मप्र हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रिश्वत देना भी अपराध है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने कोर्ट में प्यून की नौकरी के लिए रिश्वत देने वाले पाँच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। एकलपीठ ने यह निर्णय रिश्वत लेने के आरोपी की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए दिया है।
यह है मामला
यह अग्रिम जमानत याचिका रांझी थाना अंतर्गत पनेहरा पेट्रोल पंप के समीप निवासी और दतिया जिला कोर्ट में प्यून के पद पर कार्यरत टीकाराम शर्मा की ओर से दायर की गई थी। याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्यून बनाने के लिए कंचन चौरसिया, कीर्ति चौरसिया, लाल साहब साहू, शिल्पा कोरी और तरुण कुमार साहू से 1 लाख 95 हजार रुपए की रिश्वत ली है।
इसके बाद पाँचों लोगों को प्यून के पद पर नियुक्ति का फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिया। शिकायत पर उसके खिलाफ सिविल लाइन्स थाना जबलपुर में धारा 419, 420, 467 और 471 का अपराध पंजीबद्ध किया गया है। अधिवक्ता अशोक कुमार चौरसिया ने तर्क दिया कि आरोपी को झूठा फँसाया है, इसलिए उसे अग्रिम जमानत दी जाए।
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