उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 11 ज़िलों की 58 विधानसभा सीटों पर मतदान मतदान होना है। हर तरफ़ चुनाव की ही चर्चा है। 5 वर्षों में यही वह समय है जब राजनीतिक पार्टियाँ आम लोगों की सुनती हैं। ऐसे समय में भी प्रदेश के आम लोगों के जीवन की बुनियादी ज़रूरतों की चर्चा के ऊपर जाति-धर्म के मुद्दे हावी होते जा रहे हैं।
राजनीतिक पार्टियों की प्राथमिकता में रोजगार मुद्दा भले ही न हो लेकिन प्रदेश के नौजवानों के लिये यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। देश 45 वर्षों में सर्वाधिक बेरोज़गारी का सामना कर ही रहा था कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये सरकार ने आधी-अधूरी तैयारियों के साथ पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया। करोड़ों की संख्या में लोग बेरोज़गार हो गये।
आँकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश के साथ ही मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर में भी बेरोज़गारी विकराल समस्या का रूप ले चुकी है। गोरखपुर मंडल में सेवायोजन कार्यालय के तहत पंजीकृत बेरोज़गारों में से 2021 में मात्र 4.42 प्रतिशत नौजवानों का ही रोज़गार मेलों के माध्यम से चयन किया गया है।
क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय, गोरखपुर के 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में 56 रोज़गार मेलों का आयोजन किया गया जिसमें 9,110 युवकों को रोज़गार के लिये चयनित किया गया है। जबकि कार्यालय में 2,06,021 युवक रजिस्टर्ड हैं। गोरखपुर मंडल में देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और गोरखपुर ज़िले शामिल हैं।
सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत 2,06,021 बेरोजगारों में से गोरखपुर कार्यालय में 78,421 युवकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। वहीं, देवरिया में 42,453, कुशीनगर में 33,593 और महराजगंज में 51,554 युवकों का रजिस्ट्रेशन किया गया है।
सभी जिलों में 56 रोज़गार मेलों का आयोजन किया गया था। इन मेलों में अभ्यर्थियों की शैक्षिक योग्यता और साक्षात्कार के आधार पर उनका चयन किया गया था। गोरखपुर 20, देवरिया 13, कुशीनगर 11 और महराजगंज में 12 रोज़गार मेलों का आयोजन किया गया था।
जिलास्तर पर आयोजित रोज़गार मेलों में गोरखपुर 4,772, देवरिया 1,938, कुशीनगर 1,035 और महराजगंज में 1,365 युवाओं सहित कुल 9,110 युवकों का चयन किया गया था। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय, गोरखपुर के मातहत 832 नियोजकों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। इसमें सरकार व अर्ध सरकारी नियोजकों की संख्या 527 और निजी नियोजक 305 हैं।
रोज़गार की चाह में 1,228 विकलांगों ने भी रजिस्ट्रेशन करवाया है। इनमें गोरखपुर के 625, देवरिया के 74, कुशीनगर के 202 और महराजगंज के 317 विकलांग शामिल हैं। लेकिन 2021 में किसी भी विकलांग को रोज़गार नहीं मिला।
5 साल में 70 लाख रोज़गार देने का किया था वादा
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में “हर युवा को मिलेगा रोज़गार” के तहत वादा किया था कि जब वह सत्ता में आयेगी तो अगले 5 वर्षों में 70 लाख रोज़गार एवं स्व. रोज़गार के अवसर पैदा किये जायेंगे, उत्तर प्रदेश में स्थापित हर उद्योग में 90 प्रतिशत नौकरियों को प्रदेश के युवाओं के लिये आरक्षित किया जाएगा, सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर प्रदेश के सभी रिक्त सरकारी पदों के लिये पारदर्शी तरीक़े से भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जायेगी और हर घर के एक सदस्य को मुफ़्त कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जायेगा।
रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के भाजपा के दावे पर युवा हल्ला बोल के रजत सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं “सूचना के अधिकार के तहत पता चला है कि अप्रैल 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से यूपीएसएसएससी ( उत्तर प्रदेश सबऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन कमीशन ) ने कुल 13 भर्तियाँ निकाली जिनमें से किसी में भी नियुक्ति नहीं दी गयी है।”
उत्तर प्रदेश में 2016 से दिसंबर 2021 के बीच 16.13 लाख लोगों की नौकरी जा चुकी है। प्रदेश में काम करने योग्य लोगों ( 15 वर्ष से अधिक ) की संख्या 17.07 करोड़ है और रोज़गार मात्र 5.59 करोड़ लोग ही कर रहे हैं।
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकानमी के आँकड़े बता रहे हैं कि 5 वर्षों में बेरोज़गारी दर 8 प्रतिशत से घटकर 4.83 प्रतिशत हो गई है। बेरोज़गारी दर में इस गिरावट का कारण रोज़गार माँगने वालों की संख्या में आई कमी मुख्य वजह है। लंबे समय तक बेरोजगारी झेल रहे नौजवान अब नौकरी की उम्मीद भी खो रहे हैं। नौकरी की उम्मीद में आवेदन करने वालों की संख्या में गिरावट हुई है।
दिसंबर 2016 में प्रदेश में काम करने योग्य लोगों की संख्या 14,95,70,000 और नौकरी करने वालों की 5,75,89,000 थी। दिसंबर 2021 में काम करने योग्य लोगों की संख्या 17,07,30,000 हो गई लेकिन काम करने वालों की संख्या घटकर 5,59,76,000 हो गई। इसका अर्थ है काम करने योग्य 2,11,60,000 लोग बढ़ गये लेकिन काम करने वाले 16,13,000 लोगों की नौकरी चली गई। ग़ौरतलब है कि दिसंबर 2016 में रोज़गार माँगने वालों की संख्या 6.25 करोड़ थी और दिसंबर 2021 में में 5.88 करोड़ है।
प्रदेश में सक्रिय बेरोज़गार 41,07,806 और रिक्तियाँ मात्र 1,256
सेवायोजन कार्यालय का मुख्य काम एक मंच का है जिससे बेरोज़गार और नियोक्ता दोनों ही जुड़े होते हैं। आदर्श स्थिति में सेवायोजन विभाग के माध्यम से सरकारी और गैरसरकारी नियोक्ता और बेरोज़गार दोनों एक-दूसरे की ज़रूरतें पूरी करते हैं। हालाँकि सच्चाई यह है कि सरकारी विभाग ही कर्मचारियों की नियुक्ति करते समय सेवायोजन विभाग को कोई सूचना नहीं देते हैं।
सेवायोजन कार्यालय उत्तर प्रदेश ( रोज़गार संगम ) की वेबसाइट पर फ़िलहाल सक्रिय बेरोज़गारों की संख्या 41,07,806 है। साथ ही सक्रिय नियोक्ता के रूप में 20,729 संस्थाओं को सूचीबद्ध किया गया है। 20 हज़ार से अधिक नियोक्ता मौजूद होने के बाद भी वेबसाइट पर मात्र 1,256 रिक्त पद हैं। औसतन 16 संस्थाओं में एक नौजवान के लिये रिक्त पद है। यह भी एक सवाल बनता है कि रिक्त पद किस योग्यता और वेतनमान के पद हैं?
गोरखपुर सेवायोजन कार्यालय के सहायक निदेशक रासबिहारी चतुर्वेदी साफ़ स्वीकार करते हैं कि बेरोज़गारी बढ़ी है। गोरखपुर मंडल में मात्र 9,110 युवकों के चयन का कारण पूछने पर वह कहते हैं “जब सरकारी विभागों में नियुक्तियाँ नहीं निकलेंगी तो ज़ाहिर सी बात है कि बेरोज़गारी बढ़ेगी। अधिक रजिस्ट्रेशन के सापेक्ष कम युवकों को रोज़गार मिलने का एक मात्र कारण बढ़ती बेरोज़गारी है।”
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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