प्रदेश के 3 लाख 30 हजार कारोबारियों के रिटर्न दाखिल करने और आर्थिक गतिविधियां व कारोबार शुरू होने से प्रदेश में जीएसटी राजस्व बढ़ने लगा है। इसके बढ़ने, पेट्रोल-डीजल की खपत अधिक होने से अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं। डीजल की खपत को सीधे अर्थव्यवस्था से जोड़कर देखा जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, जून में पुराने रिटर्न दाखिल करने से जीएसटी कलेक्शन बीते साल से 550 करोड़ रुपए अधिक हुआ। इसी तरह काउंसिल की छूट के चलते पुराने सालों के बकाया व सभी रिटर्न भरने का मौका कारोबारियों को मिला, इससे इस महीने 100 करोड़ अधिक कलेक्शन आया और कुल राजस्व 9415 पर पहुंच गया, जो पिछले साल से 616 करोड़ अधिक है। पिछले साल 3 लाख 10 हजार कारोबारियों ने रिटर्न दाखिल किया था, जो बढ़कर 3 लाख 30 हजार हो गए हैं। पूरे देश में जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में मप्र जनवरी से जून तक पहले स्थान पर रहा, जुलाई में दूसरे और अब टॉप-पांच में चल रहा है।
लॉकडाउन के 2 माह: 3074 करोड़ कम रहा राजस्व
अनलॉक के 4 माह: 616 करोड़ राजस्व अधिक आया
राजस्व का 30% हिस्सा इंदौर और पीथमपुर से
मप्र में औसतन हर माह होने वाले दो हजार करोड़ की आय में से 30 फीसदी हिस्सा यानी 600 करोड़ अकेले इंदौर और पीथमपुर से आता है। इसके बाद भोपाल, जबलपुर, सतना का हिस्सा आता है। मप्र में हर महीने पेट्रोल की खपत 1 लाख 85 हजार किलो लीटर तो डीजल की 3 लाख किलो लीटर है। डीजल की खपत अप्रैल में 42% तो मई में 27% कम थी, जो सितंबर में 7% करीब कम है। पेट्रोल की खपत अप्रैल में 58 फीसदी कम हो गई थी, मई में 35% तो जून में चार फीसदी कम रहने के बाद अब बीते साल से 7% अधिक है।
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