कटनी , शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी में जनभागीदारी शिक्षक जो अखिल
भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं उनके द्वारा महाविद्यालय का
वातावरण दूषित किया जा रहा है. जनभागीदारी शिक्षकों की नियुक्ति प्रतिवर्ष
ना कि जाकर मनमाने तरीके से रखा गया है और छात्राओं के शुल्क की राशि को
लुटाया जा रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह जनभागीदारी शिक्षक
अतिथि विद्वानों की तर्ज में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी
इसमें कहा गया था कि उन्हें के अनुरूप पेमेंट किया जाए और निरंतर सेवा
में रखा जाए जिसमें उच्च न्यायालय ने इतनी जान भागीदारी शिक्षकों को कोई
राहत नहीं दी है क्योंकि यह शिक्षक छात्राओं की राशि से मानदेय प्राप्त कर
रहे हैं जो सेल्फ फाइनेंस तहत विशेष संचालित हैं उनके अध्यापन के लिए रखा
जाता है कुछ ऐसे शिक्षक भी बताए गए हैं कि अंडर ग्रेजुएट योग्यता में मौलवी
से नहीं है और एमए एमएससी जिस विषय से किया है उसका अध्यापन कार्य कर रहे
हैं यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार ग्रेजुएट में जो भी से हो वह एम एम एस सी
एम काम में भी होना चाहिए था परंतु गलत भर्तियां एवं राजनीतिक दबाव के
चलते आज की स्थिति में महाविद्यालय में हावी हो चुके हैं जिससे महाविद्यालय
के आंतरिक वातावरण दूषित करने छात्राओं को भड़काने जैसे कार्यों में
लिप्त रहते हैं इसी तरह कंप्यूटर ऑपरेटर भी रखे गए जिनका कोई पेपर ऐड नहीं
निकाला गया सीधे मानदेय पर रखा गया है ना कोई कंप्यूटर डिग्री प्रशिक्षण
या कोई योग्यता धारित नहीं किया गया फिर भी ₹8000 प्रति माह की दर से
छात्राओं के शुल्क की राशि को लुटाया जा रहा है.
शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी में संचालित प्रायोगिक विषयों में अटेंडेंट
कर्मचारी के रूप में कम से कम 10 वीं प्रायोगिक विषय से योग अभ्यर्थियों
को ही रखा जाना चाहिए परंतु श्रमिकों के नाम से इतने अधिक कर्मचारी रखे गए
हैं और उनको ₹8000 प्रतिमाह भुगतान करके लाखों रुपए शासन की राशि का नुकसान
किया जा रहा है. शिक्षा संस्थान में श्रमिकों की आवश्यकता किसलिए ?
शिक्षण संस्थानों में तो शैक्षणिक कार्यों के लिए मानक योग्यता के आधार पर
उम्मीदवारों को चयन किया जाता है क्योंकि संबंधित संस्थान न तो कोई कंपनी
है ना कोई फैक्ट्री फिर भी श्रमिकों के नाम से आधा दर्जन से अधिक
कर्मचारियों को रखकर छात्राओं के शुल्क की राशि को लुटाने का काम किया जा
रहा है.
वहीं दूसरी तरफ उच्च शिक्षा विभाग में
अतिथि विद्वान जो पीएचडी नेट स्लेट आदि योग्यता रखते हैं वे बेरोजगार घूम
रहे हैं परंतु शासकीय कन्या महाविद्यालय में यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार
अयोग्य जनभागीदारी शिक्षकों की नियुक्तियां की जा करके एक तरफ शासन को
आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है वहीं दूसरी तरफ अयोग्य शिक्षकों की
नियुक्तियों से छात्रों का भविष्य अंधकार में होता है.
जनभागीदारी शिक्षकों एवं श्रमिकों का पूरा खेमा राजनीति के चलते शासकीय
कन्या महाविद्यालय में स्थापित है और संस्था प्रबंधन कुछ भी कार्यवाही
करने को तैयार नहीं हैं ज्ञात हुआ है की राजनीति के दबाव होने की वजह से
संस्था संचालक मुख्य प्रबंधन के द्वारा सब कुछ जानते हुए भी कोई एक्शन नहीं
लिया जा रहा है. इतना ही नहीं छात्राओं की शुल्क की राशि से मनमानी मानदेय
की बढ़ोतरी करवा करके शासन की राशि को क्षति की तरफ पहुंचा दिया गया है और
प्रबंधन सब जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए हैं. कहां हो तो वही सिद्ध हो
रही है की आमदनी चार आने की और व्यय एक रुपैया का. आखिर इस मामले में
शासन प्रशासन कब कार्यवाही करेगा या नहीं कुछ भी नहीं कहा जा सकता. लेकिन
यह जरूर है की सेल्फ फाइनेंस की एकत्रित राशि को लुटाया जा रहा है.,
उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा पारित निर्णय....
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