कार्तिक माह की दूसरी सवारी सोमवार को सादगी से निकाली गई। शाम 4 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान के पूजन के बाद पश्चात बाबा महाकाल श्री चंद्रमौलेशश्वर स्वरूप में चांदी की पालकी में विराजित होकर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। मंदिर में अफसरों और पुजारियों ने पालकी उठाई।
सभा मंडप में आशीष गुरु ने पूजन कराया। मंदिर प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र सिंह ने पूजन किया। भगवान महाकाल के जयकारों से सभा मंडपम गूंज उठा। मंदिर के द्वार पर पुलिस बल ने सवारी को सलामी दी।
मकानों के छज्जों-गैलरियों से बाबा के दर्शन
सवारी का सबसे ज्यादा इंतजार उन लोगों को था जिनके सामने से पालकी निकलने वाली थी। पालकी आने के एक घंटे पहले वे घरों के छज्जों व गैलरियों पर पहुंच गए थे। कोरोना संक्रमण के बीच निकली सवारी के लिए वीआईपी मार्ग बनाया गया था। इस दौरान सवारी परंपरागत मार्ग से नहीं निकाली गई। कार्तिक माह में यह क्रम फिर से शुरू हो गया है।
न बैंड, न घुड़सवार न ही भजन मंडलियां
अनलॉक के बाद यह दूसरा अवसर है जब सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली गई। इसमें अनूठा संगम देखने को मिला। न बैंड, न घुड़सवार न ही भजन मंडलियां सम्मिलित हुई फिर भी प्रजा की आस्था व भक्ति से पूरा मार्ग लदकद भरा रहा। जन मानस ने दूर से ही बाबा महाकाल के दर्शन कर पुण्य लाभ लिया। रामघाट पर शिप्रा के जल से अभिषेक व पूजन अर्चन किया। यहां से सवारी परंपरागत मार्ग से मंदिर पंहुची।
रस्से की सुरक्षा तक नहीं तोड़ी, बाहर से दर्शन लाभ लिए
सभामंडप में पूजन के बाद पालकी को महाकाल द्वार लाया गया। यहां से रस्से की सुरक्षा शुरू हुई। पुलिस के साथ पुजारियों ने रस्से थामा था। मंदिर के द्वार पर इसका दायरा बढ़ाया गया। इसके बाद इसे सीमित कर दिया। श्रद्धालुओं ने रस्से की सुरक्षा को नहीं लांघा, दूर से ही दर्शन लाभ लिए। गोपाल मंदिर पर पालकी पूजन किया। श्रद्धालुओं ने फूल-हार फेंकने की जगह पुजारी व सेवा में लगे अफसरों को सौंप दिए।
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