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फूट फूटकर मां रोते हुए मां ने बताया; मेरी बच्ची मर चुकी थी, वेंटिलेटर पर रखकर बढ़ाया बिल, रुपए के बदले रोका शव

जेके अस्पताल में 7 दिन की बच्ची की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ। परिजन का आरोप था कि बच्ची की मौत होने के बाद भी अस्पताल वालों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा। मकसद सिर्फ बिल बढ़ाना था। भुगतान के लिए शव रोके रखा। हंगामे के बीच कलेक्टर को हुई शिकायत और पुलिस के पहुंचने के बाद शव सौंपा गया। इधर, अस्पताल प्रबंधन की सफाई है कि वेंटिलेटर पर रखने से पहले परिवार से इजाजत ली गई थी। आरोप झूठे हैं।

16 अक्टूबर को नरवर के पास ग्राम खेमलिया नसर निवासी सुभाष राजौरिया ने पत्नी रचना को प्रसव पीड़ा होने पर उज्जैन के संजीवनी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। डॉक्टर नेे यहां 19 अक्टूबर को रचना का ऑपरेशन कर प्रसव कराया। रचना को बेटी हुई थी। मगर दुर्भाग्य रहा कि जन्म लेते ही बच्ची इंफेक्शन का शिकार हो गई। चूंकि ऑपरेशन और अन्य खर्च पर ही यहां 25 हजार का बिल बन चुका था। इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने सुभाष की आर्थिक स्थिति को देखते हुए बच्ची को चरक अस्पताल रैफर कर दिया।

यहां डॉ.एमडी शर्मा ने बच्ची का तीन दिन तक इलाज किया। मगर हालत में सुधार नहीं हुआ। इस पर डॉ.शर्मा ने सुभाष को सलाह दी कि बच्ची को जे.के.अस्पताल ले जाएं। वहां पर बच्ची का बेहतर इलाज होगा। सुभाष ने डॉ. शर्मा का कहा मानकर 21 अक्टूबर की रात को नवजात बच्ची को जे.के.अस्पताल में भर्ती करा दिया।

सुभाष ने कर्ज लेकर बतौर एडवांस 8 हजार रु. जमा भी करा दिए। 9 हजार की दवा भी बाहर से लाकर दी। मगर शुक्रवार को अस्पताल के स्टाफ ने बताया बच्ची की मौत हो चुकी है। बिल 35 हजार रु. बन गया है। एडवांस काटकर शेष 27 हजार रु. जमा करके बच्ची का

शव ले जाओ
रचना ने शुक्रवार दोपहर मीडियाकर्मियों के सामने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उसकी बेटी पहले ही मर चुकी थी। बच्ची की बुआ ज्योति ने कहा वेंटिलेटर हटाते ही बच्ची की सांसें बंद हो गईं। मतलब बच्ची
पहले ही मर चुकी थी। यह जानते हुए भी कि मेरा भाई मजदूरी करता है। जबरन मृत बच्ची को वेंटिलेटर पर रखकर बिल बढ़ाया गया।

चरक के डॉक्टर जेके में भी कर रहे थे इलाज
जेके हॉस्पिटल में चरक अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ.एमडी शर्मा की देखरेख में नवजात बच्ची का उपचार चल रहा था। उसे इंफेक्शन के चलते उपचार दिया जा रहा था। लेकिन चरक अस्पताल के बजाए शर्मा ने बच्ची को जेके अस्पताल में भर्ती रखकर उपचार किया। ऐसे में डॉ. शर्मा की भूमिका संदेह के घेरे में है।

डॉ. कात्यायन बोले- रुपए कम जमा किए, फिर भी बच्ची का इलाज नहीं रोका
^बच्ची को वेंटिलेटर पर रखने से पहले हमने उसके पिता से इजाजत ली थी। दो किस्तों में 8 हजार रु. जमा होने के बाद भी हमने बच्ची का इलाज नहीं रोका। परिजन के आरोप निराधार है।''
डाॅ.कात्यायन मिश्र, डायरेक्टर, जे.के. हॉस्पिटल


हमने बचाने की काफी कोशिश की
^बच्ची को बहुत ज्यादा इंफेक्शन था, उसकी हालत बिगड़ रही थी। हरसंभव कोशिश के बाद भी उसे बचा नहीं पाए।''
डॉ.एमडी शर्मा, चरक अस्पताल



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बच्ची की मौत के बाद जेके हॉस्पिटल के सामने जमकर हंगामा हुआ।


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