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कुंदा में शाहपुरा का ठेका, नावघाट की रेत निकाल रहे, 150 से ज्यादा खेतों का रास्ता बंद

जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर मांगरूल में रेत ठेकेदार एजेंसी आरके गुप्ता छतरपुर के लोगों ने 150 से ज्यादा किसानों का खेत का रास्ता रोक दिया है। इसके चलते मंगलवार को किसानों ने हंगामा कर दिया। किसानों का आरोप है कि सरकारी नियमानुसार शाहपुरा का ठेका है, लेकिन ठेकेदार के लोग कुंदा क्षेत्र में मांगरूल, भाडली व नावघाट क्षेत्र में खनन कर रहे हैं। लगातार आठ दिन से रात में खनन कर रास्ता रोक दिया है। मांगरूल में सुबह 11 बजे किसान रामसिंह सोलंकी, भारतसिंह सोलंकी, अकलीम खान, मजीद खान, नूर मोहम्मद ने काम रोककर शिकायत की।
उन्होंने बताया हमारा रास्ता रोक दिया गया है। खनन कर रहे दिनेश यादव व अन्य लोगों को काम बंद करने को कहा। नियमानुसार शाहपुरा में ठेका है। रेत खनन ठेके शाहपुरा की बजाय भाडली के नावघाट में कर रहे है। किसानों ने विरोध के साथ पुलिस व खनिज अधिकारी को सूचना दी। खनिज निरीक्षक रीना पाठक, पुलिस व राजस्व टीम पहुंची। मशीनें बंद कराई। किसानों का आरोप है कि न तो तहसीलदार ने सीमांकन किया है और न ही कोई सूचना बोर्ड लगाया। राॅयल्टी के लिए अमला भी तैनात नहीं। ठेकेदार व खनिज अफसर मिलीभगत से खनन कर रहे हैं। जांच होना चाहिए।
ठेकेदार आरके गुप्ता से जुड़े दिनेश यादव ने कहा कि हमारे पास ठेका स्वीकृत है। कोई रास्ता नहीं रोका है। सभी को राॅयल्टी दे रहे हैं। प्रभारी खनिज अधिकारी सावनसिंह चौहान का कहना है कि काली रेत के लिए खरगोन के शाहपुरा, गोगावां, गोगावां के तीतपुर, उमरखली में चार खदानें खदानें स्वीकृत है।

रात में हुआ खनन, दिन में परिवहन
किसान रामसिंह, अकलीम खान ने बताया कि रात में खनन होता है। यहां 5 जेसीबी से रातभर खनन कर रही है। दिन में ट्रैक्टर-ट्रॉली व डंपर गांव से निकलते हैं। रॉयल्टी भी नहीं देते हैं। केवल टोकन दे रहे हैं। कुछ लोगों को गोगावां खदान की रॉयल्टी की रसीद दी जाती है। जबकि रेत कुंदा के नावघाट क्षेत्र की होती है।

खनिज निरीक्षक ने चालू कराई मशीनें
ग्रामीणों का कहना है मौके पर पहुंची खनिज निरीक्षक रीना पाठक ठेकेदार का पक्ष ले रही है। बताया नावघाट का ठेका स्वीकृत है। जबकि खनिज अधिकारी चौहान का कहना है ठेका शाहपुरा का है। ग्रामीणों का आरोप है कुछ दिन पहले निरीक्षक पाठक ने खुद यहां जेसीबी मशीनें चालू कराई। कहा यहां खदान का ठेका है।

मकान बनाना महंगा

काली रेत की राॅयल्टी 1800 रुपए हुई
ठेकेदार ने रेत की राॅयल्टी 1800 रुपए तय की है। इसमें राॅयल्टी के अलावा धुलाई व ट्राॅली में भरवाने की राशि अलग है। एक ट्रैक्टर-ट्रॉली 4 हजार से 4500 रुपए में बेची जा रही है। महंगाई के कारण प्रधानमंत्री आवास से लेकर निजी मकान निर्माण अटके हैैं। काली रेत की जगह बालू रेत का ही उपयोग करना शुरू करेंगे। गोगावां में 2, उमरखली व खरगोन 1-1 खदान हैं। दो माह से रेत नहीं मिलने से बारीक चूरी का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह रेत जैसा उपयोगी नहीं है।

नावघाट का नहीं शाहपुरा का है ठेका
^ आरके गुप्ता छतरपुर की कंपनी का ठेका हुआ है। रेत खदान पर ही खनन होगा। अन्य जगह नहीं। अन्य जगह खनन मिलने पर कार्रवाई होगी। मांगरूल के नावघाट का नहीं, शाहपुरा का ठेका है।
- सावनसिंह, प्रभारी खनिज अधिकारी



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Shahpura contract in Kunda, removing sand of Naaghat, road closed to more than 150 farms


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