नेपानगर में विकास से ज्यादा भ्रष्टाचार की चर्चा है। वनभूमि पर पट्टे के लिए पेड़ों की कटाई और सुमित्रा कास्डेकर पर पैसे लेकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के आरोप लगाकर कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी है। इसकी बजह भी है। गांव की चौपालों पर सड़क-पानी के बारे में पूछो तो ग्रामीण पानी के टैंकरों, बैकुंठ रथ और सड़क निर्माण में कमीशनखोरी का राग अलापने लगते हैं।
यहां से 15 महीने कांग्रेस विधायक रही सुमित्रा कास्डेकर अब भाजपा में हैंं। जो कार्यकर्ता कास्डेकर के खिलाफ सड़क पर उतरते थे, अब उन्हीं को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है। उपचुनाव का सबसे बड़ा केंद्र है ग्राम पंचायत डेढ़ तलाई, क्योंकि कास्डेकर यहीं रहती हैं। गांव की चौपाल पर बैठे नंदू मंडलकर, अशरफ शाह व सलमान बताते हैं, 15 महीने में सिर्फ पानी के टैंकर व बैकुंठ रथ ही आए हैं, जरा टैंकर का चेसिस जांचिए, आपको पता चल जाएगा कि 70 हजार में बनने वाले टैंकर के बिल डेढ़-डेढ़ लाख रुपए तक निकले हैं।
बैंकुंठ रथ में कोई शव शमशान तक नहीं ले जा सकता। आगे टन कांटा रोड है। इसके लिए तीन बार भूमिपूजन हो चुका है लेकिन आज तक रोड बना ही नहीं। कास्डेकर सभाओं में कह रहीं हैं- मैं गरीब जरूर हूं, बिकाऊ नहीं। मेरे कराए काम विरोधियों को रास नहीं आ रहे।
जनचर्चा... बिकाऊ- टिकाऊ बनेगा बड़ा मुद्दा
खकनार क्षेत्र के गांव चिड़ियामाल से आते हैं कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशन पटेल और क्षेत्र के कान्हापुर में घर है पूर्व भाजपा विधायक मंजू दादू का। मुख्य बाजार में बैठे गजानंद पाठक व राजीव महाजन कहते हैं इस चुनाव में टिकाऊ-बिकाऊ व भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बनेगा। मंजू दादू को टिकट नहीं देने का फायदा रामकिशन पटेल को मिल सकता है। वे 2008 और 2013 में भाजपा के राजेंद्र दादू से हारे थे। 2018 में कांग्रेस से कास्डेकर जीतीं थीं।
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