रेत खनन की मॉनिटरिंग को सख्त करने के लिए राज्य सरकार ने तय किया है कि अब रेत का भंडारण खदान से पांच किमी दूर से लेकर 8 किमी तक ही किया जा सकेगा। ठेकेदार हर कहीं रेत नहीं रख पाएगा। रेत भंडारण के लिए पहले प्रावधान था कि वे खदान से दो किमी दूर से लेकर पांच किमी तक ही रेत रख पाते थे। इसके साथ ही यह भी तय हुआ है कि तीन साल के लिए मिलने वाली खदान की मियाद की गणना आशय-पत्र जारी होने के दिन से होगी। कैबिनेट ने रेत नियम 2019 में किए गए उपरोक्त संशोधन को मंजूरी दे दी।
रिक्त खदानों से सरकारी कामों के लिए रेत मिलेगी
सरकारी निर्माण कार्यों के लिए रेत की आपूर्ति अब रिक्त खदानों से होगी। कैबिनेट ने तय किया कि ऐसे जिले जहां पर रेत खनिज के समूह की खदानें रिक्त है, वहां पर शासकीय विभागों को रेत खनन की अनुमति मिलेगी।
बकाया वसूली के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम
खदानों की लीज या खनिज की राॅयल्टी जो साठ साल से बकाया है, उसकी वसूली के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को भी मंजूरी मिली है। योजना में वर्ष 1960-61 से वर्ष 2009-10 तक के बकाया में ब्याज की छूट दी गई है। वर्ष 2010-11 से वर्ष 2017-18 तक 5 लाख रुपए के बकाए पर संपूर्ण ब्याज की छूट है।
पांच लाख से ज्यादा बकाया है इसके ब्याज में 18% की छूट दी गई हैं। छूट के बाद मूल बकाया राशि 43 करोड़ 81 लाख रुपए के विरुद्ध ब्याज सहित 45 करोड़ 14 लाख की वसूली सुनिश्चित हो सकेगी। यह योजना 31 जनवरी 2021 तक ही लागू रहेगी।
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