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आम बजट में शामिल होकर रेलवे क्या उपेक्षा का शिकार हो गया ?

 आम बजट में रेलवे को लेकर हुई घोषणाओं के संबंध में विश्लेषकों को कहना है रेलवे के विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और इसमें भर्तियों की तो कोई चर्चा ही नहीं की गई है।  

 एम.ओबैद 

लाखों लोगों को नौकरियां देने वाला और आम लोगों के जीवन में अहम भूमिका निभाने वाला रेलवे अब खुद उपेक्षित है। पहले तो इस पर अलग से कुछ बात भी हो जाती है अब तो वह भी बंद हो गई है और आम बजट के भीतर बस चार जुमलों में रेल बजट पेश हो जाता है।

रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है, इसलिए जब रेल का विकास होगा तभी देश का विकास संभव होगा। रेलवे देश के परिवहन व्यवस्था की रीढ़ है। लाखों करोड़ों यात्रियों को ढोने वाला रेलवे भारी मात्रा में माल की ढुलाई भी करता है जिससे हुई आमदनी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों की जिंदगी चलती है और उनके परिवार का गुजर बसर होता है।

रेलवे की विशालता को देखते हुए वर्ष 1924 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इसके बजट को आम बजट से अलग कर दिया था और संसद में अलग से एक दिन इस बजट को पेश करने के लिए निर्धारित होता था तथा उस पर चर्चा होती थी लेकिन वर्ष 2017 में केंद्र की मोदी सरकार ने फिर इसे आम बजट में शामिल कर लिया। आम बजट में समायोजित करने के बाद धीरे-धीरे रेल बजट का यह हाल हो गया है कि रेलवे के आय-व्यय, योजनाओं-परियोजनाओं और इसके विकास की बारीकियों पर चर्चा करने के बजाय अब ये महज चंद जुमलों तक सिमट गया है। 2022-23 के आम बजट में भी रेलवे को लेकर कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इसे पेश किया। विश्लेषकों का कहना है कि रेलवे के विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और इसमें भर्ती की तो बजट में कोई बात ही नहीं की गई है। 

लोकसभा में वित्त मंत्री सीतारमण ने 2022-23 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि रेलवे छोटे किसानों, एमएसएमई के लिए नए उत्पाद विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्षों में बेहतर ऊर्जा दक्षता और यात्रियों को बेहतरीन यात्रा अनुभव दिलाने वाली 400 नई वंदे भारत ट्रेन शुरू की जाएगी और आगे कहा कि अगले वित्त वर्ष में चार बहु-मॉडल पार्क के लिए अनुबंध दिए जाएंगे। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि एक उत्पाद एक रेलवे स्टेशन को लोकप्रिय बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्ष में 100 ‘पीएम गति टर्मिनल’ स्थापित किए जाएंगे।

रेलवे पार्सलों के निर्बाध आवाजाही की सुविधा

बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि रेलवे पार्सलों के निर्बाध आवाजाही की सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए डाक और रेलवे को जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ-साथ रेलवे छोटे किसानों तथा लघु एवं मध्‍यम उद्यमों के लिए नए उत्‍पाद और कार्यकुशल लॉजिस्टिक सेवाएं विकसित करेगा।

उन्‍होंने कहा कि स्‍थानीय कारोबार तथा आपूर्ति श्रृंखला की सहायता करने के लिए एक स्‍थान एक उत्‍पाद की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया जाएगा।

साथ ही उन्होंने कहा कि आत्‍मनिर्भर भारत के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 2,000 किलोमीटर के नेटवर्क को कवच के अंतर्गत लाया जाएगा जोकि सुरक्षा और क्षमता सवंर्धन के लिए विश्‍व स्‍तर की स्‍वदेशी प्रौद्योगिकी है। अगले तीन वर्षों के दौरान 400 नई पीढ़ी की वंदे भारत रेलगाड़ियों का विकास और विनिर्माण किया जाएगा जोकि ऊर्जा क्षमता और यात्रियों के सुखद अनुभव की दृष्टि से बेहतर होंगी। सीतारमण ने कहा कि ये नई ट्रेनें इस्पात से नहीं बल्कि कम वजन की एल्यूमीनियम से बनाई जाएंगी जिससे प्रत्येक ट्रेन वजन में करीब 50 टन हल्की होगी और इस्पात की रेलगाड़ियों की तुलना में कम ऊर्जा खपत करेगी।

