मध्यप्रदेश के संत भय्यू महाराज ने 12 जून 2018 को अपनी कनपटी पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उन्हें प्रताड़ित किए जाने के मामले में इंदौर की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी सुनवाई के लिए उनकी बेटी कुहू इंदौर आईं। लगातार मीडिया से दूर रहीं कुहू ने शनिवार को पहली बार पिता से जुड़े सभी मुद्दों पर खुलकर बात की। दैनिक भास्कर से हुई इस बातचीत के दौरान उनके वकील पूरे वक्त उनके साथ मौजूद रहे।
प्रॉपर्टी विवाद हो, भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी हों, परिवार के अन्य सदस्यों से रिश्तों में खटास हो या फिर पिता की मौत से जुड़े सवाल हों, कुहू ने हर मुद्दे पर अपनी बात रखी।
कुहू ने साफ कहा- ‘मेरे पिता मेरे लिए जो छोड़कर गए, उस पर मेरा हक है। इसी हक को पाने के लिए हर लड़ाई लड़ने को तैयार हूं। फिर चाहे कोर्ट का दरवाजा ही क्यों ना खटखटाना पड़े। एक मकान में आयुषी रहती है, दूसरे की चाबी बुआ के पास है। मेरे पास पापा का कुछ नहीं है। घर होने के बावजूद होटल में रुकना पड़ रहा है।’
कुहू से बातचीत के अंश...
परिवार में प्रॉपर्टी विवाद की बातें सामने आ रही हैं, क्या यह सच है?
मेरे पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है। पापा की प्रॉपर्टी के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। जब मां और पिताजी की मौत हुई, तब छोटी थी। पिताजी के जाने के बाद मैंने आगे आकर सभी से सहयोग मांगा और कहा कि हम सब बैठकर प्रॉपर्टी को लेकर बात कर लेते हैं। कोई आगे नहीं आ रहा है। लोग टाल रहे हैं, कोई कह रहा है थोड़े टाइम बाद देखते हैं, कोई कह रहा है, हमें कुछ पता नहीं है।
प्रापर्टी को लेकर वैसे आप क्या चाहती हैं?
यही कि प्रॉपर्टी का मामला कोर्ट के बाहर ही निपट जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो मैं कोर्ट तक जाऊंगी। अपने हक के लिए लड़ने से पीछे नहीं हटूंगी। मैंने उनसे कुछ ज्यादा मांगा नहीं है, जो मेरे पापा का है, मेरा जो हक है बस वही मांग रही हूं। हम भी कब तक अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को साइड में रखकर बार-बार बोलें। हम ऐसा क्यों दिखाएं कि हम उनसे भीख मांग रहे हैं, जबकि वह मेरा है। हम तो उन्हें भी उनका हक देने को तैयार हैं। बैठो बात करो और अपना-अपना हक ले लो।
पिताजी की सारी संपत्ति के बारे में आपको पता है?
पिताजी की कितनी संपत्ति है, लोग कहते हैं बहुत संपत्ति है, लेकिन मुझे नहीं पता कितनी संपत्ति है। मैं तो इंतजार कर रही हूं कि कोई बताए कि कहां-कहां संपत्ति है। जो कुछ यहां-वहां से पता चला, बस वही पता है। हमने पता भी किया, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया।
आयुषी (भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी) से कितना सहयोग मिल रहा है?
उनकी ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। अब तक मुझे किसी प्रकार के कोई पेपर नहीं दिए गए हैं। यही कारण है कि मुझे मेरा घर होने के बाद भी होटल में रुकना पड़ रहा है। आयुषी की पर्सनल लाइफ के बारे में मुझे कोई आइडिया नहीं है। पता नहीं वो कोर्ट में क्यों नहीं आ रही हैं। मैं तो इतना खर्च कर पुणे से इंदौर आ रही हूं। यहां तक कि कोविड के दौर में भी लगातार आ रही हूं।
ट्रस्ट से सपोर्ट मिल रहा है या नहीं?
सभी ट्रस्टियों की और से सपोर्ट मिल रहा है। महाराष्ट्र के ट्रस्टी तो लगातार कह रहे हैं कि दीदी आप आश्रम आओ। वहां तो ट्रस्ट में शामिल करने के लिए प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इंदौर के ट्रस्ट से भी सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि अभी ज्यादा कुछ बात नहीं हुई है।
सेवादार विनायक और शरद से आपकी बातचीत होती थी?
