नगर निगम में निर्णय लेने से पहले शायद कोई सोच-विचार नहीं होता। ताजा उदाहरण गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में कचरा ट्रांसफर स्टेशन निर्माण का है। करीब एक महीने पहले नगर निगम ने यहां निजी भूमि पर ट्रांसफर स्टेशन का निर्माण शुरू कर दिया था। जब मामला बढ़ा तो दूसरा स्थान तलाशा गया, लेकिन इस बार जिस स्थान का चयन हुआ है, वह रहवासी क्षेत्र के करीब है। नतीजा- रहवासियों ने विरोध शुरू कर दिया है। पिछले दिनों इन रहवासियों ने स्थानीय विधायक कृष्णा गौर से मुलाकात की थी। इसके बाद वे लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिस स्थान पर यह ट्रांसफर स्टेशन बन रहा है उसके पास में योजना विहार और चाणक्य पुरी दो कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में लगभग 150 परिवार रहते हैं। कॉलोनीवासियों का कहना है कि ट्रांसफर स्टेशन बन जाने से उनके घरों में 24 घंटे बदबू आएगी। उनके लिए यहां रहना मुश्किल हो जाएगा। इस ट्रांसफर स्टेशन पर कचरा लेकर गाड़ियां मीनाल रेसीडेंसी के भीतर से मॉल के सामने से होते हुए आएंगी। यदि जेके रोड वाला रास्ता अपनाया तब भी मार्केट के सामने से गाड़ी निकलेगी, जो परेशानी का सबब बनेगा।
विवाद बढ़ा तो... खोजने लगे नया स्थान
विमर्श होना चाहिए- पूर्व पार्षद संजय वर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों में हर पहलू व हर पक्ष से विमर्श करके निर्णय लिया जाना चाहिए। कम से कम निगमे रहवासियों से ही एक बार चर्चा कर लेता तो अब यह स्थिति नहीं आती।
वैकल्पिक स्थान सुझाने के लिए कहा- विवाद बढ़ने पर नगर निगम प्रशासन ने रहवासियों से ही वैकल्पिक स्थान सुझाने के लिए कह दिया। पूर्व पार्षद वर्मा ने एएचओ विजेंद्र गुप्ता के साथ दो नए स्थान देखे हैं। एक दामखेड़ा में एसटीपी के पास और दूसरा औद्योगिक क्षेत्र में कोलुआ के पास।
इंदौर में तो कॉलोनियों के भीतर ही बने हैं ट्रांसफर स्टेशन
पहले वाले स्थान पर जरूर विवाद की स्थिति थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ट्रांसफर स्टेशन से बदबू आने की बात का कोई आधार नहीं है। वहां कचरा ठहरता नहीं है। प्रस्तावित ट्रांसफर स्टेशन रहवासी क्षेत्र से 300 मीटर से ज्यादा दूर है। इंदौर में तो कॉलोनियों के बीच में स्टेशन बने हैं। अंतिम निर्णय कमिश्नर लेंगे।
-शाश्वत सिंह मीणा, अपर आयुक्त (नगर निगम)
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