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गृह मंत्रालय ने सीएए के तहत नियम बनाने के लिए और समय मांगा

 दिसंबर 2019 में संसद में पारित संशोधित नागरिकता अधिनियम अभी लागू नहीं हुआ है क्योंकि इसके तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं. नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय अब तक पांच बार समय विस्तार मांग चुका है.



नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसदीय समितियों से संपर्क करके संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत नियम बनाने के लिए और समय का अनुरोध किया है.

सीएए के माध्यम से मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देना चाहती है. यह जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी.


संशोधित नागरिकता अधिनियम 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी. इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था. हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है क्योंकि सीएए के तहत नियम अभी बनाए जाने बाकी हैं.

संसदीय कार्य संबंधी नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या फिर लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से विस्तार का अनुरोध किया जाना चाहिए.

चूंकि, गृह मंत्रालय सीएए कानून बनने के छह महीने के भीतर नियम नहीं बना सका, इसलिए उसने समितियों से और समय मांगा – पहली बार जून 2020 में और फिर और चार बार. पांचवां विस्तार सोमवार को समाप्त हो गया.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने और समय के अनुरोध के लिए संसदीय समितियों से संपर्क किया है. उम्मीद है कि हमें सेवा विस्तार मिल जाएगा.’

केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सीएए के पात्र लाभार्थियों को भारतीय नागरिकता कानून के तहत नियम अधिसूचित होने के बाद ही दी जाएगी.

बता दें कि 11 दिसंबर, 2019 को संसद से पारित सीएए कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ता के कारण 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए.

विपक्ष के पुरजोर विरोध के बावजूद इस कानून को पारित किया गया. इसके बाद विपक्ष समेत देश में बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया गया. केंद्र सरकार पर जान-बूझकर मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखने का आरोप भी लगा.

संसद द्वारा सीएए पारित होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें पुलिस गोलीबारी और संबंधित हिंसा में लगभग 100 व्यक्तियों की मौत हो गई. इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे हुए थे.

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