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एनआईए द्वारा गिरफ़्तार युवक के परिजन बोले- 12वीं का छात्र आतंकी संगठन में भर्ती कैसे कर सकता है

 

एनआईए अधिकारियों के मुताबिक़, 18 साल के अर्सलान को जम्मू कश्मीर में हिंसक गतिविधियों के लिए सूबे के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उकसाने और भर्ती करने के लिए रची गई साज़िश संबंधित मामले में 30 दिसंबर को गिरफ़्तार किया गया था. परिवार ने एजेंसी के दावों का खंडन किया है.

अर्सलान फिरोज. (फोटोः फैजान मीर)

श्रीनगरः 18 साल की सहरिश फिरोज के इकलौते भाई को पिछले दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद से उनके माता-पिता दुख में डूबे हुए हैं और अब तक दो बार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि उनके पिता को एंग्जाइटी न्यूरोसिस है जबकि मां शोक में डूबी हुई हैं.

सहरिश बताती हैं, ‘डॉक्टरों ने हमसे कहा है कि उन्हें (पिता) और तनाव नहीं दें वरना उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है. अगर उन्हें कुछ हुआ तो हमारी देखभाल कौन करेगा?’

उनके पिता फिरोज अहमद ही परिवार का पालन-पोषण करने वाले एकमात्र शख्स हैं.

बता दें कि आतंकवाद से जुड़े एक मामले में एनआईए ने 30 दिसंबर को श्रीनगर के जल्दागर इलाके में एक घर पर छापेमारी की और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र अर्सलान फिरोज को गिरफ्तार कर लिया.

एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, अर्सलान को जम्मू कश्मीर में हिंसक गतिविधियां पैदा करने के लिए जम्मू कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उकसाने और भर्ती करने के लिए रची गई साजिश से संबंधित एक मामले गिरफ्तार किया गया है.

सहरिश बताती हैं, ‘छापेमारी के समय अर्सलान घर पर नहीं थे. वह मामा के घर थे और रात में वहीं रुके थे. हमने उन्हें तुरंत फोन कर घर आने को कहा.’

सहरिश ने कहा, ‘एनआईए अधिकारियों ने लगभग तीन घंटे तक घर की तलाशी ली लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. जब अर्सलान आया तो वे उसे अपने साथ ले गए.’

एनआईए के श्रीनगर ऑफिस से शाम को फोन कर परिवार को अर्सलान के कपड़े लाने को कहा गया ताकि उसे (अर्सलान) दिल्ली ले जाया जा सके.

एजेंसी का दावा है कि श्रीनगर में तलाशी के दौरान उन्हें कुछ डिजिटल साक्ष्य और आपत्तिजनक दस्तावेज मिले थे.

बता दें कि एनआईए का यह मामला कश्मीर में नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमलों से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक नया संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) शामिल है. एनआईए का मानना है कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ही इकाई है.

एनआईए के मुताबिक, ‘अर्सलान लश्कर के तीन कमांडरों सज्जाद गुल, सलीम रहमानी और सैफुल्ला साजिद जट द्वारा संचालित मॉड्यूल का हिस्सा है, जो पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की रेकी करने, लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ के लिए हथियारों की आवाजाही में मदद के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स को नियुक्त करता है. इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.’

सहरिश का कहना है कि वह नहीं समझ पा रही है कि अर्सलान जो अपने माता-पिता को एक दिन हज यात्रा पर भेजने के लिए पैसे बचाने का सपना देख रहे थे, आखिर वो कैसे आतंकवाद का दामन थाम सकते हैं?

वह कहती हैं, ‘वह मेरी मदद के बिना अपना बिस्तर भी नहीं बना सकता तो वह आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी कैसे बना सकता है?’

सहरिश ने खेल गतिविधियों में भाग लेने के लिए अर्सलान को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा दिए गए प्रशस्ति पत्र भी दिखाए. उनके पिता एक निजी ठेकेदार के एकाउंटेंट हैं जो अकेले ही परिवार का लालन-पालन करते हैं. उनका श्रीनगर में एक छोटा-सा घर है, जिसमें सहरिश के पांच चचेरे भाई-बहनों सहित परिवार के नौ सदस्य रहते हैं.

परिवार के मुताबिक, अर्सलान को सबसे पहले एनआईए ने 21 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और 40 दिन बाद रिहा कर दिया था.

