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फेर से बचने के लिए डोंगी में सवार हो 200 फीट दूरी तय करने का जोखिम उठाया, नतीजा सभी की मौत

गुरुवार को कानड़ से करीब 9 किमी दूर टिल्लर डेम में बड़ा हादसा हो गया। यहां मान उतरई के कार्यक्रम में शामिल होने जा रही दो महिलाओं सहित 3 बच्चों की डूबने से मौत हो गई। हादसा डोंगी डूबने के कारण हुआ। मृतक सभी पांचों डोंगी में सवार होकर टिल्लर डेम का करीब 200 फीट हिस्सा पार कर पचेटी मंदिर जा रहे थे।

जानकारी के मुताबिक राकमन्या पति जगदीश और सुनीता पति रामप्रसाद दोनो अपने तीन बच्चे जया, अलका और अभिषेक के साथ अपने गांव लाखाखेडी से करीब 4 किमी दूर पचेटी माता मंदिर जा रही थी। इस दौरान बीच में जमा टिल्लर डेम के 200 फीट पानी की हिस्से को पार करने के लिए सभी वहां पड़ी डोंगी (छोटी नाव) में सवार हो गए। रास्ता पार करते हुए डोंगी डूबने के कारण सभी की मौत हो गई। इधर, सुबह 10 से घर से निकली दोनो महिलाओं व बच्चों का कार्यक्रम स्थल पर परिजन इंतजार करते रहे। इधर, दोपहर करीब 3 बजे एक मछुवारा डेम पर पहुंचा।

जिसे पानी में तैरते हुए दो शव दिखाई दिए। इस पर मछुआरे ने आवाज लगाकर ग्रामीणों को बुलाया। खेत पर सिचाई करने वाले ग्रामीणों के साथ ही आवाज सुनकर उक्त महिलाओं के परिजन भी वहां आए। पानी में तैरती रामकन्या व जया का शव देख परिजन बिलख पड़े। उन्होंने कहा इनके साथ तो तीन सदस्य और थे।

तब कहीं जाकर तीन अन्य की खोजबीन शुरू हुई ओर देरशाम सभी का शव बाहर निकाला जा सका। दुर्घटना में मृत बालक अभिषेक 5वी कक्षा में पढ़ता था, तो बालिका जया व अलका ने इस बार 5वी पास की थी। सभी का शव रात को ही आगर अस्पताल पहुंचा दिया। जिनका गुरुवार को पीएम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

परिजन बाइक से गए, बच्चे व महिलाएं डोंगी में बैठे

मृतक महिलाएं व बच्चों के अलावा परिवार के अन्य सदस्य बाइक पर सवार होकर पचेटी पहुंच गए थे। बाकी महिलाएं व बच्चे डोंगी में सवार होकर जा रहे थे। तभी यह हादसा हो गया और पहले पचेटी पहुंच चुके परिजनों को इसकी जानकारी ही नहीं लगी।

दल ने शाम साढ़े सात बजे तक तीन शव निकाले

पानी के उपर तैरते दो शवों को निकालने के बाद दोपहर बाद करीब 4.30 बजे पुलिस को सूचना दी। इसके बाद एएसपी नवलसिंह सिसौदिया, कमांडेट हर्ष कुमार जैन अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। शाम करीब 6 बजे से दल ने रैश्क्यू शुरू कर दिया और डेढ़ घंटे में शाम 7.30 बजे तक पानी में डूबे तीनों शवों को बाहर निकाल लिया।

नाव से रास्ता पार करना बना हादसे का कारण

ग्राम लाखाखेड़ी कि जिस बस्ती में मृतक महिलाएं व बच्चों का परिवार रहता है, उस बस्ती से सड़क सिर्फ 500 मीटर दूर है, लेकिन उस सड़क तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को 12 किमी का लंबा चक्कर तय करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क तक जाने के लिए लाखाखेडी से ग्राम मेंढ़की, मानाखोरी व पहाड़ी के रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है, इसलिए इस बस्ती के यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर डोंगी से ही आना जाना करते हैं।

कई बार पुलिया बनाने की मांग कर चुके है ग्रामीण

पचेटी के निवासी व जनपद सदस्य होकमसिंह गुर्जर ने बताया लाखाखेडी के ग्रामीणों को मजबूरन डोंगी के सहारे ही रास्ता पार करना पड़ता है। दूसरा रास्ता है लेकिन 12 किमी का लंबा चक्कर है। इस कारण जान जोखिम में डालकर ही रास्ता पार करते है। कई बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत कराया गया। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों की मांग मान ली जाती और यहां पुलिया बना दी जाती तो यह हादसा नहीं होता।

20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की

आगर मालवा कलेक्टर अवधेश शर्मा ने बताया उक्त गांव का रास्ता दूसरी तरफ से है, लेकिन शार्टकट के कारण ग्रामीण ढोंगी से रास्ता पार करते है। वहीं की पूरी जानकारी ली जा रही है। फिलहाल शवों को बाहर निकालकर परिजनों की अंत्येष्टी के लिए सहायता प्रदान कर दी है। सभी मृतकों के लिए 4-4 लाख की आर्थिक सहायता राशि भी तत्काल स्वीकृत की जा चुकी है। ग्रामीणों की उक्त परेशानी को लेकर भी जांच की जाएगी।



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नाव से रास्ता पार करना बना हादसे का कारण


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