ग्वालियर की हवा बहुत तेजी से प्रदूषित हो रही है। लॉकडाउन में जहां शहर में प्रदूषण का स्तर बहुत कम हो गया था, वहीं अनलॉक होते ही प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया कि भोपाल, इंदौर ही नहीं सिंगरौली जैसे शहर को भी पीछे छोड़ दिया। यहां बड़ी संख्या में कारखाने व थर्मल प्लांट हैं। आंकड़े बताते हैं कि अगस्त तक शहर की हवा में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानक के अनुसार रहा, लेकिन सितंबर के बाद से ही स्थिति खराब होती जा रही है। यहां बता दें कि ग्वालियर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 178.8 पहुंच गया है। जबकि भोपाल और सिंगरौली की स्थिति ग्वालियर से कही बेहतर है।
पीएम-2.5 की तुलना 10 का स्तर काफी ज्यादा
वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण पीएम-10 है। वाहनों के कारण सड़क पर मौजूद मिट्टी के उड़ने से पीएम-10 के कण वातावरण में तैरने लगते हैं। वहीं, पीएम-2.5 का स्तर कचरा जलाने से बढ़ता है। पीएम-10 का निर्धारित स्तर 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व पीएम-2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर है।
एक्सपर्ट व्यू... हवा की गति और तापमान में कमी से बढ़ रहा प्रदूषण
इस समय शहर में हवा की गति कम है, साथ ही तापमान में भी गिरावट दर्ज की जा रही है। इन दोनों कारणों से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है क्योंकि इन परिस्थितियों में धूल के कणों के फैलने की दर कम हो जाती है। जिससे, धूल के कण क्षेत्र विशेष में ही सीमित हो जाते हैं।
-डाॅ. हरेंद्र शर्मा, विभागाध्यक्ष पर्यावरण विज्ञान अध्यनशाला
स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा प्रभाव
वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। वातावरण में मौजूद दूषित हवाएं शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। लंबे समय तक इस वातावरण में रहने से कैंसर की आशंका रहती है।
-डाॅ. मनीष शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन
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