देश के कई राज्य, उपभोक्ता आयोगों के ढांचागत विकास के लिए आवंटित राशि के उपयोग के लिए नोडल अधिकारी की निुयक्ति करने में देरी कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के लगातार निर्देशों के बाद भी देश के करीब 12 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में अभी भी नोडल अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए आदेश की पालना में शपथपत्र पेश नहीं करने वाले राज्यों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया है.
अब हमें कुछ ऐसा करना होगा कि राज्यों को बात समझ में आ जाए.
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्यों को समझाने के लिए हमें ओर भी कठोर होना पड़ेगा. क्योंकि सरकारें अभी भी कोर्ट के आदेशों की गंभीरता को नही समझ रही हैं. बेंच ने कहा कि उसके आदेश का पालन नहीं करने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि अब हमें कुछ ऐसा करना होगा कि राज्यों को बात समझ में आ जाए.
1 दिसंबर के आदेश का नहीं किया पालन
सुप्रीम कोर्ट ने 1 दिसंबर, 2021 को एक आदेश देते हुए देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को तुरंत प्रभाव से आयोगो में नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा था. आगामी पेशी पर नियुक्ति को लेकर शपथ पत्र भी पेश करने के आदेश दिये थे. लेकिन तय समय के बावजूद करीब 12 राज्यों ने शपथपत्र भी पेश नही किया. एक दिसंबर, 2021 को जारी आदेश में पीठ ने समयसीमा का स्पष्ट उल्लेख किया था, लेकिन इसका ध्यान नहीं रखा गया. कोर्ट ने इस आदेश में आदेश में महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जिला एवं राज्य स्तरीय उपभोक्ता आयोगों में रिक्त पड़े पदों को जनवरी 2022 तक भरने को कहा था.
22 राज्यों ने पेश की पालना रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में अब तक 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने अनुपालन रिपोर्ट जमा की है. 12 राज्यों को छोड़कर बाकी सभी ने नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर दी है. इस पर कोर्ट ने संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश के अनुपालन के लिए चार हफ्ते का वक्त देते हुए कहा कि ऐसा करने में नाकाम रहने पर संबंधित सचिवों को तलब किया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी.
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