पेगासस विवाद में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने याचिकाकर्ताओं द्वारा एक नया हलफनामा दाखिल किया गया है. इस हलफनामे में कई फोन में जासूसी को लेकर एक्सपर्ट्स की जांच रिपोर्ट का जिक्र किया गया है. माना जा रहा है कि एक बार फिर पेगासस को लेकर संसद में विपक्ष सरकार के खिलाफ हंगामा कर सकता है.
दरअसल, पेगासस मामले में जांच की याचिका लगाने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपने फोन की फोरेंसिक जांच के लिए कुछ तकनीकी एक्सपर्ट्स की मदद ली थी. दावा है कि इन विशेषज्ञों को याचिकाकर्ताओं में से कुछ के स्मार्टफोन में पेगासस की सेंध के सबूत मिले हैं. इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दी गई है.
फोन में सेंध के मिले सबूत
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा, कुछ याचिकाकर्ताओं ने सायबर
सिक्योरिटी के विशेषज्ञों से जासूसी के लिए इस्तेमाल होने की आशंका वाले
कुछ फोन की जांच कराई थी. हलफनामे में दो एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया
है कि जांच के लिए उनके सामने लाए गए कई फोन में से कुछ में जासूसी के लिए
सेंध लगाने के ठोस सबूत मिले हैं. हलफनामे के मुताबिक, साइबर सिक्योरिटी के
एक रिसर्चर को 7 आईफोन दिए गए. उनमें से दो में पेगासस की मौजूदगी और सेंध
के छेड़छाड़ मिले. इस रिसर्चर ने अपनी जांच से सुप्रीम कोर्ट की ओर से
नियुक्त समिति को भी हलफनामे के जरिए जानकारी दी है.
एक अन्य साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर ने याचिकाकर्ताओं में से 6 के एंड्रॉयड फोन की जांच की. इनमें से चार में तो बहुत दूर से तकनीक के जरिए संक्रमण यानी फोन के सुरक्षा घेरे में घुसपैठ के सबूत मिले. जबकि दो में तो कई बार घुसपैठ के सबूत मिले हैं.
क्या है मामला?
पेगासस सॉफ्टवेयर यूजर्स के फोन को ट्रैक करता है. हाल ही में कंपनी पर
दुनियाभर के तमाम देशों में यूजर्स के डेटा का गलत इस्तेमाल करने का आरोप
लगा था. आरोप है कि कंपनी ने डेटा को भारत समेत विभिन्न देशों की सरकारों
को दिया, जिन्होंने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं की जासूसी करने में इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद सुप्रीम
कोर्ट में इस मामले में जांच के लिए कई याचिकाएं दाखिल की गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए बनाई थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले की जांच के लिए SC के
रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुआई में साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों
की समिति बनाई थी. समिति में साइबर सिक्योरिटी के तीन विशेषज्ञों में
गांधीनगर में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के डीन प्रोफेसर डॉ नवीन
कुमार चौधरी, केरल के अमृता विश्वविद्यापीठम में प्रोफेसर पी प्रभारन और
आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर अश्विन अनिल गुमाश्ते शामिल हैं.
इस जांच समिति ने जनवरी में आम जनता से जांच में सहयोग मांगा था. जांच कमेटी ने कहा था कि अगर किसी को लगता है कि उसके फोन में जासूसी हुई है, तो वे कमेटी से संपर्क कर सकते हैं. हालांकि इसी दौरान याचिकाकर्ताओं में से कुछ ने भी अपने फोन की जांच कराई.
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