सहरिश ने कहा, ‘उस समय उन पर कोई आरोप नहीं लगाए गए थे. अगर वह आतंकवाद में शामिल था तो उसे रिहा क्यों किया गया था? बीते कुछ हफ्तों में ऐसा क्या बदल गया कि 12वीं कक्षा का छात्र आतंकी गतिविधियों के लिए युवाओं को भर्ती करने वाला बन गया? ये सब झूठ हैं.’

अर्सलान ने अपनी आखिरी परीक्षा सरकारी स्कूल से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी. रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह क्रिकेट टूर्नामेंट और कबड्डी चैंपियनशिप सहित खेल गतिविधियों में नियमित तौर पर हिस्सा लेते थे.

सहरिश कहती हैं, ‘हम अक्सर साथ पढ़ते थे क्योंकि हम निजी स्कूल का खर्च नहीं उठा सकते थे. अगर मुझे कोई विषय समझने में दिक्कत होती तो अर्सलान मेरी मदद करता. बीते कुछ महीनों में हुए घटनाक्रमों की वजह से अर्सलान परीक्षा नहीं दे सका था, मैं भी सही तरीके से परीक्षा नहीं दे पाई.’

अर्सलान की गिरफ्तारी के दो दिन बाद उनकी रिहाई की मांग करते हुए पीड़ित परिवार कुछ पड़ोसियों के साथ श्रीनगर की प्रेस कॉलोनी पहुंचा. अर्सलान के पिता ने हाथ जोड़कर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह से एनआईए की हिरासत से अपने बेटे की रिहाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

इसके बाद परिवार ने श्रीनगर के गुपकर रोड स्थित पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के निवास पर उनसे मुलाकात की, जिन्होंने वादा किया कि वह अर्सलान की रिहाई की मांग करते हुए अमित शाह को पत्र लिखेंगी.

महबूबा ने कहा, ‘एनआईए का दावा है कि वह टीआएफ का ऑपरेटिव है जबकि उसका परिवार कुछ और कह रहा है. पहले और मौजूदा समय में अर्सलान के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. उसका परिवार ट्रॉमा में है और मैं इस संबंध में गृहमंत्री को पत्र लिखूंगी.’

महबूबा ने तीन जनवरी को केंद्रीय गृहमंत्री को लिखे पत्र में कहा, ‘अर्सलान एक सामान्य पृष्ठभूमि का बच्चा है. उनका परिवार पहले से ही दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है. आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि उसकी गिरफ्तारी से परिवार किस मानसिक पीड़ा से गुजर रहा होगा?’

पत्र में कहा गया, ‘आपने यहां जोर देकर युवाओं से जुड़ने की बात कही थी. हमारे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद मुझे यकीन हैं हम इस बात से सहमत हैं कि इस तरह की घटनाएं हमारी युवा पीढ़ी को दूर ही करेगी और उन्हें एक ऐसे स्थाई निशान के साथ छोड़ देंगी, जिससे उन्हें लंबे समय तक निराशा ही होगी. मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप व्यक्तिगत तौर पर इस मामले में हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि पीड़ित को न्याय मिले.’

एक समान त्रासदी

सहरिश का कहना है कि जब से एनआईए ने अर्सलान को गिरफ्तार किया है, उनकी मां अपने बेटे के लौटने की उम्मीद लगाए बैठी है. वह बार-बार कहती हैं, ‘मेरा बेटा लौटा दो, मेरा बेटा लौटा दो.’

पड़ोसी उन्हें आश्वासन देने की कोशिश करते हैं कि अर्सलान जल्द ही वापस लौटेगा लेकिन वे भी इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं.

एक महिला अर्सलान की मां को ढांढसा बधांते हुई कहती है, ‘बीते कुछ महीनों में कश्मीर के कई परिवार भी इसी तरह की त्रासदियों से जूझ रहे हैं और हम यह मानते रहे कि उन्होंने कुछ गलत किया होगा. अर्सलान एक प्यारा बच्चा है, जो अपने माता-पिता की देखभाल करता है. एनआईए के दावों में कोई सच्चाई नहीं है.’

पिछले साल अक्टूबर से जब प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाकर हमले किए जा रहे थे तो एनआईए ने आतंकी घटनाओं में कथित भूमिका को लेकर श्रीनगर सहित घाटी के विभिन्न हिस्सों से दो दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें ज्यादातर युवा थे.

गिरफ्तार किए गए लोगों में 2017 में मारे गए एक आतंकी की बहन और श्रीनगर के एक फ्रीलांस फोटो पत्रकार भी थे.

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