मप्र हाईकोर्ट में शुक्रवार को राज्य सरकार के पालन प्रतिवेदन पर आपत्ति लेते हुए कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि सरकार ने पूरे प्रदेश में अखबारों में विज्ञापन के जरिए कोविड के इलाज की रेट लिस्ट का प्रकाशन नहीं किया है। हाईकोर्ट का आदेश प्रदेश के सभी 51 जिलों के लिए है, लेकिन सरकार ने इस आदेश को केवल जबलपुर तक सीमित कर दिया है, जवाब में केवल जबलपुर के अखबारों में प्रकाशित समाचारों की कटिंग प्रस्तुत की है। इससे हाईकोर्ट की मंशा के अनुसार प्रदेश के गरीबों को कोविड के इलाज के रेट की जानकारी नहीं हुई। सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने इस मामले में आदेश सुरक्षित कर लिया है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र श्री नागरथ ने कहा कि हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में आदेश जारी किया था कि कोविड के इलाज के रेट तय कर निजी अस्पतालों को सूचित किया जाए। निजी अस्पतालों के रिसेप्शन काउंटर में रेट लिस्ट प्रदर्शित की जाए। इसके साथ ही सरकार विज्ञापन जारी कर निजी अस्पतालों में कोविड के इलाज की रेट लिस्ट का प्रकाशन करे। सरकार की ओर से पालन प्रतिवेदन में कहा जा रहा है कि आदेश का पालन कराया जा रहा है, जो सही नहीं है। इस पर डिवीजन बैंच ने आदेश सुरक्षित कर लिया है। वहीं इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से होटलों और बारातघरों में बिना संसाधनों के कोविड सेंटर बनाए जाने के खिलाफ हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई बढ़ा दी गई है।
सरकार ने कहा- सुखसागर में मेडिकल स्टाफ की पदस्थापना करना संभव नहीं
राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया है कि सुखसागर मेडिकल कॉलेज में सभी संसाधन मौजूद हैं, लेकिन डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। यदि सुखसागर मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया जाता है तो वहाँ पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की पदस्थापना करनी होगी, जो राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है। राज्य सरकार ने मार्च 2020 में आंशिक रूप से आइसोलेशन के लिए सुखसागर मेडिकल कॉलेज के 300 बेड लिए थे, जिनका अभी भी उपयोग किया जा रहा है।
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