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यूपी: चौबीस घंटे में दूसरे मंत्री का इस्तीफ़ा, स्वामी प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरंट जारी

 

योगी सरकार में वन मंत्री और मऊ की मधुबन सीट से विधायक दारा सिंह चौहान ने कहा कि वे पिछड़ों, किसानों और बेरोज़गार युवाओं के प्रति सरकार की उपेक्षा के चलते इस्तीफ़ा दे रहे हैं. उधर, इससे पहले पार्टी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के ख़िलाफ़ सुल्तानपुर की एक अदालत ने सात साल पुराने मामले में गिरफ़्तारी का वॉरंट जारी किया है.

दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनके साथ की तस्वीर अपने ट्विटर पर पोस्ट की है.

लखनऊ/सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश सरकार में वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने बुधवार को मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया.

मऊ की मधुबन सीट से विधायक चौहान ने कहा कि पिछड़ों, दलितों, किसानों और बेरोजगार युवाओं के प्रति सरकार की उपेक्षा के चलते वह इस्तीफा दे रहे हैं.

 

 

इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चौहान का उनकी पार्टी में स्वागत है.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘सामाजिक न्याय संघर्ष के अनवरत सेनानी श्री दारा सिंह चौहान जी का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सपा व उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को आगे ले जाएंगे… भेदभाव मिटाएंगे! ये हमारा समेकित संकल्प है! सबको सम्मान ~ सबको स्थान!’

हालांकि, चौहान ने अभी यह साफ नहीं किया है कि वह किस पार्टी में जाएंगे, लेकिन ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा में शामिल हो सकते हैं.

दारा सिंह चौहान पिछले चौबीस घंटे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार से इस्तीफा देने वाले दूसरे मंत्री हैं. इससे एक दिन पहले, मंगलवार को मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दे दिया था और उनके भी सपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं.

उनके इस्तीफ़े बाद बांदा के तिंदवारी से विधायक बृजेश प्रजापति और तिलहर विधायक रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा छोड़ दी थी.

इस्तीफा देने के बाद चौहान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने भाजपा सरकार में पूरी निष्ठा और लगन के साथ काम किया, लेकिन निश्चित रूप से पांच साल में ओबीसी, दलित, वंचित, बेरोजगार नौजवान को न्याय नहीं मिल पाया और इससे आहत होकर उन्होंने सरकार से इस्तीफा दिया है.

उन्होंने कहा, ‘जिस गरीब, पिछड़े, दलित समाज के नाते बहुमत की सरकार बनी, उस समाज को कुछ नहीं मिला और इससे आहत होकर मैंने इस्तीफा दिया है.’

चौहान ने कहा, ‘मैं पांच साल तक शुरू से लगातार पार्टी आलाकमान को सूचना देता रहा और उनसे बात करता रहा लेकिन मेरी बातों को अनसुना कर दिया गया, क्योंकि मैं पिछड़ों, दलितों की बात करता था.’

उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लिखे पत्र में कहा, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में वन पर्यावरण और जंतु उद्यान मंत्री के रूप में मैंने पूरे मनोयोग से अपने विभाग की बेहतरी के लिए कार्य किया, किंतु पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों के प्रति सरकार के घोर उपेक्षात्मक रवैये तथा पिछड़ों एवं दलितों के आरक्षण के साथ हो रहे खिलवाड़ से आहत होकर मैं उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.’

 

 

 

राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दारा सिंह के इस्तीफे के बाद ट्वीट किया, ‘परिवार का कोई सदस्य भटक जाए तो दुख होता है. जाने वाले आदरणीय महानुभावों से मैं बस यही आग्रह करूंगा कि डूबती हुई नाव पर सवार होने से नुकसान उनका ही होगा. बड़े भाई श्री दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिए.’

कमान से निकला तीर वापस कभी नहीं आता: स्वामी प्रसाद मौर्य

मंगलवार को उपमुख्यमंत्री ने स्वामी प्रसाद मौर्य से भी उनके फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था. हालांकि मौर्य ने बुधवार को भाजपा में वापसी से इनकार करते हुए दावा किया कि मंत्री पद से उनके इस्तीफे के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल में भूचाल आ गया है.

मौर्य ने भाजपा में वापसी की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मेरे इस्तीफे के बाद दर्जनों नेताओं के मुझे फोन आए लेकिन अब उसका कोई मतलब नहीं रह जाता, इसलिए मैं किसी से बात नहीं कर रहा हूं. कमान से निकला तीर वापस कभी नहीं आता.’

