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सिर में 46 छर्रों का दर्द झेल रहे अंधे तेंदुए को ट्रेनिंग, ताकि ले सके खुली हवा में सांस

आंखों की रोशनी खो चुका 7 साल का तेंदुआ ‘इंदर’ सिर में धंसे 46 छर्रे का दर्द भूलकर जीवन जीना सीख रहा है। ये दर्द उसे छह माह पहले शिकारियों से मिला था। किस्मत अच्छी थी, इसलिए जान बच गई, लेकिन अमानवीयता ने उसे जीवनभर के लिए अंधा बना दिया। इंदर को वन विहार में सामान्य जीवन जीने की ट्रेनिंग दे जा रही है।

शुरुआत में कुछ परेशानी आई, लेकिन धीरे-धीरे इंदर ने भी जीवन जीना शुरू कर दिया है। वह आसानी से बाड़े में जा सके इसके लिए भी उसे ट्रेंड किया जा रहा है। महज दो माह में ही इंदर ने अपने कीपर्स और आसपास के वन्यप्राणियों की आवाज पहचाना सीख लिया है।

गौरतलब है कि 10 जुलाई को इंदौर के नयापुर के पास से जब इस तेंदुए को रेस्क्यू किया गया था, तब उसके सिर में 46 छर्रे धंसे हुए थे, जिसके कारण उसका तंत्रिका तंत्र पूरी तरह डैमेज हो गया था।

इंदौर से भोपाल तक का सफर

  • 10 जुलाई 2020 - इंदौर के नयापुर में जख्मी हालत में मिला था 7 साल का तेंदुआ।
  • 21 सितंबर 2020- भोपाल लाया गया। सीटी स्कैन हुआ। सिर में छर्रे धंसे होने की पुष्टि। उसी दिन इंदौर शिफ्ट।
  • 10 अक्टूबर 2020- फिर उसे इंदौर से भोपाल लाया गया। वन विहार नेशनल पार्क में अलग हाउसिंग में रखा गया है।

तंत्रिकातंत्र को नुकसान पहुंचा, आंखों की रोशनी चली गई
इंदर के सिर में 46 छर्रे लगे हैं, जिसके उसके तंत्रिका तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचा है। आंखों की रोशनी चली गई है। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने तेंदुए की सर्जरी करने वेटरनरी कॉलेज महू, स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ एंड हेल्थ जबलपुर और हैदराबाद के वन्यप्राणी विशेषज्ञों से सलाह मांगी थी। उन्होंने इसका ऑपरेशन करने से मना कर दिया।

भोजन के सहारे से कर रहे हैं ट्रेंड
वन्य प्राणियों को दो तरह से ट्रेंड किया जाता है। पहले खाने के माध्यम से और दूसरा भय से। तेंदुए को दिखाई नहीं देता इसलिए भय के माध्यम ट्रेंड नहीं किया जा सकता। इसे ट्रेंड करने के लिए भोजन का सहारा लेना पड़ेगा। वन्य प्राणियों में सूंघने और सुनने की क्षमता अधिक होती है। ट्रनिंग के दौरान इस क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद यह तेंदुआ एक सामान्य तेंदुए की तरह बाड़े में रह सकेगा।

वन विहार : 15 दिन में ही सूंघकर दूसरी जगह पर रखा मांस खोजा डरा-डरा सा रहता था इंदर
वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एके जैन ने बताया कि इंदर हाउसिंग में डरा-डरा रहता था। उसका विश्वास जीतने के लिए एक कीपर शर्मानंद गैरे को उसके पास भेजा गया। वह हाउसिंग में रहकर उसके साथ बातें करता। धीरे-धीरे वह कीपर के नजदीक रहने का आदी हो गया और आवाज पहचानने लगा है।

ऐसे शुरू हुई ट्रेनिंग
इंदर को पहले मुंह के नजदीक मांस और पानी रखा जाता था। ट्रेनिंग के दौरान खाने-पीने के बर्तन की जगह बदली। दो दिन तक कुछ खाया-पीया नहीं। इसके बाद मांस को सूंघते हुए उसके पास पहुंचा। बगल में रखा पानी पिया। 15 दिन का वक्त लगा। अब बाहर खाना दिया गया। बाड़े से परिचित कराया। 10 दिन में वह पूरे बाड़े में घूमने लगा। कीपर की आवाज पर अब वह गुर्रा कर रिप्लाई करता है।

रखा जाएगा उसके बाजू में मादा तेंदुए को : जैन ने बताया कि इंदर के बाजू में मादा तेंदुए को रखने का निर्णय लिया है। ताकि उसे लगे वह सुरक्षित इलाके में है। रात में कई बार टाइगर और सिंह की दहाड़ आने से वह डर जाता है।



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इंदौर के नयापुर में जख्मी हालत में मिला था 7 साल का तेंदुआ।


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