नगर के किला परिसर स्थित प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में एकादशी से 7 दिनी अनुष्ठान शुरू हुआ। एकादशी पर सुबह श्री सूक्त व पुरुष सूक्त से अभिषेक किया गया। मंदिर परिसर में रंगोली बनाई गई। धनतेरस से भाई दूज तक विशेष पूजन होगा। पं. राजेंद्र शर्मा ने बताया एकादशी से लेकर भाईदूज तक 7 दिनों में 108 श्री सूक्त पाठ से माताजी का विशेष पूजन व अभिषेक कर चोला चढ़ाया जाएगा।
अखंड ज्योत जलाकर माताजी को विशेष चुनरी भी रोजाना चढ़ाई जाएगी। किला परिसर स्थित महालक्ष्मी माता का मंदिर वर्षों पुराना है। यहां माताजी की उत्तरमुखी मूर्ति बैठक अवस्था में सौभाग्य लक्ष्मी के रूप में विराजमान है। माता की स्वयंभू मूर्ति में दो हाथियों के साथ वाहन उल्लू भी है। दो साल पहले तक माताजी की प्रतिमा कमल पर बनी आकृति के ऊपर विराजित थी। जीर्णोद्धार के बाद मूर्ति के आसपास नया रूप दिया गया है। पंडितजी ने बताया बैठक अवस्था की इस मूर्ति के दर्शन, पूजन व अभिषेक करने से घर में सदा महालक्ष्मी का वास बना रहता है। मंदिर में नगर सहित दूरदराज क्षेत्रों के श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते है।
नर्मदा किनारे भी है महालक्ष्मी का मंदिर
नर्मदा तट स्थित मातंगेश्वर घाट के पास नाव घाट पर भी महालक्ष्मी माता का मंदिर स्थित है। यहां नगर के केवट समाज के श्रद्धालु दीपावली व नवरात्रि पर्व पर विशेष पूजन कर सिंदूर का चोला चढ़ाते है। इस मंदिर में माताजी की प्रतिमा पश्चिम मुखी होकर बैठक अवस्था में है। मातंगेश्वर घाट के पास दीपावली पर दीप सज्जा भी की जाएगी।
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