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अप्रैल के बाद अस्पताल में मरीजों से पंजीयन शुल्क की वसूली शुरू

कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद शासन ने सरकारी अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों से पंजीयन शुल्क नहीं वसूलने के आदेश दिए थे ताकि मरीज सरकारी अस्पतालों में जांच के लिए पहुंचे। 5 अप्रैल 2020 को जारी इस आदेश के बाद पंजीयन शुल्क नहीं लिया जा रहा था। लेकिन अब फिर वसूली शुरू की गई है। जबकि कोरोना का प्रभाव फिर बढ़ता नजर आ रहा है। एक सप्ताह से अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों से 10 रुपए पंजीयन शुल्क लिया जा रहा है। सामान्य दिनों में रोजाना 300 से अधिक अस्पताल पहुंचते थे। वर्तमान में दिनभर में 150 मरीज भी नहीं पहुंच रहे हैं। नगर के राजेश चौहान ने कहा अस्पताल में संसाधनों की भी कमी है। प्रसूताओं को संसाधन नहीं होने की बात कहकर खरगोन रैफर किया जा रहा है। प्रबंधन पहले सुविधाएं व संसाधन जुटाए फिर पंजीयन शुल्क की वसूली करें। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए भी यह वसूली नहीं की जानी चाहिए।

इधर... आदेश आने के पहले से वसूली शुरू
झिरन्या | सरकारी अस्पताल में ओपीडी व आईपीडी शुल्क वसूली को लेकर आदेश आने के पहले से ही मरीजों से राशि ली जा रही है। जबकि आदिवासी अंचल के कई अस्पताल समय पर खुलते ही नहीं है। यहां भी 5 अप्रैल से पंजीयन शुल्क नहीं लेने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद भी मरीजों से रोगी कल्याण समिति ने राशि वसूली की। भांगड़ा रामसिंह, सीमा, ज्योति, धरमू आदि ने बताया 15 दिन पहले भी उनसे पर्ची के नाम पर 5 व 20 रुपए लिए। बीएमओ का कहना है शासन के आदेश पर ही शुल्क लिया जा रहा है। हेलापड़ावा व रायलबेड़ा के अस्पताल में स्टॉफ की कमी है। व्यवस्था की जा रही है।



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