कोविड-19 के चलते करीब 9 माह से खंडवा-बीड़ शटल बंद रहने से बीड़ सहित दो दर्जन गांवों के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परमिट होने के बावजूद बसें बीड़ नहीं आ रही हैं। ग्रामीण कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं निकल रहा। ग्रामीणों को बस के लिए मूंदी जाना पड़ता है। भास्कर की पहल पर कुछ माह पूर्व एआरटीओ ने बस संचालकों को नोटिस भी जारी किए थे, लेकिन कार्रवाई के अभाव में यह भी औपचारिक साबित हुए।
बीड़ क्षेत्र का प्रमुख गांव है। यहां से शटल ट्रेन तो चलती ही थी बसें भी नियमित आया करती थीं। बीड़ से दो दर्जन से अधिक गांव जुड़े हैं। इन गांवों के लोग बीड़ से ही जिला मुख्यालय खंडवा के लिए बस या ट्रेन पकड़ते थे। रेलवे ने शटल ट्रेन बंद कर रखी है। परिवहन विभाग ने बसेंे चलाने की अनुमति दे दी है। प्रदेश और जिले के ऑपरेटर बसें चालू कर चुके हैं, लेकिन बीड़-मूंदी-पुनासा संचालित होने वाली बसें परमिट होने के बावजूद बीड़ नहीं आ रही हैं। खंडवा से पुनासा जाने वाली बसें बीड़ की बजाय मूंदी से ही निकल जाती हैं, जबकि उन्हें बीड़ होकर जाना चाहिए। क्षेत्र के ग्रामीणों को निजी, व्यापारिक और शासकीय काम के लिए जिला मुख्यालय पहुंचने में खासी दिक्कत हो रही है। ग्रामीणों को बस पकड़ने के लिए टेम्पो या ऑटो से मूंदी जाना पड़ता है। खंडवा से बीड़ आने वालों को भी बस परिचालक बीड़ का किराया लेकर मूंदी में ही उतार देते हैं।
स्थायी रूप से बंद होने की आशंका
बीड़ क्षेत्र के ग्रामीणों को शटल ट्रेन स्थायी रूप से बंद होने की आशंका सता रही है, क्योंकि रेलवे पहले भी ऐसे प्रयास कर चुका है। ग्रामीणों का कहना है इंदिरा सागर बांध की डूब के कारण दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक समाप्त किया जा चुका है। इससे आम ग्रामीणों के साथ व्यापारियों, शासकीय कर्मचारियों व विद्यार्थियों को काफी राहत मिली थी। एक-दो साल पहले रेलवे नुकसान का बहाना बनाकर शटर ट्रेन बंद करने का प्रयास कर चुका है। उपसरपंच अनिल गुप्ता का कहना है बस और शटल ट्रेन चल जाए तो गांव का व्यापार बढ़ सकता है। एआरटीओ को बस संचालकों को बीड़ तक बसें चलाने के लिए आदेश देना चाहिए।
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