(संजय गुप्ता/राहुल दुबे) इंदौर खासगी ट्रस्ट की संपत्तियों को बेचने के बाद कठघरे में आए मुख्य ट्रस्टी और होलकर घराने की उषादेवी के पति सतीश मल्होत्रा से इस मुद्दे पर भास्कर ने सवाल-जवाब किए। हर सवाल पर बचाव में दिखे मल्होत्रा यही कहते रहे कि अकेले उन्होंने संपत्तियां नहीं बेची, सरकार से मंजूरी ली, अफसरों की भी इसमें सहमति थी। खुद की उम्र का हवाला देकर भी बचने की कोशिश करते रहे।
सीधी बात- सतीश मल्होत्रा, मुख्य ट्रस्टी खासगी ट्रस्ट
- खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां हाई कोर्ट ने सरकार की बता दी हैं, जबकि आप इन्हें बेचते रहे, अब तक कितनी संपत्तियां बेच चुके हैं?
मैंने अकेले ने नहीं, पूरे ट्रस्ट की सहमति से संपत्तियां बेची हैं। पांच-छह संपत्ति बिकी हैं और इनकी राशि भी ट्रस्ट के खाते में आई है। - इन संपत्तियों की कीमत करोड़ों में थी, आरोप है कि आपने इन्हें कौड़ियों के दाम बेच डाला?
प्रॉपर्टी के दाम आज बढ़े हैं। पहले इतने नहीं थे। कई जगह किराएदारी के विवाद थे, जो 5 रुपए महीना देते थे। जब ये संपत्तियां बिकीं, तब इतनी कीमत नहीं थी। - कहा जा रहा कि संपत्ति अधिक दाम पर बेची, ऊपर से जो पैसा बचा, वह आपने रख लिया?
पूरी तरह गलत बात है। ट्रस्ट चलाने के लिए मैंने 5 करोड़ रुपए दिए, आज ट्रस्ट के पास 12 करोड़ की एफडी है, यह सब कहां से आया। सरकार तो केवल 2.9 लाख ही मेंटेनेंस देती है। 80 लोगों का स्टाफ है, एक करोड़ सालाना बजट है। यह सब कैसे चलाते। - आपने कुशावर्त घाट भी बेच दिया?
बिलकुल बकवास है, घाट नहीं बिका। उसके पीछे 4 कमरे थे, वह बेचे, ट्रस्ट के लिए राशि लग रही थी। - हाई कोर्ट के फैसले के बाद आप क्या करेंगे?
हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। मप्र सरकार ट्रस्ट की संपत्ति लेना चाहती है तो लें, पर ऐसे नहीं, वैधानिक तरीके से ले। ऐसा नहीं होता कि उनका मन आया, कलेक्टर ने पत्र लिख दिया और संपत्ति अपनी बता दी। - ईओडब्ल्यू ने केस भी दर्ज कर लिया है?
सरकार जांच करा लें, लेकिन किस बात की जांच? संपत्ति बेचने की मंजूरी प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव ने दी, उनकी चिट्ठी मेरे पास है और ट्रस्ट में कमिश्नर और दो अन्य सरकारी प्रतिनिधि भी हैं, इनकी भी जांच होना चाहिए। प्रस्ताव पर सभी के हस्ताक्षर हैं। जांच होती है, अफसर घर आते हैं तो इज्जत उछलती है।
भास्कर पड़ताल : जिस चिट्ठी पर मल्होत्रा ने सौदे जायज बताए, हाई कोर्ट उसे नकार चुकी
मल्होत्रा ने तत्कालीन मुख्य सचिव एमपी श्रीवास्तव के पत्र का हवाला दिया है। भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि हाई कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट कहा कि वह विभागीय पत्र के अलावा कुछ नहीं है। उसकी इतनी वैधानिकता नहीं है कि इसके आधार पर संपत्ति बेची जा सके। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है। खुद श्रीवास्तव ट्रस्टी थे, इसलिए इस पत्र का कोई मतलब नहीं रहता।
दफ्तर पर EOW का छापा, 2 एसपी के नेतृत्व में 39 लोगों की बनाई टीम
