पीएम आवास योजना में असल गरीब हितग्राहियों को तो अब तक पूरी तरह से लाभ नहीं मिला है, लेकिन इसका फायदा नपा के बाबू व पार्षदों ने जमकर उठाया है। जिसमें उन्होंने अपने परिजन व रिश्तेदारों से लेकर दोस्तों के नाम पर आवास स्वीकृत करा लिए। इधर असल गरीब हितग्राही अब भी आवास की उम्मीद में सालों से नपा के दफ्तर के चक्कर ही काट रहे है। नपा में अब तक 3.5 हजार से ज्यादा पीएम आवासों के आवेदन आ चुके है। इनमें से लगभग 1500 आवास स्वीकृत हुए है और करीब 400 के लगभग आवास इनमें पूरे हुए हैं। लेकिन कई हितग्राही ऐसे भी है, जिन्होंने तीन-तीन साल पहले आवेदन किए, पर उन्हें आवास नहीं मिले और न ही उनका नाम सूची में जुड़ा।
जबकि इनके बाद में नपा के बाबू व पार्षद के न सिर्फ सूची में नाम जोड़ दिए गए बल्कि, उन्हें आवास भी स्वीकृत हो गए। इनमें बाबू जितेंद्र राव, शखावत, कमल प्रजापति व पार्षद विशाल सोनी के नाम शामिल है। जिन्होंने अपने परिजन व रिश्तेदारों के नाम पर आवास ले लिए। जिनका कहना है कि उन्होंने आवास लिए क्योंकि वह गरीब है और कोई किराए से तो कोई कच्चे घर में रह रहा था। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार तीन साल पहले आवेदन करने वाले गरीब हितग्राहियों का नाम सूची में क्यों नहीं जुड़ा और बाद में आवेदन करने वाले बाबू व पार्षदों को आवास ही स्वीकृत कर दिए गए। सोमवार को ऐसे ही गरीब हितग्राही नपा पहुंचे और उन्होंने वहां हंगामा करते हुए आवास स्वीकृत करने की मांग की और सीएमओ मिनी अग्रवाल को घेर लिया। इस पर सीएमओ ने उनकी शिकायतों का निराकरण करने का आश्वासन दिया है।
पीएम आवास को लेकर हितग्राहियों ने बताया अपना दर्द...
1. शहर के वार्ड 15 की रोशन बाई ने करीब साढ़े तीन साल पहले अपने मकान को पक्का बनवाने के लिए नपा में आवेदन किया। रोशन बाई का कहना है कि नपा के बाबू एक साल पहले सर्वे करने आए तो पटवारी व नपा कर्मचारी ने उनसे 5 हजार रुपए की मांग की। जब रुपए नहीं दिए तो उनके सामने ही सूची से नाम हटा दिया गया।
2. शहर के वार्ड 16 में फिरोज शाह की पत्नी ने तीन साल पहले नपा में पीएम आवास के लिए आवेदन किया। लेकिन तीन साल बाद भी उनका नाम सूची में शामिल नहीं किया गया, फिरोज शाह की पत्नी का आरोप है कि नपा के कर्मचारी उनसे नाम जोड़ने व आवास दिलाने के लिए 5 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे है, इसकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
पहले क्या हुआ, इससे क्या मतलब
^पहले सूची में क्या हुआ, इससे क्या मतलब है। हम अपने नोटिस बोर्ड पर सूची नाम-पते के साथ चस्पा कर देंगे। रही सर्वे में रिश्वत मांगने की बात तो नपा के कर्मचारी आवासों के लिए सर्वे नहीं करते है, यह काम पटवारियों का है।
मिनी अग्रवाल, सीएमओ, नपा श्योपुर
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