नर्मदा जलस्तर में हुई वृद्धि के चलते 29 अगस्त को मोरटक्का पुल पर से अवागमन बंद हुआ था। दो दिन तक पानी मोरटक्का पुल के ऊपर भी बहा था। बाढ़ के चलते पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। आवागमन बंद कर दिया था। पुल पर निर्माण होने पर करीब 25 दिनों बाद मंगलवार से मोरटक्का पुल पर अवागमन फिर से शुरू हुआ। हल्के व भारी दोनों तरह के वाहनों को पुल पर आवागमन की अनुमति दी गई। दोपहर करीब 1 बजे एनएचएआई, एमपीआरडीसी व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने नर्मदा पूजन व नर्मदे हर का जयघोष कर यात्रियों की सकुशलता की कामना के साथ पुल को शुरू किया।
एक सप्ताह में बनी 800 मीटर लंबी सड़क
एनएचएआई द्वारा करीब 64 लाख रुपए से पुल पर रैलिंग व नए मार्ग निर्माण के लिए स्वीकृत किए थे। एमपीआरडीसी के अधिकारियों की मोनिटरिंग में करीब 1 सप्ताह के अंदर ही रैलिंग लगाने के साथ 800 मीटर लंबी डामर सड़क बनाई गई है। यह सड़क करीब 100 एमएम मोटाई की है, जबकि इसके पहले पुल मार्ग पर जो डामरीकरण था। उसकी मोटाई करीब 200 एमएम के लगभग थी। अधिकारियों के अनुसार पुल पर ज्यादा मोटाई की सड़क से पुल पर अधिक भार था, जिसे डेड लोड कहा जाता है। नए सड़क निर्माण में इस बात का ध्यान रखते हुए करीब 122 टन डेड लोड कम किया। पुल से गुजरने वाले हेवी ट्रैफिक के कारण यह भार अधिक होता है। इस कारण 100 मोटाई वाली लगभग 122 टन वजनी यह सड़क न सिर्फ पुल से गुजरने वाले हेवी ट्राफिक के लिए पर्याप्त है बल्कि पुल पर पड़ने वाले भार को भी कम करेगी। पुल पर डामरीकरण के बाद सड़क पर मार्किंग होगी।
नाव से किया पुल का निरीक्षण
पुल पर आवगमन शुरू होने के पूर्व एनएचएआई के डीजीएम आरआर दारे, एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक राकेश जैन, प्रबंधक वर्षा अवस्थी व स्थानीय अधिकारी एसडीएम प्रवीण फुल पगारे, तहसीलदार विवेक सोनकर, थाना प्रभारी संजय द्विवेदी ने पुल का निरीक्षण किया। इस दौरान सभी ने नाव में बैठकर पुल की निचली सतह का निरीक्षण किया। इस दौरान अधिकारियों को निचले स्तर पर किसी भी तरह के डेमेज से इंकार किया है।
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