केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि बीते 17 वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग रोधक कानून के तहत 4850 मामलों की जांच हुई और 98,368 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई। सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की व्याख्या को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन मामलों में कुल 2883 छापे मारे गए।
जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया, मनी लॉन्ड्रिंग के 51 मामले आतंकवाद और नक्सल फंडिंग से जुड़े हैं। इनमें 1249 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का पता लगा है जिससे 982 करोड़ रुपये की 256 संपत्ति अटैच की गई। इन मामलों की 37 शिकायतें दर्ज की गई और दो आतंकियों को पीएमएलए के तहत दोषी भी ठहराया गया।
मेहता ने बताया कि अटैच की गई 98,368 करोड़ रुपये की संपत्ति में से संबंधित प्राधिकरणों ने 55,899 करोड़ रुपये की आपराधिक आय की पुष्टि भी की है। इसके अलावा, 853.16 करोड़ रुपये की संपत्ति सक्षम अदालत के आदेश के तहत केंद्र सरकार ने पहले ही जब्त कर ली है। मेहता ने पीठ को बताया कि जो मामले अभी लंबित हैं उनमें भी करीब 67,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग होने का अनुमान है।
इन आतंकियों की भी संपत्ति अटैच
मेहता ने पीठ को बताया कि अटैच की गई इन संपत्तियों में संयुक्त राष्ट्र
द्वारा चिह्नित आतंकवादी हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन के सैय्यद सलाहुद्दीन
और नारकोटिक तस्कर इकबाल मिर्ची की भी संपत्ति शामिल है।
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