(सारा शिजिपिंस्की) अमेरिका में लगातार शिंगल्स के मामले बढ़ रहे हैं। इंसान के शरीर में जब चिकनपॉक्स का वायरस दोबारा सक्रिय होता है तो स्किन पर लाल चकत्ते हो जाते हैं। इन दर्दनाक रेशेज को शिंगल्स कहा जाता है। जीवन में पहले कभी चिकनपॉक्स से गुजर चुके कई एडल्ट्स शिंगल्स का शिकार हो रहे हैं और यह उन बच्चों में चिकनपॉक्स का कारण बन सकती हैं, जिन्हें अभी तक वैक्सीन नहीं लगाई गई है। कई बार पैरेंट्स उम्र या अपनी इच्छा के कारण बच्चे को बूस्टर वैक्सीन नहीं लगवाते हैं, लेकिन यह जरूरी है।
जुलाई में टेक्सास के रहने वाले 30 साल के युवक की मौत की खबर अखबार की सुर्खियां बन गई थी। वह कोविड-19 पार्टी में शामिल होने के कारण कोरोनावायरस का शिकार हो गया था। मैथोडिस्ट अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर के मुताबिक, युवक कह रहा था कि वो कोरोनावायरस की सच्चाई का पता करने और इम्युनिटी पाने के लिए एक संक्रमित व्यक्ति के साथ पार्टी में शामिल हुआ था।
हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब कोई इम्युनिटी के लिए संक्रमितों के बीच गया हो। 1995 में चिकनपॉक्स वैक्सीन उपलब्ध होने से पहले भी कई अमेरिकी परिवारों ने चिकनपॉक्स पार्टी आयोजित की थी। तब शायद इन परिवारों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यही वायरस एक दिन दोबारा शिंगल्स के तौर पर वापस आ जाएगा।
शिंगल्स और इसके लक्षण क्या हैं?
शिंगल्स को हर्पीज जोस्टर भी कहा जाता है और इससे जूझ रहे लोगों को काफी दर्द, बुखार और कमजोरी होती है। गंभीर मामलों में व्यक्ति को निमोनिया, दिमाग में सूजन, फेशियल पैरालिसिस, सुनने में दिक्कतें जैसी परेशानियां हो सकती हैं। अगर व्यक्ति को आंखों के पास रेश हो रही है तो यह नजर को नुकसान पहुंचा सकती है। शिंगल्स एक से ज्यादा बार हो सकता है।
बच्चे को जल्दी वैक्सीन लगवाएं
8700 एडल्ट्स के साथ किए गए ग्लोबल सर्वे के मुताबिक, केवल 3% लोगों को इस बात की जानकारी थी कि चिकनपॉक्स करने वाला वायरस शिंगल्स का कारण भी बन सकता है। चिकनपॉक्स से जूझ रहे बच्चों में में खुजली वाली रेश, बुखार, कमजोरी, सिरदर्द, भूख नहीं लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं। ज्यादातर बच्चों में यह एक हफ्ते के भीतर ठीक हो जाता है। इसके अलावा ज्यादा जोखिम वाले लोगों में यह स्ट्रैपोटोकोक्कल इंफेक्शन, एनसिफेलाइटिस, मेनिनजाइटिस, स्ट्रोक और मौत का कारण भी बन सकता है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स एंड सर्जन्स में पीडियाट्रिक इन्फेक्शियस डिसीज स्पेशलिस्ट डॉक्टर एन गर्शन ने कहा "अगर बच्चे को इम्यूनाइजेशन नहीं है और वो स्वस्थ है तो उसे पहला शॉट लगवा लें। बूस्टर डोज के लिए 4 साल का होने का इंतजार न करें। बच्चों को दूसरा शॉट जल्दी दे दें। आप 18 महीने में भी ऐसा कर सकते हैं।"
अगर आप पैरेंट्स हैं और दर्दनाक रेश का सामना कर रहे हैं तो उसे बैंडेज से कवर करें, ताकि आपका बच्चा इसके कॉन्टैक्ट में न आए। साथ ही डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर ने कहा कि शुरुआती इलाज साइड इफेक्ट्स को भी कम कर सकता है।
एडल्ट्स अपने शिंगल्स के जोखिम को भी पहचानें
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, अमेरिका में 95% से ज्यादा एडल्ट्स 18 साल की उम्र से पहले चिकनपॉक्स का शिकार हो चुके हैं। इनमें हर तीन में से एक व्यक्ति अपने जीवन में शिंगल्स डेवलप करेगा। सीडीसी की वायरल डिसीज डिविजन में मेडिकल एपेडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर राफेल हरपाज का कहना है "ऐसा लगता है कि यह एक सीधे तरीके से बिना घटे और तेजी के एक स्थिर चाल के साथ बढ़ रहा है।"
इस बढ़त का कारण अभी साफ नहीं है, लेकिन डॉक्टर हरपाज ने पाया कि शिंगल्स बुजुर्गों में ज्यादा है और सभी उम्र के लोगों में हर साल इसके 2.5 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। खासतौर से तब जब उन्हें कोई ऐसी क्रोनिक बीमारी हो, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है या परिवार में किसी को शिंगल्स रहा हो।
डॉक्टर हरपाज ने कहा कि जब 50 से कम उम्र के लोगों को पहले से ज्यादा बढ़ी दर से शिंगल्स हो रहे हैं, तो स्टडी और ट्रैकिंग मुश्किल हो रही है। क्योंकि, जिन लोगों मे हल्के लक्षण नजर आ रहे हैं, वे हो सकता है कि इसे कोई दूसरी बीमारी समझ रहे हों। युवा मरीज कभी शिंगल्स का इलाज या इसका पता नहीं लगाते हैं। उन्हें यह एहसास नहीं होता कि वे अपने खुद के बच्चों को वायरस के संपर्क में ला रहे हैं।
कोविड के भी लक्षण हो सकते हैं शिंगल्स
मई में पब्लिश एक आर्टिकल में मिस्र के शोधकर्ताओं ने दो मरीजों के बारे में बताया था, जो कोविड-19 के लक्षण शुरू होने से थोड़े पहले ही शिंगल्स से जूझ रहे थे। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के डिपार्टमेंट ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के डॉक्टर्स ने बताया कि शिंगल्स से जूझ रहे एक मरीज में मेनिनजाइटिस जैसे लक्षण नजर आ रहे थे।
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