आज ग्लोबल टाइगर डे है। इस वक्त पूरी दुनिया में करीब 4,200 बाघ बचे हैं। सिर्फ 13 देश हैं जहां बाघ पाए जाते हैं। इनमें से भी 70% बाघ भारत में हैं। मंगलवार को पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 2018 की 'बाघ जनगणना' की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की। ये जनगणना हर चार साल में होती है। उन्होंने बताया कि 1973 में हमारे देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। ये सभी टाइगर रिजर्व या तो अच्छे हैं या फिर बेस्ट हैं।
बाघों की घटती आबदी पर 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में ग्लोबल टाइगर समिट हुई थी, जिसमें 2022 तक टाइगर पॉपुलेशन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था। इस समिट में सभी 13 टाइगर रेंज नेशन ने हिस्सा लिया था। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल थे। 2010 में तय किए लक्ष्य की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। आठ साल में ही यहां बाघों की आबादी 74% बढ़ी। जिस तेजी से देश में बाघों की आबादी बढ़ रही है उससे उम्मीद है कि 2022 का लक्ष्य भारत हासिल कर लेगा।
भारत में बाघों की आबादी कैसे बढ़ रही है। देश में सबसे ज्यादा बाघ कहां बढ़ रहे हैं? कहां इनकी आबादी घट रही है। भौगोलिक आधार पर कहां कितने बाघ हैं? देश में टाइगर रेंज का एरिया कितना है और पिछले आठ साल में इसमें क्या बदलाव आया है? इस रिपोर्ट में हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे।
हर साल 9% बाघ बढ़ रहे, इस रेट से 2022 तक आबादी डबल करने का लक्ष्य आसानी से पा लेगा भारत
2010 से 2018 के बीच भारत में बाघों की आबादी 74% बढ़ी है। 2022 तक बाघों की आबादी को डबल करने के लिए किसी भी देश की टाइगर पॉपुलेशन ग्रोथ हर साल 9% से थोड़ी कम होनी चाहिए। भारत की ये ग्रोथ रेट 9% से ऊपर की है। इस ग्रोथ रेट से 2022 तक भारत में बाघों की आबादी आसानी से डबल हो जाएगी।
देश के 50% से ज्यादा बाघ सिर्फ तीन राज्यों में, मध्य प्रदेश में आठ साल में दोगुनी हुई आबादी
देश के 20 राज्यों में कुल 2,967 बाघ हैं। इनमें से 1,492 बाघ मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में हैं। यानी सिर्फ तीन राज्यों में ही देश में बाघों की कुल आबादी के 50% से ज्यादा बाघ रहते हैं। अगर दुनिया के लिहाज से देखें तो इन तीन राज्यों में बाघों की कुल आबादी का 35% बाघ रहते हैं।
मध्य प्रदेश में आठ साल में दोगुने हो गए बाघ, उत्तराखंड में भी इनकी आबादी 195% बढ़ी
2010 से मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सबसे ज्यादा बाघ रहे हैं। 2010 और 2014 में कर्नाटक बाघों की संख्या के मामले में एक नंबर पर था। लेकिन, 2018 के टाइगर सेन्सस में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर आ गया। यहां बाघों की आबादी 70% बढ़ी जबकि कर्नाटक की 68% की ग्रोथ रही।
सबसे ज्यादा ग्रोथ वाले राज्यों में राजस्थान 5वें नंबर पर, 2022 तक यहां भी डबल हो जाएगी बाघों की आबादी
2010 से 2018 के बीच जिन राज्यों में पॉपुलेशन ग्रोथ सबसे ज्यादा है, उनमें राजस्थान पांचवें नंबर पर है। लेकिन राजस्थान की भी ये ग्रोथ इतनी है कि 2022 तक वहां भी टाइगर पॉपुलेशन लगभग डबल हो जाएगी। बिहार में टाइगर पॉपुलेशन 2010 में 8 थी जो 2018 में बढ़कर 31 हो गई। केरल में 2010 में 71 बाघ थे, जो 2018 में 190 हो गए। मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 2010 में 257 था जो 2018 में 526 हो गया। उत्तराखंड में यह 227 से बढ़कर 442 पर आ गया। वहीं राजस्थान में 2010 में 36 बाघ थे जो अब बढ़कर 69 हो गए हैं।
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 हुई, इसके पीछे नक्सली भी एक कारण
जिन राज्यों में बाघों की संख्या घटी है उनमें मिजोरम और छत्तीसगढ़ सबसे प्रमुख हैं। मिजोरम में 2010 में 5 बाघ थे। 2018 में यहां एक भी बाघ नहीं बचा। वहीं छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 2014 में 26 से बढ़कर 46 हुई थी। लेकिन 2018 में यहां सिर्फ 19 बाघ बचे।
पेंच टाइगर रिजर्व देश में बेस्ट
भारत में 2014 में टाइगर ऑक्युपाइड एरिया 88558 स्क्वायर किमी था, जो 2018 में 427 स्क्वायर किमी बढ़कर 88985 स्क्वायर किमी हो गया। मध्य प्रदेश का पेंच टाइगर रिजर्व और केरल का पेरियार सेंचुरी देश के सबसे अच्छे रिजर्व हैं। तमिलनाडु के सत्य मंगलम टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा इम्प्रूवमेंट हुआ है।
गिनीज बुक में भी शामिल हुआ 2018 का टाइगर सेन्सस
PM @narendramodi के नेतृत्व में भारत ने "संकल्प से सिद्धि" के माध्यम से लक्ष्य से 4 साल पहले बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प पूरा किया। ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन का सबसे बडा कैमरा ट्रैप अब #GuinnessWorldRecord में शामिल हुआ।@GWR @moefcc @PIBHindi @DDNewsHindi
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) July 11, 2020
2012 से लेकर 2017 तक भारत में 560 बाघों की जान गई, इनमें से 38% का अवैध शिकार हुआ
भारत में 6 साल में 560 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 152 की मौत का कारण पता नहीं चल सका। जिन 408 बाघों की मौत का कारण पता चला उनमें से 55% बाघ ऐसे थे जिनकी नेचुरल डेथ हुई। 38% का अवैध शिकार हुआ। 4% कार या ट्रेन एक्सीडेंट में मारे गए।
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