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भोपाल में पहली बार सरोगेसी से जन्मे और लिव इन पार्टनर के बच्चों के पासपोर्ट बनने आए, डीएनए रिपोर्ट देनी होगी

रीजनल पासपोर्ट ऑफिस भोपाल में पहली बार सेरोगेसी से पैदा हुए और लिव इन पार्टनर के बच्चों के पासपोर्ट बनने आए हैं। पिछले हफ्ते आए इन दो मामलों में इनके बच्चों के पासपोर्ट के लिए आवेदन किया गया था। दोनों ही आवेदकों को इस बारे में पूरी प्रक्रिया पता नहीं थी जिसके बाद उनकी फाइल होल्ड कर दी गई। हालांकि बाद में विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक आवेदकों से दस्तावेज मंगवाए गए हैं। आधे डॉक्यूमेंट उन्होंने पासपोर्ट ऑफिस को दे दिए हैं जबकि आधे देना बाकी हैं। फिलहाल ये प्रक्रिया जारी है और पासपोर्ट बनने में कुछ और वक्त लगेगा।

मां चाहती है सिंगल पेरेंट के तौर पर नाम दर्ज हो
42 वर्षीय नीलम (परिवर्तित नाम) सिंगल पैरेंट हैं। कुछ साल पहले सरोगेसी के जरिए उन्होंने बेटी को जन्म दिया था। इसी महीने नवम्बर में उन्होंने अपनी बेटी के पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। नीलम चाहती थीं कि सरोगेसी से हुई बच्ची के पासपोर्ट पर सिंगल पेरेंट के तौर पर उनका नाम दर्ज हो। पासपोर्ट विभाग का कहना है कि इस मामले में आवेदक की ओर से बच्ची का डीएनए सर्टिफिकेट जमा नहीं किया गया है, यदि वो करती हैं तो पासपोर्ट जारी कर दिया जाएगा।

रीजनल पासपोर्ट ऑफिसर रश्मि बघेल का कहना है कि नियमों के तहत ऐसे मामले में सरोगेसी का लीगल एग्रीमेंट होता है। फर्टिलिटी सेंटर या क्लीनिक का सर्टिफिकेट, बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट जिस पर बायोलॉजिकल पेरेंट्स का नाम होना चाहिए, किसी सरकारी संस्था से जारी डीएनए रिपोर्ट और डिक्लरेशन भी देना होता है। इसमें अगर सिंगल पेरेंट है तो एक और एफिडेविट देना होता है जिसमें बताना होगा कि डोनर अनजान है।

पिता की जगह लिव इन पार्टनर का नाम चाहिए
35 वर्षीय नीता (परिवर्तित नाम) पिछले कई सालों से अपने लिव इन पार्टनर के साथ रह रही हैं। नीता ने पिछले हफ्ते ही अपनी बेटी के पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। फाइल इसलिए होल्ड हो गई क्योंकि नीता चाहती थीं कि बेटी के पासपोर्ट पर पिता के नाम की जगह उनके लिव इन पार्टनर का नाम हो। पासपोर्ट विभाग का कहना है कि इस मामले में बायोलॉजिकल पेरेंट को विदेश मंत्रालय से जारी ज्वाइंट एफिडेविट के फॉर्मेट पर अपना रिलेशनशिप स्टेटस बताना अनिवार्य है।

नियमों के तहत आउट ऑफ वेडलॉक में अगर कोई बच्चा है तो आवेदक को सिंगल पेरेंट होने का एफिडेविट देना होता है। एफिडेविट में उन्हें यह बताना होता है कि यह बच्चा बिना किसी औपचारिक विवाह के यानी लिव इन में रहते हुआ है। रेप विक्टिम भी अगर चाहती हैं कि उनके बच्चे का पासपोर्ट बने तो वो इसी कैटेगरी में आते हैं।



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For the first time in Bhopal, children born with surrogacy and live in partners have to get passports, DNA report has to be given


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