पापा और मेरे बीच मेरे भविष्य को लेकर चर्चा होती थी। मैं पापा को कहती थी कि कैसे करना है, क्या करना है। जैसे किस यूनिवर्सिटी में मुझे जाना है। हमारे डिस्कशन को विनायक भैय्या एक्जीक्यूट करते थे। पेमेंट करना हो, डॉक्यूमेंट सबमिट करना हो, यह सब काम विनायक ही करते थे।
आश्रम जाने में कोई रोक तो नहीं, किसी प्रकार का कोई खतरा लगता है?
आश्रम जा सकती हूं। वहां जाने में कोई परेशानी नहीं है। हां, लेकिन फाइनेंशियल इन-सिक्योरिटी जरूर महसूस करती हूं। क्योंकि मैं एक स्टूडेंट हूं, मां जो मेरे लिए छोड़कर गई है, बस उसी से अपना खर्च चला रही हूं। मेरे मामा-मामी और नानी मदद करते हैं लेकिन वह कब तक चलेगा।
दूसरे लोग मुझसे बड़े हैं, इनके पास या तो डिग्री है या फिर शादीशुदा हैं। अपने लिए उन्होंने कुछ ना कुछ कर रखा है। मेरे पास तो डिग्री तक नहीं है। मुझे कौन जॉब देगा। डर लगता है कि कोई स्कैम ना हो जाए। अब मैं अकेली हूं, ना कोई बात करता है और ना काेई कुछ बताता है। मेरे सपोर्ट के लिए सिर्फ कोई है तो मेरी मां के साइड के लोग ही हैं।
विनायक और शरद पर क्या आपको किसी प्रकार का शक है?
मुझे कभी ऐसा नहीं लगा। क्योंकि मैं यहां ज्यादा रही नहीं। यहां पर क्या होता था। यह मुझे पता नहीं। मेरे लिए इन सबका अच्छा व्यवहार था।
क्या भय्यू महाराज और आयुषी के विवाद हाेते थे?
हां, उनके बीच विवाद होते रहते थे। आयुषी के परिवार का आश्रम में दखलंदाजी के बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता है क्योंकि आश्रम में अब तक मैं खुद ट्रस्टी नहीं बनी हूं। आयुषी के परिवार से पहले उनकी मां कभी-कभी आती थीं। पापा की डेथ के बाद उनकी मां, उनका छोटा भाई विजय नगर वाले मकान शिवनेरी में रह रहे हैं।
पापा से आखिरी बार कब बात हुई थी?
जिस समय पिताजी की मौत हुई, उस समय मैं रास्ते में थी। पुणे से इंदौर आ रही थी। पिताजी से एक दिन पहले बात हुई थी तो काफी खुश लग रहे थे। कहा था- बेटा आ जाओ।
क्या बुआ और आयुषी दोनों आपको अपने घर में नहीं रखना चाहते?
पहली बार जब कोर्ट में बयान देने आई तो बुआ से फोन कर सिल्वर स्प्रिंग वाले बंगले की चाबी मांगी थी। उन्हें कहा था कि कोर्ट का काम है, सिर्फ चार दिन के लिए चाबी दे दो। इस पर उन्होंने मना कर दिया था। कहा था आयुषी और तुम पहले सेटलमेंट करो, फिर चाबी की बात करना।
आयुषी से बात की तो बुआ से बात करने को कहा। दोनों एक-दूसरे पर टालते रहे। विजय नगर स्थित बंगले में आयुषी अपनी मां और छोटे भाई के साथ रहती है जबकि सिल्वर स्प्रिंग वाले बंगले की चाबी बुआ के पास है। मजबूरी है होटल में रुकने की। बहुत खर्च आता है, लेकिन क्या करूं।
भय्यू महाराज के जाने के बाद परिवार से अब कैसे रिश्ते हैं?
दादी काफी बूढ़ी हो चुकी हैं, अब उन्हें ज्यादा कुछ समझ नहीं आता है। बुआ बात नहीं करतीं। आयुषी तो वैसे भी मेरा सहयोग नहीं कर रही हैं।
शुरुआत में आप बयान दर्ज करवाने नहीं आ पाईं, इसका कारण?
कोर्ट के समन गलत पते पर जाने से वे हमें नहीं मिल पा रहे थे। जब समन सही पते पर पहुंचे और हमें मिले, उसके बाद से हम लगातार कोर्ट के बुलावे पर हाजिर हो रहे हैं।
आपको भी लगता है भय्यू महाराज ने सुसाइड किया था?
पापा सुसाइड नहीं कर सकते थे। बस यही चाहती हूं कि दोषी पकड़ा जाए और मेरे पापा और मुझे न्याय मिले।
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