तीन जिलों की सरहद पर बसे धुर नक्सलगढ़ गांव मारजूम में इस बार इंडिपेंडेंस डे के मौके पर राज्य गठन के बाद पहली बार तिरंगा फहराया जाएगा। राष्ट्रगीत गाया जाएगा। सबसे खास और बड़ी बात ये कि यहां जवानों के साथ मिलकर सरेंडर नक्सली और गांव वाले राष्ट्रध्वज की सलामी लेंगे। करीब हफ्तेभर से चिकपाल और मारजूम गांव में इसकी रिहर्सल चल रही है।
मारजूम वह गांव है, जहां अब तक नक्सली 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला ध्वज ही फहराते रहे हैं। दबाव ऐसा रहा है कि अब तक कोई भी यहां राष्ट्रध्वज फहराने की जहमत नहीं उठा पाया था।
साल 2020 का स्वतंत्रता दिवस इस गांव के लिए बड़ी खुशियां ला रहा है। मारजूम ही नहीं बल्कि इसके पड़ोसी गांव चिकपाल, परचेली में भी राज्य गठन के बाद पहली बार तिरंगा फहरेगा। ये ऐसे गांव हैं, जहां कदम- कदम पर आईईडी का खतरा होता है। कई बार ब्लास्ट में जवान घायल हुए हैं। विकास मांगने पर ग्रामीणों की नक्सली पिटाई भी कर चुके हैं।
दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि मारजूम, चिकपाल में राज्य गठन के बाद पहली बार तिरंगा फहरेगा। कैम्प खुलने के बाद यहां के ग्रामीणों का भरोसा पुलिस व प्रशासन के प्रति बढ़ा है। नक्सली लगातार सरेंडर कर रहे हैं। यहां विकास के कामों की भी शुरुआत हुई है। चिकपाल, परचेली, बोदली में भी राष्ट्रध्वज पहली बार फहराया जाएगा। ये सभी गांव अब आजादी की ओर बढ़ रहे। आने वाले साल में ये गांव पूरी तरह नक्सल मुक्त होंगे।
हर साल बैठकें होती थी, इस बार नहीं ले पाए नक्सली
साल 2019 में चिकपाल में सुरक्षा बलों का कैम्प खुला था। इसके बाद से ही इस इलाके को नक्सलियों से मुक्त कराने की तैयारी शुरू हुई। कलेक्टर और एसपी गांव पहुंचे। विकास के काम की शुरुआत हुई। यहां के गांवों के युवा पुलिस में जुड़ने लगे। पुलिस में शामिल हुए मारजूम के एक युवा के पिता की हत्या 3 महीने पहले नक्सलियों ने की थी।
पुलिस अफसरों ने बताया कि इन गांवों के 50 से ज़्यादा युवा पुलिस में जुड़कर काम कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 15 अगस्त, 26 जनवरी के पहले गांवों में नक्सलियों की बैठकें शुरू हो जाया करती थीं। तिरंगा फहराने की मनाही करते थे। लेकिन, पहली बार है जब नक्सली बैठक नहीं ले पाए हैं।
पुलिस टीम का हिस्सा बने नक्सल पीड़ित युवा के नेतृत्व में सरेंडर नक्सली लेंगे सलामी
मारजूम में राष्ट्रध्वज फहराने के बाद सलामी होगी। यहां देश भक्ति का माहौल बनेगा। सरेंडर नक्सली, ग्रामीण युवा, महिलाओं की टीमें होगीं। पहली बार नक्सल पीड़ित युवा राजेन्द्र इस टीम का नेतृत्व करेंगे। इनके पिता की हत्या नक्सलियों ने 2000 में की थी। कभी काला झंडा फहराने वाले नक्सली, नक्सल-गढ़ गांव में राष्ट्रध्वज की सलामी लेंगे। पूर्व नक्सली सुंदरी बताती हैं कि नक्सल संगठन में रहते वक्त वह काला झंडा फहराती थी।
कहती हैं कि इस बार अच्छा अलग रहा है कि नक्सलगढ़ गांव में वह पहली बार राष्ट्रध्वज की सलामी लेंगी। सरेंडर के बाद वह खुद को आज़ाद महसूस करती हैं। दरअसल मारजूम गांव में रोड शो, सिविक एक्शन सहित कई बड़े कार्यक्रमों की तैयारी थी। लेकिन, एसपी डॉ पल्लव की पत्नी और बेटे की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के कारण इन सारे कार्यक्रमो को स्थगित करना पड़ा।
अब विकास का खाका भी प्रशासन ने तैयार किया
इन 3 गांवों में विकास पहुंचाने का खाका भी ज़िला प्रशासन ने तैयार कर लिया है। हालही में कलेक्टर दीपक सोनी ने पहुंच देवगुड़ी का भूमिपूजन किया। कलेक्टर ने बताया कि इन गांवों के विकास की योजना बनाई गई है। गांवों का विकास करेंगे, युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा।
26 जनवरी 2019 से धुर नक्सलगढ़ गांवों में तिरंगा फहराने की हुई थी शुरुआत
26 जनवरी 2019 को धुर नक्सलगढ़ गांव रहे पाहुरनार व छिंदनार की सरहद इंद्रावती नदी के बीच एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने तिरंगा फहराया था। अब यहां पुल बन रहा है। दावा है कि आने वाले 26 जनवरी तक पुल का काम इतना हो जाएगा कि ग्रामीण आना-जाना कर सकें। इसके पहले 26 जनवरी 2020 को धुर नक्सलगढ़ गांव पोटाली में 20 साल बाद पहली बार तिरंगा फहरा था।
अब यहां विकास के काम हो रहे हैं। अब चिकपाल, परचेली, मारजूम, बोदली में राष्ट्रध्वज फहरेगा। दंतेवाड़ा के 10 ग्राम पंचायत सहित 15 से ज़्यादा गांवों में आज भी नक्सल राज हावी है। इनमें जियाकोडता, तेलम, टेटम, एडपाल, नहाड़ी, बुरगुम, नीलावाया, गुमियापाल, लूनली, बड़े गादम, पाहुरनार, तुमरीगुंडा, चेरपाल, पदमेटा, बड़े करका, कौरगांव,छोटे करका ग्राम पंचायतें व इनके आश्रित गांव हैं। एसपी ने बताया 3 नए कैम्प स्वीकृत हुए हैं। इसके बाद ये गांव भी नक्सलवाद से आजाद होंगे।
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