खासगी ट्रस्ट की जमीनों को बेचने के मामले में जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू ने 39 लोगों की बड़ी टीम बनाई है। एक टीम ने बुधवार को माणिकबाग रोड स्थित खासगी ट्रस्ट के दफ्तर पर दबिश दी। टीम ट्रस्ट के दफ्तर पहुंची तो वहां कर्मचारियों के अलावा कोई नहीं था। डीएसपी अजय जैन ने कर्मचारियों से पूछताछ की तो बताया कि रिचर्ड होलकर के बेटे यशवंत होलकर एक ट्रस्टी हैं, जो इस समय मुंबई में हैं। एक अन्य ट्रस्टी नीरव भटनागर हैं, जो ओमेक्स सिटी-2 टाउनशिप में रहते हैं। ट्रस्ट के मैनेजर एमके राठौर अफसरो के पहुंचते ही रवाना हो गए। शेष | पेज 9 पर
डीएसपी जैन ने रिकॉर्ड हासिल करने के लिए कई लोगों को फोन भी लगाए, लेकिन ट्रस्टी ने रिसीव
नहीं किए। काफी देर छानबीन करने के बाद अफसरों ने कर्मचारियों से कहा कि तीन दिन में ट्रस्ट की देखरेख वाली सभी संपत्ति का रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं, ताकि आगे जांच शुरू की जा सके। बताते हैं कि इंदौर में भी ट्रस्ट से जुड़ी कुछ जमीनों को भी बेचा गया है। इसमें भंवरकुआं क्षेत्र की जमीन शामिल है। ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह के मुताबिक, एक-एक संपत्ति का रिकॉर्ड निकाल रहे हैं, जिससे ये पता लगाया जा सके कि किसे बेचा गया है और किसे नहीं। ट्रस्ट से जुड़े सारे लोगों की जानकारी निकाली जा रही है।
कारनामे खंगालने गृह विभाग ने बनाया 39 लोगों का जांच दल, दो एसपी करेंगे नेतृत्व
हाई कोर्ट आदेश के बाद हरकत में आई सरकार ने 26 राज्यों में 246 संपत्ति की स्थिति की जांच करने के लिए जम्बो जांच दल बनाया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की निगरानी में यह दल काम करेगा। ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह ने बताया दल में 39 लोग होंगे, जिसमें दो एसपी अवधेश गोस्वामी, एसपी राजजी श्रीवास्तव, एएसपी वैभव श्रीवास्तव, निरीक्षक गोपाल परमार, संतोष सिंह यादव, विनोद दीक्षित, नरेंद्र रघुवंशी, मंजू यादव, जेपी त्रिवेदी शामिल हैं। इसके अलावा 10 उप निरीक्षक और 20 आरक्षक भी दल में रहेंगे। बुधवार से ही इसने काम भी शुरू कर दिया। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु सहित जितने भी राज्यों में संपत्ति खासगी ट्रस्ट की संपत्ति है, ये उनकी जांच करेगा। संपत्ति बेचने और अतिक्रमण होने की स्टेट्स रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी।
कुशावर्त घाट बिकने पर भगवान भोलेनाथ की ओर से भी लगी है याचिका
इधर, इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन कैविएट दायर कर दी है। अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने ये कैविएट लगाई। इससे अब जब भी शीर्ष कोर्ट में खासगी ट्रस्ट की एसएलपी पर सुनवाई होगी, सरकार का पक्ष भी सुना जाएगा। गौरतलब है कि कुशावर्त घाट बिकने पर भगवान भोलेनाथ की तरफ से भी एक याचिका विजय पाल ने हरिद्वार जिला कोर्ट में लगा रखी है। पाल ने कहा कि अब अगली सुनवाई में हाई कोर्ट के आदेश पेश करेंगे। घाट के बिकने के मामले में हरिद्वार कोतवाली में अप्रैल 2019 में ट्रस्टी सतीश मल्होत्रा के साथ ही संपत्ति बेचने वाले राघवेंद्र सिखौला, संपत्ति खरीदने वाले अनिरुद्ध सिखौला पर धोखाधड़ी, जालसाजी का केस दर्ज हुआ था, लेकिन बाद में पुलिस ने खात्मा कर दिया। इसके खिलाफ फरियादी ने कोर्ट में वाद दायर किया है।
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