रेलवे से संपर्क सहित सार्वजनिक शहरी परिवहन

सीतारमण ने कहा कि बड़े पैमाने पर यथोचित प्रकार के मेट्रो सिस्‍टम के निर्माण के लिए वित्‍त-पोषण और इनके तीव्र कियान्‍वयन के नए तरीकों को प्रोत्‍साहित किया जाएगा। सार्वजनिक शहरी परिवहन और रेलवे स्‍टेशनों के बीच मल्‍टीमॉडल संपर्क के लिए प्राथमिकता के आधार पर सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि मेट्रो सिस्‍टम की डिजाइनजिसमें नागरिक बुनियादी ढांचे भी आते हैंमें पुन: सुधार किया जाएगा और उनको भारतीय परिस्थितियों और आवश्‍यकताओं के अनुसार मानक स्‍तर का बनाया जाएगा।

वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आम बजट में रेलवे को लेकर हुई घोषणाओं के संबंध में सीपीआई (एम) के केंद्रीय समिति के सदस्य अरूण मिश्रा ने बातचीत में कहा, "पहले तो पूरा का पूरा बजट जुमलाबाजी है। खास कर रेलवे की बात करें तो इस पर ज्यादा कुछ भी नहीं कहा गया है। सीधी बात है कि ये कॉर्पोरेट सेक्टर के पक्ष में है। सभी चीजों का कॉर्पोरेटाइजेशन होने जा रहा है। पिछले बजटों में जो वादे किए गए थे उसके बारे में भी इस बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है। रेलवे देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाला उपक्रम है।"

उन्होंने कहा कि "पूरे बजट में रेलवे का कहीं कोई ज्यादा चर्चा नहीं है। पहले रेलवे का बजट अलग से होता था तो उसमें बहुत बारीकी से उस पर चर्चा होती थी और कई सारी घोषणाएं होती थीं लेकिन जबसे रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया गया है तब से इस पर कोई ध्यान नहीं है। आज रेलवे बेहद उपेक्षित हैं। रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, नई लाइनें बिछाने, उसकी देखरेख की पहले जो चर्चा और घोषणाएं होती थी वह सब अब खत्म हो चुका है। कुल मिलाकर देखें तो आम लोगों के जीवन से रेलवे को अलग किया जा रहा है।"

मिश्रा ने कहा कि "आने वाले दिनों में आम लोगों के लिए रेल से यात्रा करना बहुत ही कठिन हो जाएगा। इस दृष्टिकोण से यह बहुत ही निराशाजनक है। रेलवे ने सीनियर सिटीजन तथा अन्य लोगों की मिलने वाली तमाम तरह की सुविधाओं को एक तरफ खत्म कर दिया है वहीं दूसरी तरफ किराया-भाड़ा बढ़ा दिया है। किराया तो करीब-करीब दोगुना हो गया जिससे आम लोग पिस रहे हैं। अगर रेलवे का मुनाफा कमाने का यही तरीका है जिसका वह दावा करती है तो यह आम लोगों के खिलाफ है। दूसरी तरफ देखें तो रेलवे को मुनाफे की बात कही जाती रही है उससे रेलवे को कोई लाभ नहीं मिला है। अगर मुनाफा हुआ भी है तो वह मुनाफा रेलवे पर खर्च नहीं हो रहा है। ये मुनाफा कहां खर्च हो रहा यह तो सरकार ही बताएगी। प्लेटफॉर्म टिकट की बात करें तो इसकी कीमत 50 रूपये कर दी गई थी। अभी उसको हाल में फिर दस रूपये किया गया है।"

उन्होंने कहा कि "अब लोगों को प्लेटफॉर्म पर कोई सस्ता भोजन नहीं मिलता है। प्लेटफॉर्म पर सभी चीजें महंगी हो गई हैं। इस तरह देखें तो आम जनता पर बहुत ज्यादा बोझ है। आम जनता के लिए रेल लग्जरियस चीज हो गई है। उनके लिए इसमें अब यात्रा करना काफी कठिन होता जा रहा है। वैकेंसी की बात करें तो रेलवे में वैकेंसी बहुत है लेकिन इसे भरा नहीं जा रहा है। अब रेलवे में बहुत काम आउटसोर्सिंग से किया जा रहा है और काम करने वालों को कम पैसा दिया जा रहा है। सफाई वगैरह का काम अब आउटसोर्स हो रहा है। एनाउंसमेंट करने वाले लोगों तक का आउटसोर्स किया जा रहा है। अब रेलवे में नियुक्तियां हो नहीं रही हैं। देश का सबसे बड़ा एम्प्लायर रेलवे अब लोगों को उचित तरीके से नौकरी नहीं दे पा रहा है।"

