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यूपी: प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तस्वीरों वाली खाद्य सामग्री नहीं बांटने का निर्देश

 

उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने आदेश दिया कि उचित दर की दुकानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों वाली और ‘सोच ईमानदार, काम दमदार’ लिखी मुफ़्त खाद्य सामग्री के पैकेट न बांटे जाएं.

प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री की तस्वीरों वाली मुफ्त खाद्य सामग्री (फोटो: द वायर)

मुजफ्फरनगर/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही बीते आठ जनवरी को राज्य के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने आदेश दिया कि उचित दर की दुकानों पर प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री की तस्वीरों वाली मुफ्त खाद्य सामग्री वितरित न की जाए.

निर्वाचन आयोग द्वारा बीते आठ जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद खाद्य सुरक्षा आयुक्त सौरभ बाबू ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी किए.

आदेश में कहा गया है, ‘उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त की ओर से सभी जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया जाता है कि उचित दर की दुकानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों वाली और ‘सोच ईमानदार, काम दमदार’ लिखी मुफ्त खाद्य सामग्री के पैकेट वितरित न किए जाए.’

राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा कि लिए 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच सात चरणों में मतदान होगा. चुनाव वाले सभी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है.

आदर्श आचार संहिता लगते ही प्रशासन ने हटाने शुरू किए बैनर, पोस्टर व होर्डिंग

इसके अलावा उत्तर प्रदेश में आठ जनवरी की शाम से ही जगह-जगह लगे होर्डिंग-बैनर, पोस्टर हटाने के साथ ही दीवारों पर लिखे नारे मिटाने शुरू कर दिए हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल ने रविवार को बताया, ‘राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है और उसका अक्षरश: पालन कराया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘सभी जिलाधिकारियों/जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है और वे अपनी नियमित रिपोर्ट भेजेंगे. आचार संहिता लागू होने के साथ ही राज्य के सभी जिलों में जिलाधिकारियों के निर्देश पर निकायों और अन्‍य प्रशासनिक इकाइयों ने बैनर, पोस्टर, होर्डिंग हटाने के साथ ही दीवारों पर लिखे नारे मिटाने शुरू कर दिए.’

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 403 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं. राज्य में पुलिस, प्रशासन और निकाय के अधिकारियों ने आचार संहिता का पालन कराने के लिए मोर्चा संभाल लिया है और इसके लिए अब सभी विधानसभा क्षेत्रों में पर्यवेक्षकों की भी नियुक्ति होगी.

चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक चुनावी रैली, रोड शो, पद यात्रा और साइकिल रैली पर भी रोक लगा दी है.

लखनऊ के जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि आदर्श आचार संहिता का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए नियुक्त किए गए समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेशित किया जाता है कि वे भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा जारी आदेशों का अक्षरश: कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं.

प्रकाश ने चेतावनी दी कि किसी भी स्तर पर शिथिलता को गंभीरता से लिया जाएगा और संबंधित के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

जिलाधिकारी का निर्देश मिलते ही लखनऊ के नगर आयुक्त ने बैनर-पोस्टर, होर्डिंग आदि उतारने के लिए टीम लगा दी. यह टीम रविवार को बैनर-पोस्टर हटाते देखी गई.

बस्ती से मिली खबर के अनुसार, प्रशासन ने जगह जगह पर लगे होर्डिंग व बैनर पोस्टर वाल पेंटिंग को हटाने का काम शुरू कर दिया.

बस्ती की जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया कि सार्वजनिक संपत्ति पर राजनीतिक दलों के बैनर पोस्टर लगे हैं, उनको हटाने का कार्य तीव्र गति से शुरू का दिया गया है.

इटावा की जिलाधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी श्रुति सिंह के निर्देश पर जिले में क्षेत्रों से होर्डिंग, पोस्टर, वाली पेंटिंग आदि प्रचार सामग्री हटाने का कार्य किया जा रहा है. राज्य के अन्य जिलों से भी इसी तरह की खबरें मिली हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होते ही लखनऊ जिला प्रशासन और लखनऊ नगर निगम की टीमों ने शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों के 25,000 बैनर और पोस्टर हटा दिए.

प्रशासन और पुलिस की टीमों ने शहर में 200 से अधिक क्रॉसिंग का चक्कर लगाया और विरोध प्रदर्शन करने वाले सभी लोगों को खाली करा दिया, क्योंकि अब राज्य को कोई ज्ञापन नहीं सौंपा जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अब से प्रशासन की अनुमति के बिना कोई भी राजनीतिक दल गेस्ट हाउस में बैठक नहीं कर सकेगा और कोई भी लाउडस्पीकर का प्रयोग बिना अनुमति के नहीं करेगा.

लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश ने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थान का प्रचार के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा, किसी भी धार्मिक स्थान पर कोई पोस्टर या बैनर नहीं होगा, कोई भी राजनीतिक दल किसी भी मतदाता को पैसे या किसी अन्य स्रोत के माध्यम से अपने पक्ष में वोट करने के लिए नहीं लुभाएगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा. इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा और उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

संयुक्त पुलिस आयुक्त, कानून और व्यवस्था, पीयूष मोर्डिया ने कहा कि सभी पांच पुलिस उपायुक्तों को जोनों में आदर्श आचार संहिता के नियमों और इसकी प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया है.

उन्होंने कहा, ‘आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और प्रत्येक जोनल डीसीपी के अधिकार क्षेत्र में होगा. सभी पुलिस जोन प्रमुखों को भी निर्देश दिया गया है कि वे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के लिए टीमें बनाएं.’

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