उन्होंने दावा किया कि उनके इस्तीफे के बाद भाजपा में भूचाल आ गया है. उन्होंने कहा, ‘पहले जो मंत्रियों से सीधे बात नहीं करते थे, आज उनकी आरती उतारते नजर आ रहे हैं. आज एक-एक विधायक, सांसद और मंत्री की घेराबंदी हो रही है. जिन विधायकों का टिकट कटने वाला था, मेरे इस्तीफे से उनका टिकट बचने जा रहा है लेकिन इसके बावजूद इनकी सरकार बचने वाली नहीं है.’

मौर्य ने आगामी 14 जनवरी को सपा में शामिल होने का संकेत दिया. उनके साथ और कौन-कौन सपा में शामिल होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा ’14 जनवरी को सब कुछ साफ हो जाएगा.’

मौर्य ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आज इनको अपनी हैसियत का पता लगा और स्वामी प्रसाद मौर्य कौन-सी बला है, इसका भी एहसास आज इनको हो गया है. पहले अगर एहसास हो गया होता तो न इनकी मनमानी चलती, न दलितों और पिछड़ों की अनदेखी होती और न वे मदांध होकर जनता के हितों के साथ खिलवाड़ करते. उत्तर प्रदेश को चरागाह समझने वाले लोग सावधान रहें. उत्तर प्रदेश अगर किसी को आमंत्रित करता है तो उसकी विदाई भी सम्मान के साथ करता है.’

अपनी बेटी और भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर मौर्य ने कहा कि वे अपना फैसला खुद लेंगी.

उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर हमला करते हुए कहा कि पूरे पांच वर्षों तक वह दलितों, पिछड़ों तथा अन्य वंचित वर्गों के मुद्दे उठाते रहे, मगर भाजपा सरकार कुंभकर्ण की नींद सोती रही.

इस सवाल पर कि भाजपा ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को उन्हें पार्टी में दोबारा लाने की मुहिम पर लगाया है, मौर्य ने कहा कि ‘केशव उनके छोटे भाई हैं मगर वह खुद भी भाजपा में बेचारा बनकर समय काट रहे हैं.’

सात साल पुराने मामले में जारी हुआ गिरफ्तारी का वॉरंट

इस बीच, मौर्य के मंत्री पद से इस्तीफे के एक दिन बाद उनके खिलाफ सुल्तानपुर की एक स्थानीय अदालत ने देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के सात साल पुराने एक मामले में गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है.

इस बीच, मंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद बुधवार को सुल्तानपुर की एक अदालत ने देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के एक मामले में मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया.

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बताया कि वर्ष 2014 में देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में मौर्य के खिलाफ वर्ष 2016 में गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया गया था, लेकिन मौर्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था.

उन्होंने बताया कि छह माह की अवधि पूरी हो जाने पर अदालत में बुधवार 12 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य को हाजिर होना था, मगर उनके उपस्थित नहीं होने पर न्यायाधीश योगेश कुमार यादव की अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी कर दिया. मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी.

अन्य पिछड़ा वर्ग की मौर्य बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले और वर्ग के प्रभावशाली नेता माने जाने वाले 68 वर्षीय स्वामी प्रसाद मौर्य का पूर्वांचल के कई क्षेत्रों में दबदबा माना जाता है.

वे मूल रूप से प्रतापगढ़ जिले के चकबड़ गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 1980 में सक्रिय रूप से राजनीति में कदम रखा और लोकदल के नेता के रूप में उनकी पहचान बनी. बाद में जनता दल का गठन होने के बाद वे 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश में जनता दल के महासचिव पद पर रहे. इसके बाद वे बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए.

मौर्य पहली बार 1996 में बसपा के टिकट पर डलमऊ (रायबरेली) क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और 1997 में मायावती के नेतृत्व वाली भाजपा-बसपा गठबंधन सरकार में खादी ग्रामोद्योग मंत्री बने.

मौर्य 2001 में बसपा विधानमंडल दल के नेता बने. 2002 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर वह दूसरी बार विधायक चुने गए. मायावती ने 2007 में उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और वे बसपा सरकार में राजस्व मंत्री बने. मौर्य बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

बसपा ने 2009 में पडरौना (कुशीनगर) विधानसभा सीट पर उपचुनाव में मौर्य को उम्मीदवार बनाया और चुनाव जीतने पर उन्हें पंचायती राज मंत्री का पद दिया. 2012 में मौर्य फ‍िर पडरौना से चुनाव जीते और बसपा ने उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता बनाया.

22 जून, 2016 को अचानक एक पत्रकार वार्ता में मौर्य ने बसपा प्रमुख मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए बसपा छोड़ने की घोषणा की और भाजपा में शामिल हो गए.

भाजपा के टिकट पर 2017 में वह पांचवीं बार पडरौना विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए और उन्‍हें योगी आदित्यनाथ की सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री बनाया गया.

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