शहर में कोरोना के दूसरी लहर के बीच एक राहत देने वाली खबर है। कोविड के इलाज में जिन इंजेक्शनों और दवाइयों का इस्तेमाल जीवन रक्षक के रूप में किया जाता रहा है, वे अब मरीजों के परिजनों को कम रेट पर उपलब्ध हो सकेंगे। इन्हें बनाने वाली कंपनियों ने दवा बाजार में इनका भरपूर स्टॉक विभिन्न ऑफर के साथ स्टॉकिस्ट को दे रहे हैं। कंपनियों ने दाम भी घटाए हैं। रेमडेसेवियर, लोमॉल्यूक्यूलर हैपारिन जैसे इंजेक्शन और फेबीफ्लू जैसी दवाईयों के रेट कंपनियों ने घटाए हैं।
इंजेक्शन और दवाइयों के दाम कैसे हुए कम
सुमी फॉर्मा के संचालक और कोविड की दवाइयों और इंजेक्शनों के स्टॉकिस्ट रवि दुबे बताते हैं कि कोविड के वैकल्पिक ट्रीटमेंट में जो इंजेक्शन और दवाइयां अभी तक इस्तेमाल होती रही हैं, इन्हें बनाने वाली कंपनियों को यह लगने लगा है कि कोविड महामारी अब अपने अंतिम दौर में पहुंच रही है।
क्योंकि दुनियाभर में अब इस महामारी से मुकाबले के लिए वैक्सीन बनाने के दावे सामने आने लगे हैं और कई देश की सरकारों ने घोषणा भी कर दी है कि जल्द ही वैक्सीन को ग्राउंड पर ला दिया जाएगा। इन दावों से फॉर्मा कंपनियों को लगने लगा है कि कोविड के वैकल्पिक इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन और दवाइयों की मांग वैक्सीन के आते ही खत्म हो जाएगी। इसलिए जरूरत के मुताबिक वे इन दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं और दाम कम करके स्टॉकिस्टों को भी कई ऑफर दे रहे हैं।
दवा और इंजेक्शन के पहले और कम हुए दाम
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