विशेष न्यायाधीश, सीबीआई, व्यापमं मामले,
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) ने व्यापमं द्वारा आयोजित प्री मेडिकल टेस्ट (PMT)
2010 से संबंधित एक मामले में श्री दुष्यंत सिंह भदौरिया (उम्मीदवार) एवं
श्री जगपाल सिंह (सॉल्वर/ परनामधारक) को दोषी ठहराया एवं उन्हें चार-चार
वर्ष की कठोर कारावास के साथ प्रत्येक पर 13,100/- रु. के जुर्माने की सजा
सुनाई।
सीबीआई ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में वर्तमान मामला
दर्ज किया एवं व्यापमं, भोपाल द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश प्री मेडिकल
टेस्ट (PMT) 2010 से संबंधित झांसी रोड पुलिस स्टेशन, ग्वालियर में पूर्व
में दर्ज प्राथमिकी संख्या 177/15 की जांच को अपने हाथों में लिया। यह
आरोप था कि श्री दुष्यंत सिंह भदौरिया (उम्मीदवार) ने एमपी प्री मेडिकल
टेस्ट 2010 की लिखित परीक्षा में अपने स्थान पर परीक्षा देने हेतु दुष्यंत
सिंह भदौरिया (सॉल्वर/ परनामधारक) की व्यवस्था करके ग्वालियर के एक मेडिकल
कॉलेज में प्रवेश प्राप्त किया।
सीबीआई ने गहन जाँच की। सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (CFSL) के
विशेषज्ञ की राय ने साबित कर दिया कि ओएमआर उत्तर पत्रक, प्रश्न पुस्तिका
के कवर पेज एवं रासा शीट (RASA Sheet) में उम्मीदवार श्री दुष्यंत सिंह
भदौरिया की लिखावट नहीं थी। सीबीआई ने परनामधारक, श्री जगपाल सिंह का भी
पता लगाया। यह पता चला कि सॉल्वर / परनामधारक श्री जगपाल सिंह, उम्मीदवार
श्री दुष्यंत सिंह भदौरिया के स्थान पर एमपी पीएमटी 2010 की लिखित परीक्षा
में उपस्थित हुए। यह पुष्टि की गई कि ओएमआर उत्तर पत्रक, प्रश्न पुस्तिका
के आवरण पृष्ठ एवं पीएमटी 2010 की उत्तर पत्रक व उपस्थिति शीट (RASA
Sheet) के रिकॉर्ड पर लिखावट में श्री जगपाल सिंह की लिखावट शामिल है। यह
भी पुष्टि की गई कि श्री दुष्यंत सिंह भदौरिया के आवेदन पत्र एवं आवंटन
पत्र में उपयोग की गई तस्वीरों से ज्ञात हुआ कि इन दस्तावेजों में उपयोग
की गई तस्वीरों में दोनों श्री दुष्यंत सिंह भदौरिया(उम्मीदवार) एवं श्री
जगपाल सिंह (सॉल्वर/ परनामधारक) के चेहरे की विशेषताएं शामिल हैं।
सीबीआई ने जांच के पश्चात, उक्त आरोपियों
के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। विचारण अदालत ने उक्त आरोपियों को
कसूरवार पाया एवं उन्हें दोषी ठहराया।
एक अन्य मामले में, विशेष न्यायाधीश, सीबीआई, व्यापमं मामले, ग्वालियर ने
व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 से संबंधित मामले
में श्री लक्ष्मण सिंह (उम्मीदवार) और श्री धर्मेंद्र कुमार (सॉल्वर/
परनामधारक) को दोषी ठहराया एवं उन्हें चार-चार वर्ष की कठोर कारावास के
साथ प्रत्येक पर 14,100/- रु. जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज किया एवं पूर्व में व्यापमं द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा, 2013 में परनामधारण द्वारा धोखाधड़ी से संबंधित मुरार पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी संख्या 181/2013, दिनांक 07.04.2013 की जांच को अपने हाथों में लिया। यह आरोप था कि श्री धर्मेंद्र कुमार (सॉल्वर/परनामधारक), श्री लक्ष्मण सिंह के स्थान पर दिनाँक 07.04.2013 को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुआ। कक्ष निरीक्षक द्वारा फोटो के मिलान के दौरान यह पाया गया कि उम्मीदवार श्री लक्ष्मण सिंह के आवेदन पत्र में फोटोग्राफ व हस्ताक्षर उम्मीदवारों से मेल नहीं खा रहे थे। लिखावट/हस्ताक्षर पर सीएफएसएल रिपोर्ट की विशेषज्ञ राय ने स्थापित किया कि श्री लक्ष्मण सिंह, मूल उम्मीदवार के स्थान पर श्री धर्मेंद्र कुमार उक्त पीसीआरटी, 2013 में शामिल हुए, क्योंकि उन्होनें ही रासा शीट (RASA sheet) पर हस्ताक्षर किए। इसके आगे, सीबीआई ने अंगूठे के निशान पर विशेषज्ञ की राय एकत्र की, जिससे यह स्थापित हुआ कि आरोपी धर्मेंद्र कुमार, उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह के स्थान पर उक्त परीक्षा में शामिल हुआ था।
सीबीआई ने जांच के पश्चात, दोनों आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। विचारण अदालत ने उक्त आरोपियों को कसूरवार पाया एवं उन्हें दोषी ठहराया।
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