अरूण मिश्रा ने कहा कि "खास कर बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की बात करें तो बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र शहरों में किराए के कमरे में रहकर रेलवे की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। बहुत मुश्किल से उनके माता पिता उनका खर्च वहन कर पाते हैं। ये छात्र बहुत कष्ट में रहकर इन परीक्षाओं की सालों साल तैयारी करते हैं लेकिन समय पर परीक्षा नहीं होती है। इन परीक्षाओं की प्रक्रिया अब लंबी चलती है। इस तरह छात्रों में रोष है जो बेहद दुखद और चिंताजनक है। अभी हाल में खबर आई कि परीक्षार्थियों से 250 करोड़ रुपया वसूल लिया गया और बहुत कम मात्रा में उनको रिटर्न किया गया। एक तरह से देखें तो लूट चल रही है। एक तरफ छात्रों को नौकरी नहीं दे रहे हैं दूसरी तरफ उन गरीब छात्रों से पैसा लूटा जा रहा है।"  

उन्होंने कहा कि 'बिहार जैसे राज्यों में आमलोगों के लिए रेलवे का बहुत बड़ा महत्व है। रेलवे में आमलोगों के लिए जो सुविधाएं थी उसको इस सरकार ने समाप्त कर दिया है। अब कहीं भी आना जाना काफी महंगा हो गया है। जिस तरह से बिहार के लोग बड़ी संख्या में काम धंधे के लिए देश के दूसरे राज्यों में जाते हैं अब उन लोगों के लिए काफी कठिन समय आ गया है। जिन गाड़ियों के बारे में चर्चा हो रही है वह गाड़ी इतने महंगी हैं कि यहां से आम लोगों का जाना बहुत मुश्किल होगा। जहां तक रेलवे के प्राइवेटाइजेशन का मामला है इससे बिहार के लोगों पर बुरा असर पड़ेगा।"

मिश्रा ने कहा कि "बिहार में रेलवे के लिए बड़ी संख्या में नौजवान परीक्षार्थी होते हैं। रेलवे में भर्ती को लेकर युवाओं में काफी नाराजगी है। इसको लेकर हाल में छात्रों का आंदोलन हुआ है। आने वाले समय में इस तरह की और घटनाएं बढ़ेंगी क्योंकि बच्चे सालों साल तैयारी करते रहते हैं और जब परीक्षा होती है तो समय पर रिजल्ट नहीं आता है। जब रिजल्ट आ जाता है तो उसमें कुछ न कुछ गड़बड़ी सामने आ जाती है और उसको आगे बढ़ा दिया जाता है। इस तरह से बहुत ज्यादा नाराजगी है। इसे लेकर गुस्सा फूट पड़ा था।"

बजट से पूर्व राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में रेलवे पर क्या कहा ?

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट से पूर्व अपने अभिभाषण में कहा कि "केंद्र सरकार ने इनफ्रास्ट्रक्चर-विकास के कार्यों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों के कामकाज को "प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान "के रूप में एक साथ जोड़ा है। यह प्लान भारत में मल्टी-मोडल-ट्रांसपोर्ट के एक नए युग का प्रारंभ करने जा रहा है। भविष्य के भारत में रेलवेज़, हाइवेज़ और एयरवेज़ अलग-अलग और अलग-थलग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होंगे बल्कि एक देश के एकजुट संसाधन के तौर पर काम करेंगे।" 

उन्होंने कहा कि "केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का भी तेज गति से आधुनिकीकरण कर रही है। नई वंदे भारत ट्रेनें तथा नए विस्टाडोम कोच, भारतीय रेल की आभा में वृद्धि कर रहे हैं। बीते सात वर्षों में 24 हजार किलोमीटर रेलवे रूट का विद्युतीकरण हुआ है। नई रेलवे लाइंस बिछाने और दोहरीकरण का काम भी तेज गति से जारी है। गुजरात में गांधीनगर रेलवे स्टेशन और मध्य प्रदेश में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन आज आधुनिक भारत की नई तस्वीर के रूप में सामने आए हैं। कश्मीर में चिनाब नदी पर निर्मित हो रहा रेलवे आर्च ब्रिज, आकर्षण का केंद्र बन रहा है।"

