कोरोना वायरस के प्रकोप ने वायरसों की रहस्यमयी दुनिया की खोज और सघन कर दी है। पिछले साल कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की मैरी फायरस्टोन और उनकी साथियों ने घास के मैदानों में वायरस की 3,884 नई प्रजातियों का पता लगाया था। वैसे, जैव विविधता के हिसाब से इस आकलन को बहुत कम माना जाता है।
2010 में अमेरिकी सरकार के प्रोजेक्ट-प्रेडिक्ट ने 949 नए वायरस खोजे थे। ये 35 देशों में मानवों और एक लाख 60 हजार जानवरों के टिश्यू के नमूनों में मिले थे। प्रोजेक्ट की योजना दुनिया में स्तनपायी जीवों की सभी 7400 प्रजातियों के वायरसों का पता लगाने की है। उन्हें उम्मीद है कि वे लगभग 15 लाख वायरसों की खोज कर लेंगे। इनमें से सात लाख वायरस मानवों में संक्रमण फैलाते हैं।
वायरसों ने आधुनिक दौर में कई महामारियां फैलाई हैं
दस साल के प्रोजेक्ट पर लगभग 30 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। गौरतलब है कि वायरसों ने आधुनिक दौर में कई महामारियां फैलाई हैं। इनमें कोविड-19, एचआईवी/एड्स से लेकर 1918-20 के फ्लू का प्रकोप शामिल है। इनमें पहले विश्व युद्ध से अधिक लोग मारे गए हैं। चेचक, खसरा और फ्लू ने अमेरिका महाद्वीप में कई मूल निवासियों का सफाया कर दिया। ये बीमारियां यूरोप से आई थीं।
समुद्र के एक लीटर पानी में 100 अरब वायरस
दुनियाभर में असंख्य वायरस हलचल मचा रहे हैं। समुद्र के पानी के एक विश्लेषण में वायरस की दो लाख अलग प्रजातियां पाई गई हैं। एक अन्य रिसर्च से पता लगा है कि एक लीटर समुद्र के पानी में 100 अरब वायरस हो सकते हैं। एक किलो सूखी मिट्टी में इससे दस गुना ज्यादा वायरस हैं। ये समुद्र की इकोलॉजी में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। समुद्र में भी यह वायरस बेहद तेजी से फैलते हैं।
-दि इकॉनॉमिस्ट से विशेष अऩुबंध के तहत
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