(मनोज जोशी) शहर में भानपुर स्थित कचरे के पहाड़ का पूरा डिस्पोजल अभी हो भी नहीं पाया है और ऐसा ही खतरनाक एक और पहाड़ आदमपुर छावनी में खड़ा हो गया है। नगर निगम ने 2 जनवरी 2018 से शहर का कचरा भानपुर खंती की बजाय आदमपुर छावनी भेजना शुरू कर दिया था। भानपुर खंती में 25 जनवरी 2018 को ताला लगा दिया गया। पिछले करीब ढाई साल में आदमपुर छावनी में 6 लाख क्यूबिक मीटर कचरा इकट्ठा हो गया हैं, जबकि 1970 के आसपास शुरू हुई भानपुर खंती में लगभग 45 वर्षों में 12 लाख क्यूबिक मीटर कचरा इकट्ठा हुआ था।
भानपुर खंती के कचरे को साफ करने पर 52 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। अब आदमपुर छावनी के कचरे को साफ करने और इसी स्थान पर नई साइंटिफिक लैंडफिल साइट तैयार करने पर लगभग 40 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
जून 2019 से पहले बनना था एनर्जी प्लांट
आदमपुर छावनी में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के निर्माण लिए जुलाई 2017 में वर्क ऑर्डर जारी हुआ था। इस हिसाब से जून 2019 से पहले निर्माण पूरा होना था। सारी औपचारिकताएं पूरी होने से पहले ही यहां कचरा पहुंचाना शुरू कर दिया गया था। नगर निगम के अधिकारियों ने उस समय तर्क दिया था कि पहले से कचरा मौजूद रहने से प्लांट चालू करते समय रॉ मटेरियल की दिक्कत नहीं आएगी। इसके लिए यहां अस्थायी खंती बनाने के नाम पर पर्यावरणीय अनुमति भी ली गई थी।
बेमानी साबित हुए प्रदूषण न होने के सारे दावे
छह महीने के भीतर ही आदमपुर छावनी में कचरे के पहाड़ नजर आने लगे थे। शुरुआत में यहां लाइनर बिछाया गया था और दावा किया गया था कि यहां कचरा पटकने से जमीन को कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन प्रदूषण न होने के सारे दावे बेमानी साबित हुए।
भानपुर खंती में बचा है 20 हजार मीट्रिक टन कचरा
भानपुर खंती में अभी 20 हजार मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग बची है। एक माह में करीब 10 हजार मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग हो रही है। लॉकडाउन के कारण करीब तीन माह तक काम पूरी तरह बंद रहा। उम्मीद की जा रही है कि अगले साल मार्च तक यहां काम पूरा हो जाएगा।
रहवासी परेशान- हवा, पानी और जमीन सब हो रहे खराब
आदमपुर छावनी के हालात भानपुर खंती जैसे हो गए हैं। रोज लगभग 850 टन कचरा यहां पहुंच रहा है। इससे हवा में बदबू बनी रहती है। खंती से कीचड़ जैसा काला और बदबूदार पानी खेतों में जा रहा है, जिससे फसल खराब हो रही है और ट्यूबवेल से भी बदबूदार प्रदूषित पानी निकल रहा है।
स्वच्छ सर्वे-2021- कचरे की 100 फीसदी प्रोसेसिंग होना जरूरी
स्वच्छ सर्वे- 2020 में भोपाल देश में सातवें नंबर का स्वच्छ शहर है। लेकिन यहां साइंटिफिक लैंडफिल ही नहीं है। स्वच्छ सर्वे-2021 की गाइडलाइन के के अनुसार 100 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग जरूरी है। प्रोसेसिंग के बाद जो अक्रिय (इनर्ट वेस्ट) बचेगा उसके लिए साइंटिफिक लैंडफिल साइट बनेगी।
अनुमानित वजन- आमदपुर छावनी में 4 लाख मीट्रिक टन कचरा
अगर वजन की बात करें तो भानपुर खंती में 7 लाख मीट्रिक टन और आदमपुर छावनी में 4 लाख मीट्रिक टन कचरा होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। वैज्ञानिक रूप से कचरे की डेंसिटी तय नहीं होने से कचरे के पहाड़ का सही वजन बताया जाना संभव नहीं है।
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