त आईपीएस अमिताभ गुप्ता से मुलाकात की और पुणे पुलिस ने ‘एल्गार परिषद 2021’ कार्यक्रम की मंजूरी दे दी.’
2017 में भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में किया गया था.
एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में दलित समुदाय के लाखों लोग इकट्ठा हुए थे, इस दौरान हुई हिंसा में एक की मौत हो गई थी जबकि कई घायल हो गए थे.
इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा शुरू की गई जांच के दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों से पूछताछ की गई और यूएपीए के तहत उन्हें जेल भेजा गया था.
इस आयोजन के प्रमुख आयोजकों में से एक और इस साल के मुख्य वक्ता बॉम्बे हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल का कहना है, ‘जेल में बंद कार्यकर्ताओं की स्थिति बहुत गंभीर है. हमें लड़ाई जारी रखनी होगी अन्यथा कई और कार्यकर्ताओं को भी एल्गार मामले में निशाना बनाया जाएगा. हमारा उद्देश्य यह सिद्ध करना है कि एल्गार वामपंथी एजेंडे का हिस्सा नहीं है, जैसा कहा जा रहा है.’
भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान द्वारा जारी किए गए पैम्फलेट के मुताबिक, दिवंगत दलित छात्र रोहित वेमुला के भाई राजा वेमुला भी इस अवसर पर वक्ता होंगे.
समूह ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि कार्यक्रम के लिए 30 जनवरी की तारीख का चुनाव करने का एक कारण यह है कि इस दिन रोहित वेमुला की वर्षगांठ है.
इसी दिन जनवरी 2016 में रोहित ने आत्महत्या की थी. रोहित की आत्महत्या के बाद हैदराबाद यूनिवर्सिटी में जातिगत भेदभाव को लेकर सवाल उठाए गए थे.
इन पैम्फलेट में दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों के प्रदर्शन और लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दशा पर भी रोशनी डाली गई है.
इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में जेल में बंद गुजरात के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी और बेटी श्वेता और आकाशी भट्ट, अपने ट्वीट को लेकर यूपी पुलिस द्वारा दो बार जेल भेजे गए पत्रकार प्रशांत कनौजिया, दिसंबर 2019 में सीएए के विरोध में जामिया मिलिया में प्रतिरोध का चेहर बनीं लादीदा सखालून और आयशा रेना एन, छात्र नेता शरजील उस्मानी, पायल तड़वी की मां आबेदा तड़वी, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के पिता एसक्यूआर इलियास हैं.
इसके साथ अन्य वक्ताओं में डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर रणदीप मधुक और कार्यकर्ता सत्यभामा सूर्यवंशी हैं. इसके अलावा कार्यक्रम में कबीर कला मंच के कलाकार और पंजाब के गायक बंत सिंह परफॉर्म करेंगे.
बता दें कि एक जनवरी, 2018 को पुणे के निकट भीमा कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद हिंसा भड़की थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.
उसके एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को पुणे के ऐतिहासिक शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद का सम्मेलन आयोजित किया गया था. पुलिस का आरोप है कि सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों और बयानों के कारण भीमा-कोरेगांव गांव में एक जनवरी को हिंसा भड़की थी.
अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंजाल्विस को गिरफ़्तार किया था.
महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं. इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2018 में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से माओवादियों के कथित संबंधों की जांच करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था.
केंद्र ने 24 जनवरी को इस मामले को पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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