चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक मुखर आलोचक को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी की आजीवन सदस्य काइ जिआ ने जिनपिंग पर आरोप लगाया था कि वह चीन के लोगों का आर्थिक और सामाजिक दिक्कतों से ध्यान भटकाने के लिए भारत और चीन के बीच विवाद भड़का रहे हैं।
जिनपिंग का अपनी ही पार्टी में विरोध हो रहा है। जिआ ने राष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल वाला नियम बदलने के लिए संविधान में बदलाव पर भी जिनपिंग की कड़ी आलोचना की थी। उनके ऑडियो वायरल होने के बाद पार्टी ने यह कार्रवाई की।
जिआ पिछले डेढ़ दशक से चीन के सेंट्रल पार्टी स्कूल में प्रोफेसर थीं। जहां पर धनाढ्य और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को पार्टी के आदर्शों और सिंद्धांतों की सीख दी जाती है। जिआ ने कहा कि जिन लोगों में मैंने पढ़ाया-सिखाया उन्होंने ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनके मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अब राजनीतिक खिचड़ी में बदल गई है।
अमेरिका में रह रहीं काई शिया ने कहा कि जिनपिंग की शक्तियां असीमित हैं। कोई उनका विरोध नहीं कर सकता। पर पार्टी में ही अमेरिका के बीच टकराव जैसे मुद्दों पर दबी आवाज में जिनपिंग की आलोचना हो रही है। जिआ ने कहा कि वुहान से कोरोना महामारी पूरे देश-दुनिया में फैली। मौत के आंकड़ों को भी लेकर भी जानकारियां छिपाई गई हैं।
जिआ के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी दुर्भावना ग्रस्त है, चीन टुकड़ों में बंटा है। पार्टी के नेता आपस में ही विरोधाभासी हैं। अधिकतर नेता भ्रष्टाचारी हैं, इसलिए वे राष्ट्रपति समेत किसी नेता के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते।
आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते जिनपिंग, कार्रवाई होती ही है
जिआ बताती हैं कि जिनपिंग को आलोचना सुनना बर्दाश्त नहीं है। इससे पहले, चीन में सरकार के स्वामित्व वाली रियल एस्टेट कंपनी के पूर्व अध्यक्ष रेन झिकियांग को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने कोरोना को लेकर जिनपिंग की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी। इसके बाद तिंग्शुआ यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर शू जांगरून को सरकार की आलोचना में लेख लिखने के चलते 15 जुलाई को बर्खास्त कर दिया गया था।
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