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यूपी: शिक्षा आयोग की वेबसाइट पर अकबर इलाहाबादी का नाम ‘प्रयागराज’ होने के बाद हैकिंग का दावा

 

Allahabad: Rashtriya Rakshak Samuh activists cover Allahabad Railway Junction board with poster of 'Prayagraj' as Uttar Pradesh government Cabinet approves renaming of the city 'Allahabad' to 'Prayagraj' ahead of Kumbh Mela, in Allahabad, Wednesday, Oct 17, 2018. (PTI Photo) (PTI10_17_2018_000039B)

(फाइल फोटो: पीटीआई)

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट पर मशहूर साहित्यकारों के नाम में अजीबोगरीब बदलाव के बाद आयोग ने दावा किया है कि हैकरों ने कथित तौर पर मंगलवार को उसकी वेबसाइट को निशाना बनाया और कई साहित्यकारों के नामों से छेड़छाड़ की.

हालांकि, आयोग का कहना है कि उसने कुछ देर बाद ही साहित्यकारों के नामों को ठीक कर लिया.

 

 

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने बताया, ‘आयोग की वेबसाइट हैक कर ली गई और साहित्यकारों के नामों के साथ छेड़छाड़ की गई. हालांकि, वेबसाइट को फिर से बहाल कर लिया गया है और साइबर अपराध शाखा के पास इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है.’

उन्होंने स्पष्ट किया कि साहित्यकारों के नामों में बदलाव आयोग की तरफ से नहीं किया गया है.

बदलाव किए जाने से पहले आयोग की वेबसाइट. (साभार: स्क्रीनशॉट/uphesc.org)

आयोग की वेबसाइट में इलाहाबाद के बारे में दी गई जानकारी में शहर के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकारों के बारे में लिखा गया है जिनमें मशहूर शायर सैयद अकबर हुसैन उर्फ अकबर इलाहाबादी, नूह नारवी, तेग इलाहाबादी, शबनम नकवी और राशिद इलाहाबादी शामिल हैं. जहां आयोग के अनुसार कथित हैकिंग करते हुए अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी, तेज इलाहाबादी को तेग प्रयागराज और रशीद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराज कर दिया गया.

अब वेबसाइट के हिंदी-अंग्रेजी दोनों ही संस्करण में इन नामों को ठीक कर लिया गया है. हालांकि इससे पहले मंगलवार शाम से सोशल मीडिया पर इसे लेकर मखौल उड़ाया गया और आलोचना भी की गई.

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद शहर का नाम कुंभ 2019 से पूर्व 2018 में बदल कर प्रयागराज कर दिया था.

शहर के साहित्यकार एवं पत्रकार धनंजय चोपड़ा ने इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शहर इलाहाबाद इतिहास के पन्नों में दर्ज है और शहर के साहित्यकारों ने इस शहर को जिया और अपने नाम के आगे इलाहाबादी जोड़ने में गर्व महसूस किया.

उन्होंने कहा कि यह इतिहास को बदलने जैसा है.

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