राष्ट्रपति ने कहा, "केंद्र सरकार ने गरीब और मध्यम वर्ग का जीवन आसान बनाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा बढ़ाने में भी असाधारण काम किया है। देश में 11 नई मेट्रो लाइंस पर सेवाएं शुरू की गई हैं जिनका लाभ 8 राज्यों में लाखों लोगों को हर दिन मिल रहा है। भारत आज दुनिया के चार सबसे बड़े ड्राईवर-लेस ट्रेन नेटवर्क वाले देशों में भी शामिल हो गया है। हमने देश में इंडिजनस ऑटोमेटिक ट्रेन सिस्टम भी विकसित किया है जोकि मेक इन इंडिया की बढ़ती क्षमता का प्रतीक है। सरकार ने देश में 21 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के निर्माण के लिए भी मंजूरी दी है। इनमें से देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में बन रहा है।"

उन्होंने अपने अभिभाषण में कहा, "सरकार पूर्वोत्तर के सभी राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इन राज्यों में हर स्तर पर बुनियादी और आर्थिक अवसरों का विकास किया जा रहा है। रेल और हवाई कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं का सपना पूर्वोत्तर के लोगों के लिए अब साकार हो रहा है। यह देश के लिए गर्व का विषय है कि पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियां केंद्र सरकार के प्रयास से अब रेलवे के नक्शे पर आ रही हैं।"

2021 के बजट में रेलवे

पिछले वर्ष बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि रेलवे के पास इस वर्ष 2,15,058 करोड़ रुपये का अब तक सर्वाधिक योजनागत पूंजी व्यय है, जिसमें आम बजट में आवंटित किए गए आंतरिक स्रोत से 7,500 करोड़ रुपये, अतिरिक्त बजट संबंधी संसाधनों से 1,00,258 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय आवंटन से 1,07,100 करोड़ रुपये शामिल हैं।

पेश किए गए आम बजट 2021-22 में भारतीय रेलवे के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड व्यय को प्रस्तावित किया गया था जिसमें 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए बताया गया था।

इसमें कुल बजट आवंटन 37,050 करोड़ रुपये का जिक्र था जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट के मुकाबले 53 प्रतिशत अधिक बताया गया। बजट के दौरान कहा गया कि कोविड-19 महामारी के बावजूद, यह भारतीय रेलवे में अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के स्तर पर की जा रही प्रगति का उल्लेखनीय संकेत है।

सीतारमण ने कहा था कि भारतीय रेलवे पूंजीगत व्यय में की गई इस वृद्धि के साथ संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था का चालक के तौर पर नेतृत्व करेगी। वार्षिक योजना 2021-22 में मुख्य रूप से बुनियादी ढांचागत विकास, क्षमता वृद्धि, टर्मिनल सुविधाओं के विकास, ट्रेनों की गति में वृद्धि, सिग्नल प्रणाली, यात्रियों/उपयोगकर्ताओं संबंधी सुविधाओं में सुधार, अंडरपास/पुलों संबंधी सुरक्षा कार्यों सहित विभिन्न गतिविधियों पर जोर दिया गया था।

वर्ष 2020 में रेलवे को हुआ था बड़ा घाटा

बीते वर्ष केंद्र सरकार द्वारा रेलवे में मुनाफे का दावा किया गया था लेकिन भारतीय रेल के घाटे में जूझने की बात सामने आई थी। महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में रेलवे को 26 हजार 338 करोड़ रुपये का वर्ष 2020 में घाटा हुआ था। यह माना गया कि रेलवे के इतिहास में इतना बड़ा घाटा पहली बार हुआ था। रेल मंत्रालय के अनुसार 1,589 करोड़ रुपये का नेट सरप्लस दिखाया गया था, जोकि सीएजी की रिपोर्ट का अनुसार गलत साबित हुआ था। सीएजी ने बीते वर्ष 21 दिसंबर को रेलवे के समक्ष फाइनेंस रिपोर्ट पेश की थी।  

SOURCE ; newsclick.in/ 

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