देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के बीच मप्र के किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब मंडी से बाहर निजी मंडियों में किसान की फसल खरीदकर कोई भी खरीददार भाग नहीं पाएगा। किसान को उपज की कीमत दिलाने की जिम्मेदारी मंडी बोर्ड की होगी। राज्य सरकार नए मंडी एक्ट में किए गए संशोधन में यह व्यवस्था करने जा रही है।
नई व्यवस्था के तहत निजी अस्थायी खोली जाने वाली मंडियों में किसान की उपज खरीदने के लिए व्यापारी या निजी कंपनी का मंडी बोर्ड में रजिस्ट्रेशन होगा और टर्न ओव्हर के हिसाब से सिक्योरिटी जमा करना होगा। उसके बाद ही वह किसानों की उपज की खरीद कर पाएंगे।
प्रदेश में नया मंडी एक्ट 31 मई को लागू हो गया है जिसमें निजी मंडियां खोली जा सकती है। लेकिन इसमें संशोधन कर निजी मंडियों में भी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। यह व्यवस्था विधानसभा में मंडी एक्ट में संशोधन के बाद लागू हो जाएगी।
धोखाधड़ी का सवाल ही नहीं
निजी मंडियों में रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था होगी। किसान जो फसल बेचता है, उसे उसकी उपज की कीमत मिलेगी, उसके साथ किसी तरह की कोई धोखाधड़ी होने का कोई सवाल ही नहीं है।
कमल पटेल, कृषि मंत्री
प्रदेश में कई जगह से शिकायत आई थी कि मंडी के बाहर किसानों ने अनाज बेचा और खरीददार भाग गया। इस तरह के मामलों की पुनर्रावृत्ति न हो। किसानों के साथ कोई धोखाधड़ी न हो। इसके लिए सरकार से नए कानून में संशोधन करने को कहा था जिसे मान लिया गया है।
महेश चौधरी, संगठन मंत्री, भारतीय किसान संघ मप्र-छत्तीसगढ़
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