लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा 10वीं और 12वीं में पिछले शैक्षणिक सत्र में 40 फीसदी से कम परीक्षा परिणाम लाने वाले शिक्षकों की दक्षता परीक्षा 27 और 28 दिसंबर को अायाेजित की जाएगी। राज्य शिक्षक संघ मप्र ने विभाग के इस आदेश को मूल समस्या से ध्यान हटाकर शिक्षकों में भय का वातावरण बनाने वाला बताया। साथ ही इसे शिक्षा के निजीकरण की ओर सरकार के बढ़ते कदम की संज्ञा दी।
राज्य शिक्षक संघ के खंडवा जिलाध्यक्ष प्रशांत दीक्षित ने विभाग के इस आदेश को अव्यवहारिक व अनुचित बताते हुए आरोप लगाया कि ऐसा करना परीक्षा परिणाम कम आने के वास्तविक कारण की अनदेखी करना है। अयोग्य व्यक्ति शिक्षक नहीं बनते हैं। बाकायदा स्नातक, डीएड/बीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण लोग शिक्षक बनते हैं। परीक्षा परिणाम कम क्यों आया ये शिक्षक से जानना चाहिए। स्थानीय स्तर के उन कारणों को शिक्षक से लिखित में लेकर उसे दूर करने के प्रयास ही परीक्षा परिणाम में सुधार ला सकते हैं न कि शिक्षक की ही परीक्षा। राज्य शिक्षक संघ ने मांग की कि विभाग अपने इस फैसले पर पुनः विचार करें। वास्तव में विभाग कम परिणाम आने के क्षेत्रीय कारणों को उन स्कूलों से लिखित में ले, शिक्षक की मदद से उन्हें दूर कर परिणाम में अपेक्षित वृद्धि करें।
खाैफ और निजीकरण की आहट - प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव ने आरोप लगाया कि आज का परिणाम कम आने पर दो वर्ष पहले पढ़ाने वाले को दोषी ठहराना और वास्तविक कारण के बजाय शिक्षक की ही परीक्षा आयोजित करना शिक्षकों में खाैफ का वातावरण बनाना है। शिक्षा के निजीकरण के आरोप को झेल रही सरकार भविष्य में शिक्षकों की विरोधी आवाजों को दबाना चाहती है। इसी आधार पर विगत सत्र भी शिक्षकों की ही परीक्षा ली गई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 16 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी थी। जल्दबाजी में लिए गए इस निर्णय में ऐसे शिक्षकों की भी सेवा समाप्त कर दी थी जिन्होंने परीक्षा दी ही नही थी। विरोध होने पर एक कमेटी बना दी गई, जिसका निर्णय आज तक नहीं आया। इस दौरान एक शिक्षक तनावग्रस्त हो मृत भी हो गए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Wyhvv7 December 20, 2020 at 05:03AM https://ift.tt/1PKwoAf
0 Comments