देशभर में 109 रूट के 12 कलस्टर से 151 निजी ट्रेनें दौड़ाने की तैयारी है। इनमें सबसे अधिक मुंबई से 17 और दिल्ली से 16 निजी ट्रेनें रोजाना विभिन्न शहरों के लिए दौड़ेगी। इसके अलावा हावड़ा से 9, मध्य प्रदेश से 6, राजस्थान और बिहार से 7-7, गुजरात और झारखंड से 2-2, हरियाणा और पंजाब से 1-1 ट्रेनें चलेंगी। 45 ट्रेनें दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से चलेंगी।
इसके लिए रेलवे मंत्रालय ने रिक्वेस्ट फाॅर क्वालीफिकेशन निकाल दिया है और 6 से 8 माह में फाइनेंशियल बिड्स निकाले जाने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 30 हजार करोड़ का निजी निवेश होगा। हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे। ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड रेलवे के ही होंगे। सेफ्टी क्लीयरेंस भी रेलवे देगा।
मुंबई से 17 ट्रेनें दूसरे शहरों से पहुंचेंगी
मुंबई से जितनी संख्या में प्राइवेट ट्रेनें जाएंगी, उतनी ही संख्या में अलग-अलग शहरों से आएंगी। यानी 17 ट्रेनें जाएंगी, तो 17 आएंगी। वहीं, गुजरात से केवल 2 ट्रेनें जाएंगी लेकिन दूसरे राज्यों से 6 ट्रेनें आएंगी।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, गुजरात से बाहर जाने वालों की तुलना में आने वालों की संख्या अधिक होती है इसलिए गुजरात पहुंचने वाली ट्रेनों की संख्या अधिक है। प्रतिवर्ष 8 से 9 करोड़ टिकट वेटिंग ही रह जाते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए ही प्राइवेट ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस पहल का उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी का कम रखरखाव, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।
95% तक समय पर लानी होंगी ट्रेनें, साफ-सफाई रखनी होगी
निजी ट्रेन संचालकों को ट्रेन संचालन में 95% तक समयबद्धता का पालन करना होगा। एक लाख किमी के सफर में एक से ज्यादा गलतियां नहीं होनी चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा।
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